खण्ड 1: जयशंकर प्रसाद (1-25)
1. ‘स्कंदगुप्त’ नाटक के रचयिता कौन हैं?
व्याख्या: ‘स्कंदगुप्त’ जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक नाटक है, जिसमें गुप्त वंश के सम्राट स्कंदगुप्त के वीरतापूर्ण चरित्र का चित्रण है।
2. जयशंकर प्रसाद के नाटकों का मुख्य स्वर क्या है?
व्याख्या: प्रसाद जी ने अपने नाटकों के माध्यम से भारत के गौरवशाली अतीत का चित्रण किया और राष्ट्रीय व सांस्कृतिक चेतना को जगाने का प्रयास किया।
3. ‘ध्रुवस्वामिनी’ नाटक की मुख्य पात्र कौन है?
व्याख्या: ‘ध्रुवस्वामिनी’ नाटक का नामकरण नायिका ध्रुवस्वामिनी के नाम पर ही हुआ है, जो अपने स्वाभिमान और अस्तित्व के लिए संघर्ष करती है।
4. निम्नलिखित में से कौन-सा नाटक जयशंकर प्रसाद का नहीं है?
व्याख्या: ‘आषाढ़ का एक दिन’ मोहन राकेश का प्रसिद्ध नाटक है, जबकि अन्य तीनों नाटक जयशंकर प्रसाद के हैं।
5. ‘ध्रुवस्वामिनी’ नाटक में किस समस्या को प्रमुखता से उठाया गया है?
व्याख्या: यह नाटक नारी अस्मिता, उसके आत्म-निर्णय और अनैतिक विवाह-बंधन से मुक्ति (मोक्ष) के अधिकार जैसे प्रगतिशील विचारों को केंद्र में रखता है।
6. चाणक्य, जयशंकर प्रसाद के किस नाटक का एक प्रमुख पात्र है?
व्याख्या: आचार्य चाणक्य (विष्णुगुप्त) ‘चंद्रगुप्त’ नाटक के सूत्रधार और एक अत्यंत महत्वपूर्ण पात्र हैं, जो अपनी कूटनीति से नंदवंश का नाश कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना करवाते हैं।
7. जयशंकर प्रसाद किस युग के नाटककार माने जाते हैं?
व्याख्या: जयशंकर प्रसाद छायावाद के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उनके नाटकों में छायावादी काव्य की कोमलता, दार्शनिकता और भावात्मकता स्पष्ट दिखाई देती है।
8. ‘कामना’ नाटक की विषय-वस्तु क्या है?
व्याख्या: ‘कामना’ एक प्रतीकात्मक नाटक है, जिसमें प्रसाद ने पाश्चात्य सभ्यता के भौतिकवादी दृष्टिकोण की आलोचना की है। इसके पात्र और स्थान काल्पनिक हैं।
9. प्रसाद जी का प्रथम ऐतिहासिक नाटक कौन सा है?
व्याख्या: यद्यपि ‘सज्जन’ उनका प्रथम नाटक है, किन्तु ‘राज्यश्री’ को उनका प्रथम ऐतिहासिक नाटक माना जाता है, जो हर्षकालीन इतिहास पर आधारित है।
10. “अधिकार सुख कितना मादक और सारहीन है!” – यह प्रसिद्ध पंक्ति प्रसाद के किस नाटक से है?
व्याख्या: यह पंक्ति ‘स्कंदगुप्त’ नाटक के आरंभ में स्कंदगुप्त के स्वगत कथन का अंश है, जो सत्ता के खोखलेपन और दायित्व के बोझ को व्यक्त करती है।
11. जयशंकर प्रसाद के किस नाटक में बौद्ध धर्म और हिन्दू धर्म के सिद्धांतों पर बहस है?
व्याख्या: ‘अजातशत्रु’ में महात्मा बुद्ध के समकालीन मगध, कोसल और कौशाम्बी के राजाओं का वर्णन है, जिसमें बौद्ध और वैदिक दर्शन का संघर्ष दिखाया गया है।
12. ‘विशाख’ नाटक का कथानक किस पर आधारित है?
व्याख्या: ‘विशाख’ नाटक का कथानक कश्मीर के इतिहास से संबंधित है और इसका आधार कल्हण द्वारा रचित ‘राजतरंगिणी’ है।
13. ‘एक घूँट’ को किस नाट्य विधा के अंतर्गत रखा जाता है?
व्याख्या: ‘एक घूँट’ (1929) को आधुनिक हिंदी एकांकी का प्रस्थान बिंदु माना जाता है। यह जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण एकांकी है।
14. ‘चंद्रगुप्त’ नाटक की नायिका कौन है?
व्याख्या: ‘चंद्रगुप्त’ नाटक में कल्याणी, मालविका और कार्नेलिया तीनों ही महत्वपूर्ण स्त्री पात्र हैं और अलग-अलग संदर्भों में नायिका की भूमिका में दिखती हैं। कार्नेलिया (सेल्यूकस की पुत्री) प्रमुख नायिका मानी जाती है।
15. प्रसाद जी के नाटकों में गीतों का समावेश उनकी किस प्रवृत्ति को दर्शाता है?
व्याख्या: प्रसाद मूलतः एक कवि थे। उनके नाटकों में प्रयुक्त गीत उनके कवि-हृदय का परिचायक हैं, जो कथा को गति और पात्रों को भावनात्मक गहराई प्रदान करते हैं।
16. ‘जनमेजय का नागयज्ञ’ नाटक की कथा किस पौराणिक घटना पर आधारित है?
व्याख्या: यह नाटक महाभारत की एक घटना पर आधारित है, जिसमें राजा परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए उनके पुत्र जनमेजय नागों का संहार करने हेतु एक यज्ञ करते हैं।
17. ‘स्कंदगुप्त’ नाटक में देवसेना किस पर अनुरक्त है?
व्याख्या: देवसेना, मालव के राजा बंधुवर्मा की बहन है और वह स्कंदगुप्त से एकतरफा प्रेम करती है, किन्तु स्कंदगुप्त विजया से प्रेम करता है।
18. प्रसाद के नाटकों की भाषा कैसी है?
व्याख्या: प्रसाद के नाटकों की भाषा उनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिवेश के अनुरूप गंभीर, तत्सम-बहुल और काव्यात्मक है, जो उन्हें सामान्य नाटकों से अलग करती है।
19. शकराज, प्रसाद के किस नाटक का खलनायक है?
व्याख्या: शकराज ‘ध्रुवस्वामिनी’ नाटक का प्रतिनायक (खलनायक) है, जो रामगुप्त से संधि-प्रस्ताव में उसकी पत्नी ध्रुवस्वामिनी को माँगता है।
20. ‘अरुण यह मधुमय देश हमारा’ – यह प्रसिद्ध गीत प्रसाद के किस नाटक में है?
व्याख्या: यह प्रसिद्ध गीत ‘चंद्रगुप्त’ नाटक में सेल्यूकस की पुत्री कार्नेलिया द्वारा गाया गया है, जिसमें वह भारत की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक समृद्धि का गुणगान करती है।
21. प्रसाद का कौन सा नाटक अधूरा रह गया था?
व्याख्या: ‘अग्निमित्र’ जयशंकर प्रसाद का अपूर्ण नाटक है, जिसे वे अपनी मृत्यु के कारण पूरा नहीं कर सके।
22. प्रसाद के नाटकों पर किस पाश्चात्य नाटककार का प्रभाव माना जाता है?
व्याख्या: प्रसाद के नाटकों की संरचना और आत्मा पूर्णतः भारतीय है। उन पर किसी पाश्चात्य नाटककार का सीधा प्रभाव नहीं माना जाता, उन्होंने भारतीय नाट्यशास्त्र से प्रेरणा ली।
23. ‘स्कंदगुप्त’ नाटक में हूणों से संघर्ष कौन करता है?
व्याख्या: ‘स्कंदगुप्त’ नाटक का मुख्य संघर्ष सम्राट स्कंदगुप्त का बर्बर हूण आक्रमणकारियों से देश की रक्षा करना है।
24. प्रसाद के नाटकों के पात्रों का चरित्र-चित्रण कैसा है?
व्याख्या: प्रसाद के पात्र उच्च आदर्शों से प्रेरित होते हैं, लेकिन उनके मन में कर्तव्य, प्रेम, और त्याग को लेकर गहरा अंतर्द्वंद्व भी चलता रहता है, जो उन्हें सजीव बनाता है।
25. प्रसाद का अंतिम पूर्ण नाटक कौन सा है?
व्याख्या: ‘ध्रुवस्वामिनी’ (1933) जयशंकर प्रसाद का अंतिम और प्रौढ़तम नाटक माना जाता है। यह नाट्य-शिल्प की दृष्टि से उनका सबसे सफल नाटक है।
खण्ड 2: उपेन्द्रनाथ अश्क (26-50)
26. ‘अंजो दीदी’ नाटक के रचनाकार कौन हैं?
व्याख्या: ‘अंजो दीदी’ उपेन्द्रनाथ अश्क का एक अत्यंत प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक और सामाजिक नाटक है।
27. उपेन्द्रनाथ अश्क के नाटकों में मुख्य रूप से किस वर्ग का चित्रण हुआ है?
व्याख्या: अश्क जी को मध्यम वर्गीय समाज का कुशल चितेरा कहा जाता है। उनके नाटकों में इस वर्ग की आशाओं, आकांक्षाओं, कुंठाओं और समस्याओं का यथार्थवादी चित्रण मिलता है।
28. ‘अंजो दीदी’ नाटक किस समस्या पर आधारित है?
व्याख्या: यह नाटक दिखाता है कि कैसे ‘अंजो दीदी’ का अत्यधिक और बनावटी अनुशासन परिवार के सदस्यों के जीवन को बोझिल और नारकीय बना देता है।
29. ‘छठा बेटा’ नाटक में अश्क जी ने क्या दर्शाया है?
व्याख्या: ‘छठा बेटा’ में दिखाया गया है कि कैसे एक पिता की मृत्यु के बाद उसके पांच बेटे अपनी-अपनी संपत्ति के लिए स्वार्थी हो जाते हैं, जबकि छठा बेटा (जो वास्तव में बेटा नहीं है) नैतिक मूल्यों को बनाए रखता है।
30. निम्नलिखित में से कौन सी कृति उपेन्द्रनाथ अश्क की नहीं है?
व्याख्या: ‘लहरों के राजहंस’ मोहन राकेश का नाटक है। ‘कैद और उड़ान’, ‘अलग-अलग रास्ते’ और ‘भँवर’ अश्क जी के प्रसिद्ध नाटक हैं।
31. अश्क जी किस नाट्य परंपरा के लेखक माने जाते हैं?
व्याख्या: अश्क जी ने नार्वे के नाटककार हेनरिक इब्सन की तरह सामाजिक समस्याओं को यथार्थवादी ढंग से अपने नाटकों का विषय बनाया।
32. ‘स्वर्ग की झलक’ और ‘छठा बेटा’ किस विधा की रचनाएँ हैं?
व्याख्या: ये दोनों उपेन्द्रनाथ अश्क द्वारा रचित प्रसिद्ध नाटक और एकांकी हैं, जो सामाजिक यथार्थ को प्रस्तुत करते हैं।
33. अश्क जी ने अपने नाटकों के लिए संवादों की भाषा कैसी रखी?
व्याख्या: अश्क के नाटकों की सफलता का एक बड़ा कारण उनके संवादों की स्वाभाविकता है। वे पात्र की सामाजिक-शैक्षिक पृष्ठभूमि के अनुसार भाषा का प्रयोग करते हैं।
34. ‘जय-पराजय’ नाटक के लेखक कौन हैं?
व्याख्या: ‘जय-पराजय’ अश्क जी का एक प्रारंभिक नाटक है जो प्रतीकात्मक शैली में लिखा गया है।
35. ‘अंजो दीदी’ की मुख्य पात्र अंजलि अपने जीवन को किस आधार पर चलाती है?
व्याख्या: अंजली (अंजो दीदी) जीवन को एक मशीन की तरह देखती है और हर काम घड़ी की सुई के अनुसार करती है, जिससे पारिवारिक संबंध बिगड़ जाते हैं।
36. उपेन्द्रनाथ अश्क का जन्म कहाँ हुआ था?
व्याख्या: उपेन्द्रनाथ अश्क का जन्म 1910 में पंजाब के जालंधर शहर में हुआ था। उनके लेखन पर पंजाबी परिवेश का प्रभाव भी देखा जा सकता है।
37. अश्क जी ने लेखन की शुरुआत किस भाषा से की थी?
व्याख्या: अश्क जी ने अपने साहित्यिक जीवन का आरंभ उर्दू और पंजाबी में लेखन से किया था, बाद में वे हिंदी के प्रमुख लेखक बने।
38. ‘अलग-अलग रास्ते’ नाटक का केंद्रीय विषय क्या है?
व्याख्या: यह नाटक विभिन्न पात्रों के माध्यम से प्रेम, विवाह और दांपत्य जीवन की जटिलताओं को प्रस्तुत करता है, जहाँ प्रत्येक पात्र का अपना-अपना रास्ता है।
39. अश्क जी के एकांकियों के संग्रह का क्या नाम है?
व्याख्या: ‘देवता और दानव’, ‘चरवाहे’, ‘पर्दा उठाओ, पर्दा गिराओ’ आदि अश्क जी के प्रसिद्ध एकांकी संग्रह हैं।
40. ‘भँवर’ नाटक में किस वर्ग की विडंबना का चित्रण है?
व्याख्या: ‘भँवर’ नाटक में कलाकार के जीवन के संघर्ष, उसकी आर्थिक तंगी और सामाजिक उपेक्षा का मार्मिक चित्रण किया गया है।
41. ‘सूखी डाली’ एकांकी का मुख्य संदेश क्या है?
व्याख्या: ‘सूखी डाली’ अश्क जी की प्रसिद्ध एकांकी है, जिसमें एक बड़े परिवार के मुखिया (दादा) के प्रयासों से परिवार को टूटने से बचाया जाता है, यह संदेश देते हुए कि पेड़ से टूटकर डाली सूख जाती है।
42. अश्क जी ने किस पत्रिका का संपादन किया था?
व्याख्या: उपेन्द्रनाथ अश्क ने ‘उड़ान’ नामक साहित्यिक पत्रिका का संपादन भी किया था।
43. ‘अंजो दीदी’ नाटक का प्रकाशन वर्ष क्या है?
व्याख्या: ‘अंजो दीदी’ नाटक का प्रथम प्रकाशन 1955 में हुआ था। यह स्वातंत्र्योत्तर हिंदी नाटक का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
44. ‘तौलिये’ एकांकी में किस पर व्यंग्य किया गया है?
व्याख्या: ‘तौलिये’ एकांकी में अश्क जी ने मध्यम वर्गीय समाज में सफाई और आधुनिकता के नाम पर पनप रहे दिखावे और बनावटीपन पर तीखा व्यंग्य किया है।
45. अश्क जी के नाटकों की शैली कैसी है?
व्याख्या: अश्क जी सामाजिक यथार्थ को उसकी कुरूपताओं और विसंगतियों के साथ प्रस्तुत करते हैं, जिसमें व्यंग्य का पुट भी होता है।
46. ‘लक्ष्मी का स्वागत’ एकांकी किसकी रचना है?
व्याख्या: ‘लक्ष्मी का स्वागत’ अश्क जी की एक मार्मिक एकांकी है, जिसमें पैसे के लालच में मानवीय संवेदनाओं के हनन को दिखाया गया है।
47. अश्क के नाटकों की रंगमंचीयता के बारे में क्या सत्य है?
व्याख्या: प्रसाद के नाटकों के विपरीत, अश्क के नाटक रंगमंच की दृष्टि से लिखे गए हैं। उनकी भाषा, दृश्य-विधान और पात्र योजना मंचन के अनुकूल है।
48. ‘कैद’ नाटक का नायक जीवन के किस द्वंद्व से जूझ रहा है?
व्याख्या: ‘कैद और उड़ान’ नाटक में कलाकार की आत्मा की स्वतंत्रता और सामाजिक-आर्थिक बंधनों के बीच का संघर्ष दिखाया गया है।
49. उपेन्द्रनाथ अश्क को किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था?
व्याख्या: उपेन्द्रनाथ अश्क को 1965 में नाटक लेखन के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
50. अश्क जी के नाटकों में हास्य-व्यंग्य का उद्देश्य क्या होता है?
व्याख्या: अश्क जी का हास्य-व्यंग्य केवल हंसाने के लिए नहीं है, बल्कि वह समाज में व्याप्त पाखंड, रूढ़ियों और दिखावे पर तीखा प्रहार करता है।
खण्ड 3: रामकुमार वर्मा (51-75)
51. हिंदी एकांकी का जनक किसे माना जाता है?
व्याख्या: डॉ. रामकुमार वर्मा को हिंदी में एकांकी विधा को स्थापित करने और उसे लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है, इसलिए उन्हें ‘एकांकी सम्राट’ या ‘एकांकी का जनक’ कहा जाता है।
52. ‘दीपदान’ एकांकी के रचनाकार कौन हैं?
व्याख्या: ‘दीपदान’ डॉ. रामकुमार वर्मा की सर्वाधिक प्रसिद्ध ऐतिहासिक एकांकी है।
53. ‘दीपदान’ एकांकी की मुख्य पात्र कौन है जो अपने पुत्र का बलिदान कर देती है?
व्याख्या: पन्ना धाय मेवाड़ के कुँवर उदयसिंह की रक्षा के लिए अपने पुत्र चंदन का बलिदान कर देती है। यह त्याग और कर्तव्यनिष्ठा की अद्भुत कहानी है।
54. रामकुमार वर्मा के अधिकांश एकांकी किस प्रकार के हैं?
व्याख्या: वर्मा जी ने इतिहास के गौरवशाली प्रसंगों को चुनकर आदर्शवादी पात्रों का सृजन किया, जिनका उद्देश्य त्याग, बलिदान, प्रेम और राष्ट्रीयता जैसे मूल्यों को स्थापित करना था।
55. ‘पृथ्वीराज की आँखें’ शीर्षक एकांकी किसने लिखी है?
व्याख्या: ‘पृथ्वीराज की आँखें’ रामकुमार वर्मा की एक प्रसिद्ध एकांकी है, जो पृथ्वीराज चौहान के जीवन के अंतिम क्षणों पर आधारित है।
56. रामकुमार वर्मा किस युग के साहित्यकार हैं?
व्याख्या: रामकुमार वर्मा कवि के रूप में छायावादी थे, लेकिन नाटककार (विशेषकर एकांकीकार) के रूप में वे छायावादोत्तर काल के महत्वपूर्ण लेखक हैं।
57. ‘कौमुदी महोत्सव’ नाटक के रचयिता कौन हैं?
व्याख्या: ‘कौमुदी महोत्सव’ रामकुमार वर्मा द्वारा रचित एक ऐतिहासिक नाटक है, जो चंद्रगुप्त प्रथम के काल पर आधारित है।
58. रामकुमार वर्मा के नाटकों में किस रस की प्रधानता है?
व्याख्या: वर्मा जी के ऐतिहासिक नाटकों और एकांकियों में प्रेम (श्रृंगार) और वीरता (वीर रस) का सुंदर समन्वय मिलता है।
59. निम्नलिखित में से कौन सी एकांकी रामकुमार वर्मा की नहीं है?
व्याख्या: ‘भोर का तारा’ जगदीशचंद्र माथुर की प्रसिद्ध एकांकी है। अन्य तीनों (‘रेशमी टाई’, ‘चारुमित्रा’, ‘औरंगजेब की आखिरी रात’) रामकुमार वर्मा की रचनाएँ हैं।
60. रामकुमार वर्मा की एकांकियों की भाषा-शैली कैसी है?
व्याख्या: वर्मा जी मूलतः कवि थे, जिसका प्रभाव उनकी एकांकियों की भाषा पर स्पष्ट है। उनकी भाषा में काव्य जैसी कोमलता, भावुकता और परिष्कार है।
61. ‘बादल की मृत्यु’ (1930) को हिंदी की प्रथम एकांकी किसने माना है?
व्याख्या: डॉ. नगेन्द्र और कुछ अन्य आलोचक रामकुमार वर्मा कृत ‘बादल की मृत्यु’ को हिंदी की पहली आधुनिक एकांकी मानते हैं, जबकि प्रसाद कृत ‘एक घूँट’ को भी यह श्रेय दिया जाता है।
62. ‘विजय पर्व’ नाटक के लेखक कौन हैं?
व्याख्या: ‘विजय पर्व’ रामकुमार वर्मा द्वारा लिखा गया एक नाटक है।
63. रामकुमार वर्मा की एकांकियों का उद्देश्य क्या है?
व्याख्या: वर्मा जी अपनी एकांकियों के माध्यम से त्याग, बलिदान, देशप्रेम, कर्तव्यपरायणता जैसे उच्च मानवीय मूल्यों को पाठकों तक पहुँचाना चाहते थे।
64. ‘रेशमी टाई’ एकांकी किस प्रकार की है?
व्याख्या: ‘रेशमी टाई’ एक सामाजिक एकांकी है जिसमें पति-पत्नी के संबंधों, उनकी पसंद-नापसंद और आधुनिकता के टकराव का मनोवैज्ञानिक चित्रण है।
65. डॉ. रामकुमार वर्मा एक आलोचक के रूप में किस क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं?
व्याख्या: नाटककार होने के साथ-साथ, डॉ. रामकुमार वर्मा ‘हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास’ के लेखक और संत काव्य, विशेषकर कबीर के महत्वपूर्ण आलोचक और शोधकर्ता थे।
66. ‘औरंगजेब की आखिरी रात’ एकांकी का मुख्य पात्र कौन है?
व्याख्या: इस एकांकी में औरंगजेब के जीवन के अंतिम क्षणों के पश्चाताप और उसकी विफलताओं का मार्मिक चित्रण किया गया है।
67. रामकुमार वर्मा के एकांकी संग्रह का नाम क्या है?
व्याख्या: ये सभी डॉ. रामकुमार वर्मा के प्रसिद्ध एकांकी संग्रहों के नाम हैं।
68. वर्मा जी की एकांकियों में घटना-चक्र कैसा होता है?
व्याख्या: वर्मा जी की एकांकियों की सफलता का एक रहस्य यह है कि वे पाठक या दर्शक की जिज्ञासा को अंत तक बनाए रखते हैं। घटनाक्रम तेजी से चरम की ओर बढ़ता है।
69. ‘चारुमित्रा’ एकांकी किस ऐतिहासिक पात्र पर आधारित है?
व्याख्या: ‘चारुमित्रा’ सम्राट अशोक के जीवन की एक घटना पर आधारित है, जिसमें उनकी रानी तिष्यरक्षिता (चारुमित्रा) की भूमिका महत्वपूर्ण है।
70. रामकुमार वर्मा को भारत सरकार ने किस सम्मान से अलंकृत किया?
व्याख्या: डॉ. रामकुमार वर्मा को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 1963 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
71. रामकुमार वर्मा के नाटक प्रसाद की परंपरा से किस प्रकार भिन्न हैं?
व्याख्या: प्रसाद के नाटकों की भाषा जहाँ क्लिष्ट और काव्यात्मक है, वहीं वर्मा जी ने अपेक्षाकृत सरल और मंच के अनुकूल भाषा का प्रयोग किया।
72. ‘सप्त किरण’ क्या है?
व्याख्या: ‘सप्त किरण’ डॉ. रामकुमार वर्मा द्वारा रचित एकांकियों का एक संग्रह है।
73. वर्मा जी ने अपनी एकांकियों में किन तकनीकों का प्रयोग किया?
व्याख्या: वर्मा जी ने अपनी एकांकियों को सफल बनाने के लिए इन सभी पाश्चात्य नाट्य तकनीकों का कुशलता से प्रयोग किया है।
74. ‘दस मिनट’ एकांकी में किस समस्या को उठाया गया है?
व्याख्या: यह रामकुमार वर्मा की एक राजनीतिक एकांकी है, जिसमें क्रांतिकारी जीवन की कठिनाइयों और पुलिस के दमन चक्र को दिखाया गया है।
75. रामकुमार वर्मा का एकांकी-नाट्य साहित्य पर मुख्य प्रभाव क्या है?
व्याख्या: रामकुमार वर्मा का सबसे बड़ा योगदान हिंदी में एकांकी को एक स्वतंत्र और सशक्त साहित्यिक विधा के रूप में स्थापित करना है।
खण्ड 4: मोहन राकेश (76-100)
76. ‘आषाढ़ का एक दिन’ नाटक के लेखक कौन हैं?
व्याख्या: ‘आषाढ़ का एक दिन’ आधुनिक हिंदी नाटक का एक मील का पत्थर है और इसके रचयिता मोहन राकेश हैं।
77. ‘आषाढ़ का एक दिन’ नाटक का मुख्य पुरुष पात्र कौन है?
व्याख्या: यह नाटक महाकवि कालिदास के व्यक्तिगत जीवन के अंतर्द्वंद्व पर आधारित है, जिसमें सत्ता और सृजनात्मकता के बीच का संघर्ष दिखाया गया है।
78. ‘आधे-अधूरे’ नाटक किस समस्या पर केंद्रित है?
व्याख्या: ‘आधे-अधूरे’ में एक मध्यवर्गीय परिवार के माध्यम से आधुनिक जीवन में स्त्री-पुरुष के संबंधों के खोखलेपन, अधूरेपन और एक ‘पूर्ण पुरुष’ की तलाश को दिखाया गया है।
79. ‘लहरों के राजहंस’ नाटक का कथानक किस पर आधारित है?
व्याख्या: इस नाटक की कथावस्तु अश्वघोष के महाकाव्य ‘सौंदरानंद’ से ली गई है, जिसमें बुद्ध के सौतेले भाई नंद के सांसारिक सुख और आध्यात्मिक शांति के बीच के द्वंद्व का चित्रण है।
80. मोहन राकेश के नाटकों की मुख्य विशेषता क्या है?
व्याख्या: मोहन राकेश ने अपने नाटकों में आधुनिक व्यक्ति के अकेलेपन, अजनबीपन, संवादहीनता और मानसिक उधेड़बुन को बड़ी गहराई से चित्रित किया है।
81. ‘आधे-अधूरे’ नाटक की नायिका का क्या नाम है?
व्याख्या: सावित्री ‘आधे-अधूरे’ की केंद्रीय पात्र है, जो अपने पति महेंद्रनाथ और जीवन की अन्य परिस्थितियों से असंतुष्ट है।
82. ‘आषाढ़ का एक दिन’ की नायिका मल्लिका किसका प्रतीक है?
व्याख्या: मल्लिका कालिदास की प्रेरणा है। वह प्रकृति की तरह सहज और त्यागमयी है, जो बिना किसी शर्त के प्रेम करती है और कालिदास की सृजनात्मकता का स्रोत है।
83. मोहन राकेश का कौन सा नाटक अधूरा रह गया?
व्याख्या: ‘पैर तले की ज़मीन’ मोहन राकेश का अपूर्ण नाटक है, जिसे बाद में उनके मित्र कमलेश्वर ने पूरा किया।
84. ‘आधे-अधूरे’ नाटक में एक ही अभिनेता को कितने पुरुषों की भूमिका निभानी पड़ती है?
व्याख्या: नाटक की एक प्रमुख विशेषता यह है कि एक ही अभिनेता काले सूट वाला आदमी, सिंघानिया, जगमोहन और जुनेजा की भूमिका निभाता है, यह दर्शाने के लिए कि सावित्री को हर पुरुष में एक ही अधूरापन नज़र आता है।
85. ‘अंडे के छिलके’ किस प्रकार की रचना है?
व्याख्या: ‘अंडे के छिलके’ मोहन राकेश की एक प्रसिद्ध एकांकी है, जिसमें एक परिवार के सदस्यों के दोहरे जीवन और पाखंड पर व्यंग्य किया गया है।
86. मोहन राकेश किस साहित्यिक आंदोलन से जुड़े थे?
व्याख्या: मोहन राकेश, राजेंद्र यादव और कमलेश्वर के साथ ‘नयी कहानी आंदोलन’ के प्रमुख स्तंभों में से एक थे। वे जितने बड़े नाटककार थे, उतने ही बड़े कहानीकार भी।
87. ‘लहरों के राजहंस’ में नंद की पत्नी का क्या नाम है, जो उसे संसार में बाँधकर रखना चाहती है?
व्याख्या: सुंदरी, नंद की पत्नी है और वह भौतिक सुखों और सांसारिक आकर्षण का प्रतीक है, जबकि बुद्ध वैराग्य का। नंद इन्हीं दोनों के बीच में झूलता रहता है।
88. मोहन राकेश के नाटकों की भाषा की क्या विशेषता है?
व्याख्या: राकेश के संवाद सिर्फ बोलते नहीं, बल्कि बहुत कुछ अनकहा छोड़ देते हैं। उनकी भाषा में बिंब, प्रतीक और मौन का बड़ा महत्व है, जो पात्रों की मानसिक स्थिति को व्यक्त करता है।
89. ‘आषाढ़ का एक दिन’ को किस वर्ष का सर्वश्रेष्ठ नाटक होने का संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला?
व्याख्या: 1958 में प्रकाशित होने के बाद ‘आषाढ़ का एक दिन’ को 1959 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा वर्ष के सर्वश्रेष्ठ हिंदी नाटक के रूप में पुरस्कृत किया गया।
90. मोहन राकेश के नाटकों में मंच-सज्जा और प्रकाश-योजना का क्या महत्व है?
व्याख्या: राकेश के नाटकों में मंच-निर्देश बहुत विस्तृत और महत्वपूर्ण होते हैं। प्रकाश, ध्वनि, और वस्तुओं का प्रयोग प्रतीकात्मक रूप से पात्रों के आंतरिक जगत को उभारने के लिए किया जाता है।
91. ‘सिपाही की माँ’ एकांकी के रचयिता कौन हैं?
व्याख्या: ‘सिपाही की माँ’ मोहन राकेश की एक मार्मिक एकांकी है जो ‘अंडे के छिलके तथा अन्य एकांकी’ संग्रह में संकलित है। इसमें युद्ध की विभीषिका और एक माँ की ममता का चित्रण है।
92. मोहन राकेश के नाटकों को क्या कहा जाता है?
व्याख्या: मोहन राकेश के नाटकों ने हिंदी नाटक को एक नया मोड़ दिया, इसलिए उन्हें प्रसादोत्तर नाटक, आधुनिकता बोध के नाटक और नव-नाट्य लेखन की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है।
93. ‘आषाढ़ का एक दिन’ में विलोम का चरित्र कैसा है?
व्याख्या: विलोम केवल एक खलनायक नहीं है, वह कालिदास की कमजोरियों और पलायनवादी प्रवृत्ति पर सवाल उठाता है। वह कठोर यथार्थ का प्रतीक है।
94. मोहन राकेश का जन्म कहाँ हुआ था?
व्याख्या: मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था।
95. ‘आधे-अधूरे’ का प्रकाशन वर्ष क्या है?
व्याख्या: ‘आधे-अधूरे’ नाटक का प्रकाशन 1969 में हुआ और इसने हिंदी रंगमंच को एक नई दिशा दी।
96. राकेश के नाटकों में त्रासदी का मूल कारण क्या है?
व्याख्या: राकेश के पात्र (कालिदास, नंद, सावित्री) अपने द्वारा लिए गए निर्णयों और अपने आंतरिक द्वंद्व के कारण ही त्रासदी को भोगते हैं। त्रासदी बाहरी नहीं, आंतरिक है।
97. ‘शायद’ और ‘हूँ’ जैसे शब्दों का बार-बार प्रयोग मोहन राकेश की किस नाट्य-विशेषता को दर्शाता है?
व्याख्या: ये शब्द पात्रों के मन की अनिश्चितता, असमंजस और संवाद को पूरा न कर पाने की स्थिति को दर्शाते हैं, जो आधुनिक जीवन की एक बड़ी त्रासदी है।
98. किस नाटककार ने हिंदी नाटक को पहली बार ‘अखिल भारतीय स्तर’ प्रदान किया?
व्याख्या: मोहन राकेश के नाटकों का मंचन भारत की लगभग सभी भाषाओं में हुआ और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली। उन्होंने हिंदी नाटक को प्रांतीयता से निकालकर अखिल भारतीय बनाया।
99. ‘लहरों के राजहंस’ में नंद किसके प्रभाव में आकर भिक्षु बनना चाहता है?
व्याख्या: नंद, जो गौतम बुद्ध का सौतेला भाई है, बुद्ध के उपदेशों से प्रभावित होकर संसार त्याग कर भिक्षु बनने का निर्णय लेता है, लेकिन अपनी पत्नी सुंदरी के मोह से मुक्त नहीं हो पाता।
100. हिंदी नाटक के इतिहास में ‘प्रसाद युग’ और ‘राकेश युग’ का विभाजन किस आधार पर किया जाता है?
व्याख्या: प्रसाद ने जहाँ ऐतिहासिक-सांस्कृतिक नाटकों को शिखर पर पहुँचाया, वहीं राकेश ने आधुनिक बोध के यथार्थवादी नाटकों की शुरुआत की। यह केवल काल का नहीं, बल्कि नाट्य-दृष्टि का भी परिवर्तन था, इसीलिए इन दो युगों की बात की जाती है।