1. प्रेमचन्द का प्रसिद्ध निबंध ‘साहित्य का उद्देश्य’ उनके किस दृष्टिकोण को दर्शाता है?
- (क) कला कला के लिए
- (ख) प्रगतिवादी और यथार्थवादी
- (ग) केवल मनोरंजन
- (घ) व्यक्तिवादी
सही उत्तर: (ख) प्रगतिवादी और यथार्थवादी
व्याख्या: ‘साहित्य का उद्देश्य’ निबंध में प्रेमचन्द ने स्पष्ट किया कि साहित्य का लक्ष्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज का मार्गदर्शन करना, समस्याओं को उजागर करना और प्रगतिशील मूल्यों को बढ़ावा देना है। यह उनके यथार्थवादी और प्रगतिवादी दृष्टिकोण का परिचायक है।
2. भीष्म साहनी मुख्य रूप से किस विधा के लिए जाने जाते हैं, लेकिन उनके निबंधों में भी वही संवेदनशीलता दिखती है?
- (क) कविता
- (ख) नाटक और कहानी
- (ग) आलोचना
- (घ) यात्रा-वृत्तांत
सही उत्तर: (ख) नाटक और कहानी
व्याख्या: भीष्म साहनी ‘तमस’ जैसे उपन्यास और अपनी कहानियों के लिए विश्व-विख्यात हैं। उनके निबंधों में भी वही मानवीय करुणा, सामाजिक चेतना और साम्प्रदायिक सौहार्द की चिंता दिखाई देती है जो उनके कथा-साहित्य का मूल स्वर है।
3. फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ के निबंध किस विशेष शैली के अंतर्गत आते हैं?
- (क) विचारात्मक निबंध
- (ख) ललित निबंध
- (ग) रिपोर्ताज
- (घ) व्यंग्यात्मक निबंध
सही उत्तर: (ग) रिपोर्ताज
व्याख्या: ‘रेणु’ जी ने निबंध की पारंपरिक विधा से अलग ‘रिपोर्ताज’ शैली में उत्कृष्ट लेखन किया। ‘ऋणजल धनजल’ और ‘नेपाली क्रांतिकथा’ जैसे उनके रिपोर्ताज किसी घटना या स्थिति का आँखों-देखा, सजीव और काव्यात्मक वर्णन प्रस्तुत करते हैं, जो निबंध के बहुत करीब है।
4. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के मनोविकार संबंधी निबंध किस संग्रह में संकलित हैं?
- (क) रस मीमांसा
- (ख) चिंतामणि (भाग-1)
- (ग) त्रिवेणी
- (घ) हिन्दी साहित्य का इतिहास
सही उत्तर: (ख) चिंतामणि (भाग-1)
व्याख्या: आचार्य शुक्ल के प्रसिद्ध मनोविकार संबंधी निबंध जैसे – ‘उत्साह’, ‘श्रद्धा-भक्ति’, ‘करुणा’, ‘क्रोध’ आदि उनके निबंध संग्रह ‘चिंतामणि (भाग-1)’ में संकलित हैं। यह हिन्दी निबंध साहित्य की अमूल्य निधि है।
5. ‘कुटज’ निबंध के लेखक कौन हैं, जिसमें एक छोटे से फूल के माध्यम से जीवन के महान दर्शन को समझाया गया है?
- (क) विद्यानिवास मिश्र
- (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (ग) कुबेरनाथ राय
- (घ) रामचन्द्र शुक्ल
सही उत्तर: (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी
व्याख्या: ‘कुटज’ आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का एक प्रसिद्ध ललित निबंध है। इसमें वे हिमालय पर उगने वाले एक गुमनाम से फूल ‘कुटज’ के माध्यम से जिजीविषा, आत्मसम्मान और विपरीत परिस्थितियों में भी টিকে रहने का संदेश देते हैं।
6. प्रेमचन्द के निबंध संग्रह ‘कुछ विचार’ में किस तरह के विषयों पर लेख संकलित हैं?
- (क) केवल साहित्यिक समीक्षा
- (ख) सामाजिक, राजनीतिक और साहित्यिक
- (ग) केवल ग्रामीण जीवन
- (घ) हास्य-व्यंग्य
सही उत्तर: (ख) सामाजिक, राजनीतिक और साहित्यिक
व्याख्या: ‘कुछ विचार’ में प्रेमचन्द ने तत्कालीन सामाजिक कुरीतियों, राजनीतिक हलचलों (स्वतंत्रता आंदोलन), और साहित्य के स्वरूप तथा उद्देश्य पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। यह उनकी गहरी सामाजिक और राजनीतिक समझ को दर्शाता है।
7. ‘अतीत के चलचित्र’ और ‘स्मृति की रेखाएँ’ महादेवी वर्मा की किस प्रकार की गद्य रचनाएँ हैं, जिन्हें निबंध की श्रेणी में भी रखा जाता है?
- (क) कहानी संग्रह
- (ख) उपन्यास
- (ग) रेखाचित्र और संस्मरण
- (घ) यात्रा-वृत्तांत
सही उत्तर: (ग) रेखाचित्र और संस्मरण
व्याख्या: ये रचनाएँ रेखाचित्र और संस्मरण की विधा में आती हैं, जिसमें लेखिका अपने संपर्क में आए साधारण और उपेक्षित पात्रों का अत्यंत मार्मिक और सजीव चित्रण करती हैं। इनकी शैली और भावनात्मक गहराई इन्हें निबंध के करीब लाती है।
8. हरिशंकर परसाई किस प्रकार के निबंध लेखन के लिए प्रसिद्ध हैं?
- (क) ललित निबंध
- (ख) व्यंग्य निबंध
- (ग) भावात्मक निबंध
- (घ) वर्णनात्मक निबंध
सही उत्तर: (ख) व्यंग्य निबंध
व्याख्या: हरिशंकर परसाई हिन्दी साहित्य के सबसे बड़े व्यंग्यकारों में से एक हैं। उन्होंने अपने निबंधों के माध्यम से समाज, राजनीति और व्यवस्था में व्याप्त पाखंड, भ्रष्टाचार और विसंगतियों पर तीखा प्रहार किया है। ‘विकलांग श्रद्धा का दौर’ इसका उत्कृष्ट उदाहरण है।
9. फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ का रिपोर्ताज ‘ऋणजल धनजल’ किस प्राकृतिक आपदा पर आधारित है?
- (क) भूकंप
- (ख) सूखा और बाढ़
- (ग) चक्रवाती तूफान
- (घ) महामारी
सही उत्तर: (ख) सूखा और बाढ़
व्याख्या: ‘ऋणजल धनजल’ में रेणु जी ने 1966 में बिहार में पड़े भयानक सूखे और उसके बाद 1967 में आई विनाशकारी बाढ़ का अत्यंत सजीव और मार्मिक वर्णन किया है। यह प्रकृति और मनुष्य के संघर्ष की गाथा है।
10. “भय जब स्वभावगत हो जाता है, तब कायरता या भीरुता कहलाता है।” यह पंक्ति किस निबंधकार के निबंध से है?
- (क) प्रेमचन्द
- (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (ग) रामचन्द्र शुक्ल
- (घ) महादेवी वर्मा
सही उत्तर: (ग) रामचन्द्र शुक्ल
व्याख्या: यह प्रसिद्ध पंक्ति आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के मनोविकार संबंधी निबंध ‘भय’ से ली गई है। इसमें वे भय के विभिन्न रूपों और परिणामों का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करते हैं।
11. ‘मेरे राम का मुकुट भीग रहा है’ – इस प्रसिद्ध ललित निबंध के रचनाकार कौन हैं?
- (क) कुबेरनाथ राय
- (ख) विवेकी राय
- (ग) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (घ) विद्यानिवास मिश्र
सही उत्तर: (घ) विद्यानिवास मिश्र
व्याख्या: ‘मेरे राम का मुकुट भीग रहा है’ पं. विद्यानिवास मिश्र का एक अत्यंत मार्मिक और प्रसिद्ध ललित निबंध है। इसमें वे एक लोकगीत के माध्यम से पीढ़ियों के बीच की चिंता और स्नेह को व्यक्त करते हैं।
12. प्रेमचन्द ने अपने निबंधों में किस भाषा का समर्थन किया?
- (क) क्लिष्ट संस्कृतनिष्ठ हिन्दी
- (ख) फारसी बहुल उर्दू
- (ग) सरल, सहज हिन्दुस्तानी
- (घ) केवल अंग्रेजी
सही उत्तर: (ग) सरल, सहज हिन्दुस्तानी
व्याख्या: प्रेमचन्द भाषा के मामले में यथार्थवादी थे। वे ऐसी भाषा के पक्षधर थे जो आम जनता आसानी से समझ सके, जिसमें हिन्दी और उर्दू के प्रचलित शब्द शामिल हों। इसी भाषा को वे ‘हिन्दुस्तानी’ कहते थे।
13. भीष्म साहनी के निबंधों का मूल स्वर क्या है?
- (क) घोर निराशावाद
- (ख) पलायनवाद
- (ग) मानवतावाद और सामाजिक सरोकार
- (घ) शुद्ध अकादमिक विश्लेषण
सही उत्तर: (ग) मानवतावाद और सामाजिक सरोकार
व्याख्या: अपने कथा-साहित्य की ही तरह, भीष्म साहनी के निबंध भी गहरी मानवीय संवेदना और सामाजिक चिंताओं से ओत-प्रोत हैं। वे साम्प्रदायिक सद्भाव, मानवीय मूल्यों और एक बेहतर समाज के निर्माण की बात करते हैं।
14. ‘शिरीष के फूल’ निबंध में हजारी प्रसाद द्विवेदी ने शिरीष को किसके प्रतीक के रूप में चित्रित किया है?
- (क) कोमलता और सुंदरता
- (ख) अवधूत (कालजयी योगी)
- (ग) क्षणभंगुरता
- (घ) धन और वैभव
सही उत्तर: (ख) अवधूत (कालजयी योगी)
व्याख्या: इस निबंध में द्विवेदी जी ने शिरीष के फूल को एक अवधूत या योगी के प्रतीक के रूप में देखा है, जो भयंकर गर्मी और लू के थपेड़ों के बीच भी सरस और खिला रहता है। यह सांसारिक सुख-दुःख से परे स्थिर रहने का संदेश है।
15. ‘श्रृंखला की कड़ियाँ’ में महादेवी वर्मा ने मुख्य रूप से किस विषय पर निबंध लिखे हैं?
- (क) पशु-पक्षियों का जीवन
- (ख) प्रकृति चित्रण
- (ग) भारतीय नारी की समस्याएँ और मुक्ति
- (घ) साहित्यिक सिद्धांत
सही उत्तर: (ग) भारतीय नारी की समस्याएँ और मुक्ति
व्याख्या: ‘श्रृंखला की कड़ियाँ’ (1942) महादेवी वर्मा के स्त्री-विमर्श संबंधी निबंधों का एक क्रांतिकारी संग्रह है। इसमें उन्होंने बाल-विवाह, विधवा-जीवन, स्त्री-शिक्षा जैसी समस्याओं पर निर्भीकता से अपने विचार प्रकट किए हैं।
16. ‘उत्साह’ निबंध में आचार्य शुक्ल ने उत्साह का मूल आधार किसे माना है?
- (क) फल की इच्छा
- (ख) कर्म में आनंद का अनुभव
- (ग) दूसरों की प्रशंसा
- (घ) भय का अभाव
सही उत्तर: (ख) कर्म में आनंद का अनुभव
व्याख्या: शुक्ल जी के अनुसार, सच्चा उत्साह केवल फल की प्राप्ति पर ही निर्भर नहीं करता, बल्कि कर्म-विधान या प्रयास के दौरान मिलने वाले आनंद पर आधारित होता है। साहसी व्यक्ति को युद्ध करने में ही आनंद मिलता है, केवल जीत में नहीं।
17. प्रेमचन्द ने ‘महाजनी सभ्यता’ निबंध में किसकी आलोचना की है?
- (क) सामंतवादी व्यवस्था
- (ख) पूँजीवादी और शोषणकारी व्यवस्था
- (ग) धार्मिक पाखंड
- (घ) जाति प्रथा
सही उत्तर: (ख) पूँजीवादी और शोषणकारी व्यवस्था
व्याख्या: ‘महाजनी सभ्यता’ निबंध में प्रेमचन्द ने उस पूँजीवादी व्यवस्था पर प्रहार किया है जहाँ धन ही सब कुछ है और मानवीय संबंधों का कोई मूल्य नहीं। यह सभ्यता शोषण और कर्ज के जाल पर आधारित है।
18. ‘तुम चंदन हम पानी’ निबंध संग्रह किसका है?
- (क) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (ख) विद्यानिवास मिश्र
- (ग) अज्ञेय
- (घ) धर्मवीर भारती
सही उत्तर: (ख) विद्यानिवास मिश्र
व्याख्या: यह विद्यानिवास मिश्र का प्रसिद्ध ललित निबंध संग्रह है। इसका शीर्षक संत रैदास की पंक्ति “प्रभु जी तुम चंदन हम पानी” से प्रेरित है, और इसमें भक्ति, लोक-संस्कृति और प्रकृति का सुंदर समन्वय है।
19. ‘आचरण की सभ्यता’ नामक प्रसिद्ध निबंध के लेखक कौन हैं?
- (क) महावीर प्रसाद द्विवेदी
- (ख) सरदार पूर्ण सिंह
- (ग) बालकृष्ण भट्ट
- (घ) श्यामसुंदर दास
सही उत्तर: (ख) सरदार पूर्ण सिंह
व्याख्या: सरदार पूर्ण सिंह ने बहुत कम निबंध लिखे, लेकिन वे सभी बहुत प्रसिद्ध हुए। ‘आचरण की सभ्यता’, ‘मजदूरी और प्रेम’, ‘सच्ची वीरता’ उनके भावात्मक और दार्शनिक निबंधों के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
20. रेणु की किस रचना को ‘कथात्मक रिपोर्ताज’ कहा जाता है?
- (क) मैला आँचल
- (ख) परती परिकथा
- (ग) नेपाली क्रांतिकथा
- (घ) जुलूस
सही उत्तर: (ग) नेपाली क्रांतिकथा
व्याख्या: ‘नेपाली क्रांतिकथा’ में रेणु जी ने नेपाल में राणाशाही के विरुद्ध हुए जन-आंदोलन का आँखों देखा हाल लिखा है। इसमें घटना का वर्णन एक कहानी की तरह किया गया है, इसलिए इसे ‘कथात्मक रिपोर्ताज’ की संज्ञा दी जाती है।
21. ‘विकलांग श्रद्धा का दौर’ के लिए हरिशंकर परसाई को कौन-सा प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला?
- (क) ज्ञानपीठ पुरस्कार
- (ख) साहित्य अकादमी पुरस्कार
- (ग) व्यास सम्मान
- (घ) पद्म भूषण
सही उत्तर: (ख) साहित्य अकादमी पुरस्कार
व्याख्या: हरिशंकर परसाई को उनके व्यंग्य निबंध संग्रह ‘विकलांग श्रद्धा का दौर’ के लिए वर्ष 1982 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
22. ‘अशोक के फूल’ निबंध के माध्यम से हजारी प्रसाद द्विवेदी क्या संदेश देना चाहते हैं?
- (क) अशोक के फूल बहुत सुंदर होते हैं।
- (ख) संस्कृति निरंतर प्रवाहमान और परिवर्तनशील है।
- (ग) हमें पुरानी परंपराओं से चिपके रहना चाहिए।
- (घ) फूलों की खेती करनी चाहिए।
सही उत्तर: (ख) संस्कृति निरंतर प्रवाहमान और परिवर्तनशील है।
व्याख्या: इस निबंध में द्विवेदी जी बताते हैं कि कैसे एक समय में अत्यंत महत्वपूर्ण और पूजनीय ‘अशोक का फूल’ आज साहित्य और समाज से भुला दिया गया है। इसके माध्यम से वे यह दर्शाते हैं कि संस्कृति स्थिर नहीं है, वह समय के साथ बदलती रहती है और हमें इस परिवर्तन को स्वीकार करना चाहिए।
23. प्रेमचन्द के निबंध किस पत्रिका में प्रमुखता से छपते थे?
- (क) सरस्वती
- (ख) हंस और जागरण
- (ग) चाँद
- (घ) माधुरी
सही उत्तर: (ख) हंस और जागरण
व्याख्या: प्रेमचन्द ने ‘हंस’ पत्रिका का संपादन किया और ‘जागरण’ नामक साप्ताहिक पत्र भी निकाला। उनके अधिकांश विचारोत्तेजक निबंध और संपादकीय इन्हीं पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।
24. ‘चिंतामणि’ के निबंधों की भाषा-शैली कैसी है?
- (क) अत्यंत सरल और बोलचाल की
- (ख) काव्यात्मक और ललित
- (ग) विचारात्मक, विश्लेषणात्मक और सूत्रबद्ध
- (घ) व्यंग्यात्मक और हास्यपूर्ण
सही उत्तर: (ग) विचारात्मक, विश्लेषणात्मक और सूत्रबद्ध
व्याख्या: आचार्य शुक्ल के निबंधों की शैली गंभीर, विचारात्मक और विश्लेषणात्मक है। वे विषय का तार्किक विश्लेषण करते हैं और अपनी बात को सूत्रवाक्यों में कहने में माहिर हैं। उनकी भाषा तत्सम प्रधान और परिमार्जित है।
25. ‘गेहूँ बनाम गुलाब’ निबंध के लेखक कौन हैं, जिसमें भौतिक प्रगति और मानसिक/आध्यात्मिक प्रगति का संतुलन साधने की बात कही गई है?
- (क) प्रेमचन्द
- (ख) रामवृक्ष बेनीपुरी
- (ग) जैनेन्द्र कुमार
- (घ) अज्ञेय
सही उत्तर: (ख) रामवृक्ष बेनीपुरी
व्याख्या: ‘गेहूँ बनाम गुलाब’ रामवृक्ष बेनीपुरी का प्रसिद्ध प्रतीकात्मक निबंध है। इसमें ‘गेहूँ’ भौतिक आवश्यकताओं और ‘गुलाब’ कला, संस्कृति व मानसिक उन्नति का प्रतीक है। बेनीपुरी जी दोनों के बीच संतुलन स्थापित करने पर बल देते हैं।
26. ‘मजदूरी और प्रेम’ निबंध में सरदार पूर्ण सिंह ने किन लोगों के जीवन को सच्चा और सार्थक बताया है?
- (क) राजा और सामंत
- (ख) बुद्धिजीवी और लेखक
- (ग) किसान, गड़रिया और हाथ से काम करने वाले श्रमिक
- (घ) व्यापारी और उद्योगपति
सही उत्तर: (ग) किसान, गड़रिया और हाथ से काम करने वाले श्रमिक
व्याख्या: इस निबंध में सरदार पूर्ण सिंह परिश्रम से भरे जीवन का गौरव-गान करते हैं। वे किसान, हल चलाने वाले, भेड़ चराने वाले आदि के सादगीपूर्ण और श्रमशील जीवन को ही ईश्वर की सच्ची भक्ति और महानता का परिचायक मानते हैं।
27. ‘साहित्यकार का दायित्व’ जैसे निबंधों के माध्यम से भीष्म साहनी साहित्य से क्या अपेक्षा रखते हैं?
- (क) वह केवल मनोरंजन करे
- (ख) वह कल्पना की ऊंची उड़ान भरे
- (ग) वह सामाजिक यथार्थ के प्रति सजग और प्रतिबद्ध हो
- (घ) वह केवल अतीत का गौरव-गान करे
सही उत्तर: (ग) वह सामाजिक यथार्थ के प्रति सजग और प्रतिबद्ध हो
व्याख्या: भीष्म साहनी प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़े थे और मानते थे कि साहित्यकार का यह दायित्व है कि वह अपने समाज की समस्याओं को समझे, उसके प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाए और लेखन के माध्यम से एक बेहतर समाज के निर्माण में योगदान दे।
28. ‘कविता क्या है?’ निबंध किस लेखक का है, जो काव्य-समीक्षा का एक मील का पत्थर माना जाता है?
- (क) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (ख) नगेन्द्र
- (ग) रामचन्द्र शुक्ल
- (घ) नामवर सिंह
सही उत्तर: (ग) रामचन्द्र शुक्ल
व्याख्या: ‘कविता क्या है?’ आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का एक अत्यंत महत्वपूर्ण सैद्धांतिक समीक्षात्मक निबंध है, जो ‘चिंतामणि (भाग-1)’ में संकलित है। इसमें उन्होंने कविता के स्वरूप, उद्देश्य और तत्वों का गहन विश्लेषण किया है।
29. फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ के गद्य की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?
- (क) महानगरीय जीवन का चित्रण
- (ख) आंचलिकता और लोक-संस्कृति की गंध
- (ग) जटिल दार्शनिक विवेचन
- (घ) शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली का प्रयोग
सही उत्तर: (ख) आंचलिकता और लोक-संस्कृति की गंध
व्याख्या: रेणु जी के गद्य की पहचान ही उनकी आंचलिकता है। वे अपने पात्रों, परिवेश, भाषा (स्थानीय बोलियों के शब्द), लोकगीतों, और मुहावरों के माध्यम से ग्रामीण अंचल (विशेषकर बिहार के पूर्णिया क्षेत्र) को जीवंत कर देते हैं।
30. ‘निठल्ले की डायरी’ किसका व्यंग्य संग्रह है?
- (क) शरद जोशी
- (ख) श्रीलाल शुक्ल
- (ग) हरिशंकर परसाई
- (घ) रवीन्द्रनाथ त्यागी
सही उत्तर: (ग) हरिशंकर परसाई
व्याख्या: ‘निठल्ले की डायरी’ हरिशंकर परसाई के प्रसिद्ध व्यंग्यात्मक लेखों का संग्रह है। इसमें डायरी शैली में सामाजिक और राजनीतिक विसंगतियों पर चुटीले व्यंग्य किए गए हैं।
31. ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं?’ – इस ललित निबंध के लेखक कौन हैं?
- (क) रामचन्द्र शुक्ल
- (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (ग) विद्यानिवास मिश्र
- (घ) प्रेमचन्द
सही उत्तर: (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी
व्याख्या: ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं?’ हजारी प्रसाद द्विवेदी का एक विचारोत्तेजक ललित निबंध है। इसमें वे एक साधारण से प्रश्न के माध्यम से मनुष्य की पाशविक वृत्ति और उसे नियंत्रित करने वाली मानवीयता (सभ्यता) के बीच के द्वंद्व को दर्शाते हैं।
32. प्रेमचन्द ने ‘स्वराज के फायदे’ निबंध में किस बात पर व्यंग्य किया है?
- (क) अंग्रेजों के शासन पर
- (ख) उन भारतीय नेताओं पर जो स्वराज का मतलब केवल पद और सत्ता भोगना समझते हैं
- (ग) अशिक्षा और गरीबी पर
- (घ) ग्रामीण जीवन पर
सही उत्तर: (ख) उन भारतीय नेताओं पर जो स्वराज का मतलब केवल पद और सत्ता भोगना समझते हैं
व्याख्या: यह प्रेमचन्द का एक दूरदर्शी व्यंग्यात्मक निबंध है जिसमें वे आगाह करते हैं कि यदि स्वराज का अर्थ केवल गोरों की जगह कालों का शासन हो जाना है और आम जनता की स्थिति में कोई सुधार नहीं होता, तो ऐसा स्वराज निरर्थक है।
33. हिन्दी में ‘ललित निबंध’ विधा को स्थापित करने का श्रेय प्रमुख रूप से किसे दिया जाता है?
- (क) रामचन्द्र शुक्ल
- (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी, विद्यानिवास मिश्र, कुबेरनाथ राय
- (ग) प्रेमचन्द और भीष्म साहनी
- (घ) हरिशंकर परसाई
सही उत्तर: (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी, विद्यानिवास मिश्र, कुबेरनाथ राय
व्याख्या: ललित निबंध में विषय की गंभीरता के साथ लेखक का व्यक्तित्व, आत्मीयता, काव्यात्मकता और लालित्य का समावेश होता है। हजारी प्रसाद द्विवेदी को इसका प्रवर्तक माना जाता है, और विद्यानिवास मिश्र तथा कुबेरनाथ राय ने इस परंपरा को चरमोत्कर्ष पर पहुँचाया।
34. ‘अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा’ निबंध के माध्यम से राहुल सांकृत्यायन किस बात पर जोर देते हैं?
- (क) घर पर रहकर अध्ययन करने पर
- (ख) यात्रा और घुमक्कड़ी के महत्व पर
- (ग) धार्मिक अनुष्ठानों पर
- (घ) धन संग्रह करने पर
सही उत्तर: (ख) यात्रा और घुमक्कड़ी के महत्व पर
व्याख्या: महापंडित राहुल सांकृत्यायन एक महान घुमक्कड़ थे। अपने इस प्रसिद्ध निबंध में वे ज्ञान-अर्जन, अनुभव-विस्तार और जीवन को समझने के लिए यात्रा और घुमक्कड़ी को एक अनिवार्य शर्त मानते हैं।
35. ‘श्रद्धा-भक्ति’ निबंध में शुक्ल जी श्रद्धा और प्रेम में क्या मुख्य अंतर बताते हैं?
- (क) श्रद्धा सामाजिक है, प्रेम व्यक्तिगत है
- (ख) श्रद्धा में विस्तार है, प्रेम में घनत्व
- (ग) श्रद्धा कर्म पर और प्रेम रूप पर आधारित होता है
- (घ) उपरोक्त सभी
सही उत्तर: (घ) उपरोक्त सभी
व्याख्या: आचार्य शुक्ल के अनुसार, प्रेम किसी एक व्यक्ति पर केन्द्रित (व्यक्तिगत) होता है, जबकि श्रद्धा किसी के गुणों के कारण होती है और उसका प्रभाव सामाजिक होता है। श्रद्धा का कारण व्यक्ति के कर्म, शील या प्रतिभा होते हैं, जबकि प्रेम का आधार व्यक्ति का रूप या सान्निध्य हो सकता है।
36. ‘त्रिवेणी’ में आचार्य शुक्ल ने किन तीन कवियों की समीक्षा प्रस्तुत की है?
- (क) कबीर, रैदास, नानक
- (ख) सूर, तुलसी, जायसी
- (ग) प्रसाद, पंत, निराला
- (घ) बिहारी, केशव, भूषण
सही उत्तर: (ख) सूर, तुलसी, जायसी
व्याख्या: ‘त्रिवेणी’ आचार्य शुक्ल का प्रसिद्ध आलोचनात्मक ग्रंथ है जिसमें निबंधात्मक शैली में भक्तिकाल के तीन महाकवियों – सूरदास, तुलसीदास और मलिक मुहम्मद जायसी के काव्य का मूल्यांकन किया गया है।
37. “साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है।” – यह प्रसिद्ध कथन किस निबंधकार का है?
- (क) प्रेमचन्द
- (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (ग) बालकृष्ण भट्ट
- (घ) महावीर प्रसाद द्विवेदी
सही उत्तर: (ग) बालकृष्ण भट्ट
व्याख्या: यह प्रसिद्ध और बहु-उद्धृत कथन भारतेंदु युग के प्रमुख निबंधकार बालकृष्ण भट्ट का है। वे ‘हिन्दी प्रदीप’ पत्रिका के संपादक थे और उन्होंने अपने निबंधों में साहित्य को समाज और जनता से जोड़ने पर बल दिया।
38. धर्मवीर भारती का निबंध संग्रह ‘ठेले पर हिमालय’ किस विधा के निकट है?
- (क) शुद्ध व्यंग्य
- (ख) रिपोर्ताज
- (ग) यात्रा-वृत्तांत और संस्मरण
- (घ) सैद्धांतिक आलोचना
सही उत्तर: (ग) यात्रा-वृत्तांत और संस्मरण
व्याख्या: ‘ठेले पर हिमालय’ धर्मवीर भारती के यात्रा-संस्मरणों का एक अत्यंत लोकप्रिय संग्रह है। इसमें कौसानी की यात्रा का वर्णन है, जिसकी शैली काव्यात्मक और प्रवाहपूर्ण है, जो इसे निबंध की श्रेणी में भी रखती है।
39. ‘करुणा’ निबंध में शुक्ल जी ने करुणा को क्या माना है?
- (क) एक कमजोरी
- (ख) शील या धर्म का एक प्रधान अंग
- (ग) केवल स्त्रियों का गुण
- (घ) एक निरर्थक भाव
सही उत्तर: (ख) शील या धर्म का एक प्रधान अंग
व्याख्या: शुक्ल जी करुणा को मनुष्य का एक आवश्यक और श्रेष्ठ गुण मानते हैं। उनके अनुसार, दूसरे के दुःख से दुखी होने की भावना (करुणा) ही मनुष्य को सामाजिक बनाती है और यह शील (सदाचार) का एक प्रमुख अंग है।
40. प्रेमचन्द ने ‘उपन्यास’ शीर्षक निबंध में उपन्यास का संबंध किससे जोड़ा है?
- (क) केवल मनोरंजन और तिलिस्म
- (ख) मानव-चरित्र और यथार्थ जीवन की समस्याओं से
- (ग) केवल ऐतिहासिक घटनाओं से
- (घ) केवल आदर्शवाद से
सही उत्तर: (ख) मानव-चरित्र और यथार्थ जीवन की समस्याओं से
व्याख्या: प्रेमचन्द ने अपने इस निबंध में उपन्यास को केवल मनोरंजन या जासूसी-तिलिस्मी कथाओं से ऊपर उठाकर उसे मानव-चरित्र के उद्घाटन और जीवन की वास्तविक समस्याओं के चित्रण का माध्यम माना है।
41. ‘भूत के पाँव पीछे’ किसकी व्यंग्य रचना है?
- (क) भीष्म साहनी
- (ख) हरिशंकर परसाई
- (ग) फणीश्वरनाथ ‘रेणु’
- (घ) श्रीलाल शुक्ल
सही उत्तर: (ख) हरिशंकर परसाई
व्याख्या: ‘भूत के पाँव पीछे’ हरिशंकर परसाई का एक और प्रसिद्ध व्यंग्य संग्रह है, जिसमें वे राजनीति और समाज में व्याप्त दोहरे चरित्र और पाखंड पर तीखे व्यंग्य करते हैं।
42. ‘गन्धमादन’ निबंध संग्रह के रचयिता कौन हैं?
- (क) विद्यानिवास मिश्र
- (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (ग) कुबेरनाथ राय
- (घ) विवेकी राय
सही उत्तर: (ग) कुबेरनाथ राय
व्याख्या: कुबेरनाथ राय ललित निबंधकारों की परंपरा में एक महत्वपूर्ण नाम हैं। ‘गन्धमादन’, ‘प्रिया नीलकंठी’, ‘रस आखेटक’ उनके प्रसिद्ध निबंध संग्रह हैं, जिनमें भारतीय संस्कृति, मिथक और प्रकृति का अद्भुत संगम है।
43. ‘शिवशंभु के चिट्ठे’ नामक व्यंग्यात्मक निबंध किसने लिखे हैं?
- (क) भारतेंदु हरिश्चंद्र
- (ख) बालकृष्ण भट्ट
- (ग) बालमुकुंद गुप्त
- (घ) महावीर प्रसाद द्विवेदी
सही उत्तर: (ग) बालमुकुंद गुप्त
व्याख्या: ‘शिवशंभु के चिट्ठे’ बालमुकुंद गुप्त द्वारा लिखे गए व्यंग्यात्मक निबंधों की श्रृंखला है, जो ‘भारत मित्र’ पत्रिका में छपे थे। इनमें तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन की नीतियों पर तीखा व्यंग्य किया गया था।
44. हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंधों की मुख्य विशेषता क्या नहीं है?
- (क) परंपरा और आधुनिकता का समन्वय
- (ख) गहन शोध और विद्वत्ता
- (ग) काव्यात्मकता और लालित्य
- (घ) विशुद्ध राजनीतिक व्यंग्य
सही उत्तर: (घ) विशुद्ध राजनीतिक व्यंग्य
व्याख्या: द्विवेदी जी के निबंधों में विद्वत्ता, परंपरा का गहरा ज्ञान, मानवतावादी दृष्टिकोण और काव्यात्मक शैली का अद्भुत मेल है। वे सांस्कृतिक और साहित्यिक विषयों पर लिखते थे। विशुद्ध राजनीतिक व्यंग्य उनकी शैली नहीं थी, यह परसाई जी की विशेषता है।
45. ‘आत्मनेपद’ और ‘त्रिशंकु’ किस निबंधकार की रचनाएँ हैं?
- (क) जैनेन्द्र कुमार
- (ख) मुक्तिबोध
- (ग) अज्ञेय
- (घ) नगेन्द्र
सही उत्तर: (ग) अज्ञेय
व्याख्या: ‘आत्मनेपद’ और ‘त्रिशंकु’ सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ के महत्वपूर्ण निबंध संग्रह हैं। इनमें उन्होंने साहित्य, कला, संस्कृति और व्यक्ति-स्वातंत्र्य जैसे विषयों पर मौलिक चिंतन प्रस्तुत किया है।
46. प्रेमचन्द ने ‘पुरानी प्रथा, नयी प्रथा’ निबंध में किस सामाजिक कुरीति पर प्रहार किया है?
- (क) दहेज प्रथा
- (ख) बाल विवाह
- (ग) जाति भेद
- (घ) अनमेल विवाह
सही उत्तर: (घ) अनमेल विवाह
व्याख्या: इस निबंध में प्रेमचन्द ने धन के लोभ में वृद्ध पुरुषों के साथ युवतियों के विवाह (अनमेल विवाह) की प्रथा की कठोर आलोचना की है और इसे एक सामाजिक अभिशाप बताया है।
47. ‘एक साहित्यिक की डायरी’ नामक चिंतनपरक गद्य रचना किसकी है, जिसे निबंध के रूप में भी पढ़ा जाता है?
- (क) हरिशंकर परसाई
- (ख) गजानन माधव मुक्तिबोध
- (ग) अज्ञेय
- (घ) निर्मल वर्मा
सही उत्तर: (ख) गजानन माधव मुक्तिबोध
व्याख्या: ‘एक साहित्यिक की डायरी’ मुक्तिबोध की एक अत्यंत महत्वपूर्ण कृति है। इसमें उन्होंने डायरी शैली में साहित्य, कला, जीवन और आत्म-संघर्ष पर गहन और जटिल चिंतन प्रस्तुत किया है।
48. ‘लोभ और प्रीति’ निबंध में शुक्ल जी ने लोभ को प्रीति (प्रेम) का कौन-सा रूप माना है?
- (क) विकृत रूप
- (ख) प्रारंभिक रूप
- (ग) विकसित रूप
- (घ) विरोधी रूप
सही उत्तर: (ख) प्रारंभिक रूप
व्याख्या: शुक्ल जी के अनुसार, जब किसी वस्तु के प्रति हमारा लगाव सामान्य होता है, तो वह लोभ है। जब वही लगाव इतना बढ़ जाए कि हम उस वस्तु को दूसरों से अलग, विशेष रूप में देखने लगें, तो वही लोभ प्रेम (प्रीति) में बदल जाता है।
49. भीष्म साहनी के निबंधों में किस विचारधारा का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है?
- (क) अस्तित्ववाद
- (ख) गांधीवाद
- (ग) मार्क्सवादी प्रगतिशील चेतना
- (घ) मनोविश्लेषणवाद
सही उत्तर: (ग) मार्क्सवादी प्रगतिशील चेतना
व्याख्या: भीष्म साहनी प्रगतिशील लेखक संघ के एक प्रमुख सदस्य थे। उनके लेखन पर, चाहे वह कहानी हो, उपन्यास हो या निबंध, मार्क्सवादी विचारधारा का गहरा प्रभाव है, जिसमें वे शोषित वर्ग के प्रति सहानुभूति और सामाजिक समानता की वकालत करते हैं।
50. ‘वनतुलसी की गंध’ किसका संस्मरणात्मक निबंध संग्रह है?
- (क) विद्यानिवास मिश्र
- (ख) कुबेरनाथ राय
- (ग) फणीश्वरनाथ ‘रेणु’
- (घ) विवेकी राय
सही उत्तर: (ग) फणीश्वरनाथ ‘रेणु’
व्याख्या: ‘वनतुलसी की गंध’ रेणु जी के संस्मरणों का संग्रह है। इसमें उन्होंने अपने जीवन के विभिन्न पड़ावों और संपर्क में आए लोगों का अपनी विशिष्ट आंचलिक शैली में चित्रण किया है।
51. ‘कहनी-अनकहनी’ किस प्रसिद्ध निबंधकार का निबंध संग्रह है?
- (क) अज्ञेय
- (ख) धर्मवीर भारती
- (ग) निर्मल वर्मा
- (घ) जैनेन्द्र कुमार
सही उत्तर: (ख) धर्मवीर भारती
व्याख्या: ‘कहनी-अनकहनी’ धर्मवीर भारती के ललित और विचारात्मक निबंधों का संग्रह है। इसमें साहित्य, समाज और व्यक्तिगत अनुभूतियों पर लिखे गए लेख शामिल हैं।
52. जैनेन्द्र कुमार के निबंधों की मुख्य विशेषता क्या है?
- (क) मार्क्सवादी विश्लेषण
- (ख) आंचलिकता का पुट
- (ग) मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक चिंतन
- (घ) ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन
सही उत्तर: (ग) मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक चिंतन
व्याख्या: जैनेन्द्र कुमार के निबंध (‘जड़ की बात’, ‘साहित्य का श्रेय और प्रेय’) मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक गहराई लिए होते हैं। वे व्यक्ति के अंतर्मन, नैतिकता, प्रेम और ईश्वर जैसे विषयों पर मौलिक चिंतन प्रस्तुत करते हैं।
53. ‘पगडंडियों का ज़माना’ किसकी व्यंग्य कृति है?
- (क) हरिशंकर परसाई
- (ख) शरद जोशी
- (ग) श्रीलाल शुक्ल
- (घ) रवीन्द्रनाथ त्यागी
सही उत्तर: (क) हरिशंकर परसाई
व्याख्या: ‘पगडंडियों का ज़माना’ हरिशंकर परसाई का एक और चर्चित व्यंग्य संग्रह है, जिसमें वे समकालीन सामाजिक-राजनीतिक विद्रूपताओं पर अपनी चुटीली शैली में प्रहार करते हैं।
54. ‘रस आखेटक’ के रचनाकार कौन हैं?
- (क) विद्यानिवास मिश्र
- (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (ग) कुबेरनाथ राय
- (घ) विवेकी राय
सही उत्तर: (ग) कुबेरनाथ राय
व्याख्या: ‘रस आखेटक’ ललित निबंधकार कुबेरनाथ राय का एक महत्वपूर्ण निबंध संग्रह है। इसमें उन्होंने भारतीय मनीषा, लोक-विश्वास और प्रकृति के विविध रूपों का रसात्मक वर्णन किया है।
55. ‘विविध प्रसंग’ नाम से किसके निबंधों का संग्रह प्रकाशित हुआ है?
- (क) आचार्य शुक्ल
- (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (ग) प्रेमचन्द
- (घ) महादेवी वर्मा
सही उत्तर: (ग) प्रेमचन्द
व्याख्या: ‘विविध प्रसंग’ तीन भागों में प्रकाशित प्रेमचन्द के लेखों, संपादकीयों और भाषणों का संग्रह है, जिसे उनके पुत्र अमृतराय ने संपादित किया था। इसमें उनके सामाजिक और राजनीतिक विचार स्पष्ट रूप से सामने आते हैं।
56. ‘कला का जोखिम’ निबंध संग्रह किसका है?
- (क) निर्मल वर्मा
- (ख) मुक्तिबोध
- (ग) अज्ञेय
- (घ) नामवर सिंह
सही उत्तर: (क) निर्मल वर्मा
व्याख्या: ‘कला का जोखिम’ निर्मल वर्मा का प्रसिद्ध निबंध संग्रह है, जिसमें उन्होंने कला, साहित्य, संस्कृति और आधुनिकता से जुड़े प्रश्नों पर गहनता से विचार किया है।
57. ‘भारतीय संस्कृति की देन’ नामक निबंध किसने लिखा है?
- (क) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
- (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (ग) वासुदेव शरण अग्रवाल
- (घ) सम्पूर्णानंद
सही उत्तर: (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी
व्याख्या: ‘भारतीय संस्कृति की देन’ हजारी प्रसाद द्विवेदी का एक महत्वपूर्ण निबंध है, जिसमें वे भारतीय संस्कृति की समन्वयवादी और ग्रहणशील प्रकृति पर प्रकाश डालते हैं।
58. ‘समय-समय पर’ किसके निबंधों का संकलन है?
- (क) भीष्म साहनी
- (ख) प्रेमचन्द
- (ग) रेणु
- (घ) परसाई
सही उत्तर: (क) भीष्म साहनी
व्याख्या: ‘समय-समय पर’ भीष्म साहनी के लेखों और निबंधों का संग्रह है, जिसमें उन्होंने सामाजिक, राजनीतिक और साहित्यिक विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं।
59. ‘छितवन की छाँह’ के रचनाकार हैं –
- (क) कुबेरनाथ राय
- (ख) विद्यानिवास मिश्र
- (ग) विवेकी राय
- (घ) हजारी प्रसाद द्विवेदी
सही उत्तर: (ख) विद्यानिवास मिश्र
व्याख्या: ‘छितवन की छाँह’ विद्यानिवास मिश्र का एक और प्रसिद्ध ललित निबंध संग्रह है, जो उनकी आत्मीय और काव्यात्मक शैली का बेहतरीन उदाहरण है।
60. ‘क्रोध’ निबंध के अनुसार, क्रोध का अचार या मुरब्बा क्या है?
- (क) घृणा
- (ख) ईर्ष्या
- (ग) वैर
- (घ) भय
सही उत्तर: (ग) वैर
व्याख्या: आचार्य शुक्ल अपने ‘क्रोध’ निबंध में लिखते हैं कि जब क्रोध को मन में बहुत दिनों तक टिका कर रखा जाता है, तो वह वैर का रूप ले लेता है। इसीलिए वे वैर को ‘क्रोध का अचार या मुरब्बा’ कहते हैं।
61. ‘श्रुत-अश्रुत पूर्व’ किसका रिपोर्ताज संग्रह है?
- (क) धर्मवीर भारती
- (ख) विवेकी राय
- (ग) फणीश्वरनाथ ‘रेणु’
- (घ) रामवृक्ष बेनीपुरी
सही उत्तर: (ग) फणीश्वरनाथ ‘रेणु’
व्याख्या: ‘श्रुत-अश्रुत पूर्व’ फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ के रिपोर्ताज और संस्मरणों का एक और महत्वपूर्ण संकलन है, जो उनकी सजीव चित्रण क्षमता को दर्शाता है।
62. ‘सदाचार का तावीज़’ में परसाई जी ने किस पर व्यंग्य किया है?
- (क) धार्मिक अंधविश्वास
- (ख) शिक्षा व्यवस्था
- (ग) भ्रष्टाचार को खत्म करने के ऊपरी और पाखंडपूर्ण उपायों पर
- (घ) न्याय व्यवस्था
सही उत्तर: (ग) भ्रष्टाचार को खत्म करने के ऊपरी और पाखंडपूर्ण उपायों पर
व्याख्या: इस व्यंग्य रचना में परसाई जी दिखाते हैं कि कैसे व्यवस्था भ्रष्टाचार की जड़ पर प्रहार करने के बजाय उसे खत्म करने के लिए तावीज़ जैसे हास्यास्पद और दिखावटी उपाय करती है।
63. ‘संस्कृति के चार अध्याय’ किसकी रचना है, जिसमें निबंधात्मक गद्य में भारतीय संस्कृति का विश्लेषण है?
- (क) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (ख) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
- (ग) राहुल सांकृत्यायन
- (घ) वासुदेव शरण अग्रवाल
सही उत्तर: (ख) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
व्याख्या: यद्यपि यह एक ग्रंथ है, इसकी शैली विश्लेषणात्मक और निबंधात्मक है। ‘संस्कृति के चार अध्याय’ के लिए दिनकर जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। इसमें उन्होंने भारतीय संस्कृति के विकास को चार क्रांतियों के रूप में प्रस्तुत किया है।
64. ‘पृथ्वीपुत्र’ नामक निबंध संग्रह के लेखक कौन हैं?
- (क) सम्पूर्णानंद
- (ख) रामवृक्ष बेनीपुरी
- (ग) वासुदेव शरण अग्रवाल
- (घ) जैनेन्द्र कुमार
सही उत्तर: (ग) वासुदेव शरण अग्रवाल
व्याख्या: डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल एक प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता और निबंधकार थे। ‘पृथ्वीपुत्र’, ‘कल्पवृक्ष’, ‘माता भूमि’ उनके निबंध संग्रह हैं, जिनमें वे भारतीय संस्कृति, कला और इतिहास की व्याख्या करते हैं।
65. महावीर प्रसाद द्विवेदी ने अपने निबंधों के माध्यम से हिन्दी गद्य को कैसा रूप प्रदान किया?
- (क) काव्यात्मक और अलंकृत
- (ख) व्याकरण सम्मत, परिमार्जित और अनुशासित
- (ग) आंचलिक और ग्राम्य
- (घ) व्यंग्यात्मक और हास्यपूर्ण
सही उत्तर: (ख) व्याकरण सम्मत, परिमार्जित और अनुशासित
व्याख्या: ‘सरस्वती’ पत्रिका के संपादन के माध्यम से आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने हिन्दी भाषा के मानकीकरण और परिष्कार में अभूतपूर्व योगदान दिया। उनके निबंधों ने गद्य को एक व्यवस्थित और व्याकरण-सम्मत रूप प्रदान किया।
66. ‘पश्यन्ती’ किसका निबंध संग्रह है?
- (क) अज्ञेय
- (ख) धर्मवीर भारती
- (ग) निर्मल वर्मा
- (घ) रघुवीर सहाय
सही उत्तर: (ख) धर्मवीर भारती
व्याख्या: ‘पश्यन्ती’ धर्मवीर भारती के विचारात्मक निबंधों का संग्रह है। इसमें संकलित लेख समय-समय पर ‘धर्मयुग’ पत्रिका में लिखे गए थे, जिनमें समकालीन मुद्दों पर गहरी चिंता और चिंतन व्यक्त किया गया है।
67. ‘साहित्य सहचर’ किस लेखक की कृति है?
- (क) रामचन्द्र शुक्ल
- (ख) नगेन्द्र
- (ग) नामवर सिंह
- (घ) हजारी प्रसाद द्विवेदी
सही उत्तर: (घ) हजारी प्रसाद द्विवेदी
व्याख्या: ‘साहित्य सहचर’ हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखे गए साहित्य-संबंधी निबंधों का संग्रह है। इसमें साहित्य के विभिन्न पक्षों पर उनके मौलिक विचार प्रस्तुत किए गए हैं।
68. “भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?” – यह प्रसिद्ध निबंध किसका है?
- (क) बालकृष्ण भट्ट
- (ख) प्रेमचन्द
- (ग) भारतेंदु हरिश्चंद्र
- (घ) महावीर प्रसाद द्विवेदी
सही उत्तर: (ग) भारतेंदु हरिश्चंद्र
व्याख्या: यह भारतेंदु हरिश्चंद्र का एक अत्यंत प्रसिद्ध और विचारोत्तेजक निबंध है, जिसे उन्होंने एक भाषण के रूप में प्रस्तुत किया था। इसमें वे देश की उन्नति के लिए सामाजिक सुधार, शिक्षा और आत्मनिर्भरता पर बल देते हैं।
69. ‘बेकन विचार रत्नावली’ के नाम से फ्रांसिस बेकन के निबंधों का हिन्दी अनुवाद किसने किया?
- (क) रामचन्द्र शुक्ल
- (ख) महावीर प्रसाद द्विवेदी
- (ग) श्यामसुंदर दास
- (घ) भारतेंदु हरिश्चंद्र
सही उत्तर: (ख) महावीर प्रसाद द्विवेदी
व्याख्या: आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने अंग्रेजी के प्रसिद्ध निबंधकार फ्रांसिस बेकन के निबंधों का अनुवाद ‘बेकन विचार रत्नावली’ नाम से किया, जिससे हिन्दी निबंध विधा को प्रेरणा और नई दिशा मिली।
70. ‘जहाँ फव्वारे लहू रोते हैं’ नामक यात्रा-वृत्तांत/निबंध संग्रह किसका है?
- (क) निर्मल वर्मा
- (ख) नासिरा शर्मा
- (ग) कृष्णा सोबती
- (घ) मृदुला गर्ग
सही उत्तर: (ख) नासिरा शर्मा
व्याख्या: यह नासिरा शर्मा का एक प्रसिद्ध यात्रा-वृत्तांत है, जिसमें ईरान-इराक युद्ध की विभीषिका का अत्यंत मार्मिक और सजीव वर्णन किया गया है। इसकी शैली रिपोर्ताज और निबंध के करीब है।
71. निम्नलिखित में से कौन-सी रचना हरिशंकर परसाई की नहीं है?
- (क) अपनी अपनी बीमारी
- (ख) जीप पर सवार इल्लियाँ
- (ग) वैष्णव की फिसलन
- (घ) तब की बात और थी
सही उत्तर: (ख) जीप पर सवार इल्लियाँ
व्याख्या: ‘जीप पर सवार इल्लियाँ’ शरद जोशी की प्रसिद्ध व्यंग्य कृति है। बाकी तीनों रचनाएँ – ‘अपनी अपनी बीमारी’, ‘वैष्णव की फिसलन’ और ‘तब की बात और थी’ – हरिशंकर परसाई की हैं।
72. ‘प्रिया नीलकंठी’ निबंध संग्रह के लेखक कौन हैं?
- (क) विद्यानिवास मिश्र
- (ख) कुबेरनाथ राय
- (ग) विवेकी राय
- (घ) हजारी प्रसाद द्विवेदी
सही उत्तर: (ख) कुबेरनाथ राय
व्याख्या: ‘प्रिया नीलकंठी’ कुबेरनाथ राय के ललित निबंधों का एक उत्कृष्ट संग्रह है। इसमें भारतीय मिथकों, प्रतीकों और लोक-जीवन के विविध आयामों को उकेरा गया है।
73. ‘साहित्य का श्रेय और प्रेय’ निबंध संग्रह किसका है?
- (क) अज्ञेय
- (ख) जैनेन्द्र कुमार
- (ग) मुक्तिबोध
- (घ) इलाचन्द्र जोशी
सही उत्तर: (ख) जैनेन्द्र कुमार
व्याख्या: ‘साहित्य का श्रेय और प्रेय’ जैनेन्द्र कुमार के दार्शनिक और साहित्यिक निबंधों का संग्रह है। इसमें वे साहित्य के उद्देश्य, लेखक के दायित्व और कला के स्वरूप पर विचार करते हैं।
74. ‘कल्पलता’ किसके निबंधों का संग्रह है?
- (क) रामचन्द्र शुक्ल
- (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (ग) वासुदेव शरण अग्रवाल
- (घ) विद्यानिवास मिश्र
सही उत्तर: (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी
व्याख्या: ‘कल्पलता’ आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के ललित और विचारात्मक निबंधों का संग्रह है। ‘अशोक के फूल’, ‘कुटज’ और ‘विचार और वितर्क’ उनके अन्य प्रसिद्ध निबंध संग्रह हैं।
75. ‘माटी की मूरतें’ नामक रेखाचित्र संग्रह किसका है, जिसे निबंधात्मक गद्य का उत्तम उदाहरण माना जाता है?
- (क) महादेवी वर्मा
- (ख) रामवृक्ष बेनीपुरी
- (ग) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
- (घ) बनारसीदास चतुर्वेदी
सही उत्तर: (ख) रामवृक्ष बेनीपुरी
व्याख्या: ‘माटी की मूरतें’ रामवृक्ष बेनीपुरी की अमर कृति है। इसमें उन्होंने गाँव के साधारण और उपेक्षित लोगों के ऐसे सजीव शब्द-चित्र खींचे हैं जो पाठक के मन पर अमिट छाप छोड़ते हैं। इसकी शैली निबंध के बहुत निकट है।
76. प्रेमचन्द के अनुसार साहित्यकार की तुलना किससे की जा सकती है?
- (क) एक मनोरंजन करने वाले से
- (ख) एक इतिहासकार से
- (ग) एक दीपक से जो आगे की राह दिखाता है
- (घ) एक व्यापारी से
सही उत्तर: (ग) एक दीपक से जो आगे की राह दिखाता है
व्याख्या: प्रेमचन्द ने अपने निबंध ‘साहित्य का उद्देश्य’ में कहा है, “साहित्यकार या कलाकार स्वभाव से ही प्रगतिशील होता है… उसके आगे-आगे चलने वाली सच्चाई की मशाल होती है।” उनका मानना था कि साहित्यकार समाज का पथ-प्रदर्शक होता है।
77. ‘एक बूँद सहसा उछली’ किस विधा की रचना है?
- (क) कहानी
- (ख) उपन्यास
- (ग) निबंध
- (घ) यात्रा-वृत्तांत
सही उत्तर: (घ) यात्रा-वृत्तांत
व्याख्या: ‘एक बूँद सहसा उछली’ अज्ञेय द्वारा रचित एक प्रसिद्ध यात्रा-वृत्तांत है, जिसमें उन्होंने अपनी यूरोप यात्रा के अनुभवों को कलमबद्ध किया है। इसकी चिंतनशील और काव्यात्मक शैली इसे निबंध के करीब लाती है।
78. ‘भाव या मनोविकार’ किसके निबंधों का विषय रहा है?
- (क) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (ख) रामचन्द्र शुक्ल
- (ग) प्रेमचन्द
- (घ) विद्यानिवास मिश्र
सही उत्तर: (ख) रामचन्द्र शुक्ल
व्याख्या: आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने ‘चिंतामणि’ में भाव या मनोविकारों (जैसे- उत्साह, क्रोध, भय, करुणा, श्रद्धा) पर मनोवैज्ञानिक और विश्लेषणात्मक निबंध लिखकर हिन्दी निबंध साहित्य को एक नई दिशा दी।
79. ‘चीड़ों पर चाँदनी’ किसका यात्रा-वृत्तांत/निबंध है?
- (क) अज्ञेय
- (ख) राहुल सांकृत्यायन
- (ग) निर्मल वर्मा
- (घ) धर्मवीर भारती
सही उत्तर: (ग) निर्मल वर्मा
व्याख्या: ‘चीड़ों पर चाँदनी’ निर्मल वर्मा की अत्यंत प्रसिद्ध कृति है, जिसमें उन्होंने यूरोप प्रवास के अपने अनुभवों को एक अनोखी, काव्यात्मक और संवेदनशील शैली में लिखा है। यह यात्रा-निबंध का उत्कृष्ट उदाहरण है।
80. ‘गाँव का मन’ निबंध संग्रह के लेखक कौन हैं?
- (क) फणीश्वरनाथ ‘रेणु’
- (ख) रामवृक्ष बेनीपुरी
- (ग) विवेकी राय
- (घ) शिवप्रसाद सिंह
सही उत्तर: (ग) विवेकी राय
व्याख्या: विवेकी राय को ग्रामीण चेतना का निबंधकार कहा जाता है। ‘गाँव का मन’, ‘किसानों का देश’, ‘फिर बैतलवा डाल पर’ उनके प्रसिद्ध निबंध संग्रह हैं, जिनमें ग्रामीण जीवन की संवेदना और समस्याएं मुखर हुई हैं।
81. निम्नलिखित में से कौन ललित निबंधकार नहीं है?
- (क) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (ख) विद्यानिवास मिश्र
- (ग) कुबेरनाथ राय
- (घ) रामचन्द्र शुक्ल
सही उत्तर: (घ) रामचन्द्र शुक्ल
व्याख्या: आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के निबंध विचारात्मक और विश्लेषणात्मक कोटि के हैं। जबकि हजारी प्रसाद द्विवेदी, विद्यानिवास मिश्र और कुबेरनाथ राय हिन्दी के प्रमुख ललित निबंधकार माने जाते हैं, जिनकी शैली में आत्मीयता और काव्यात्मकता होती है।
82. ‘यथार्थवाद और छायावाद’ नामक निबंध किसने लिखा?
- (क) नगेन्द्र
- (ख) जयशंकर प्रसाद
- (ग) रामविलास शर्मा
- (घ) नंददुलारे वाजपेयी
सही उत्तर: (ख) जयशंकर प्रसाद
व्याख्या: जयशंकर प्रसाद, जो मुख्यतः कवि और नाटककार थे, ने ‘काव्य और कला तथा अन्य निबंध’ नामक संग्रह में कुछ महत्वपूर्ण निबंध लिखे, जिनमें ‘यथार्थवाद और छायावाद’ भी शामिल है। इसमें वे छायावाद का दार्शनिक पक्ष प्रस्तुत करते हैं।
83. ‘मेरी असफलताएँ’ किस लेखक की आत्मकथात्मक शैली की रचना है, जिसे निबंधों का संकलन भी कहा जा सकता है?
- (क) हरिवंशराय बच्चन
- (ख) यशपाल
- (ग) बाबू गुलाबराय
- (घ) पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’
सही उत्तर: (ग) बाबू गुलाबराय
व्याख्या: ‘मेरी असफलताएँ’ बाबू गुलाबराय की एक प्रसिद्ध कृति है। इसमें उन्होंने अपने जीवन की घटनाओं को व्यंग्य और विनोद की हल्की-फुल्की शैली में प्रस्तुत किया है, जो इसे एक रोचक निबंध संग्रह का रूप देती है।
84. ‘परंपरा का मूल्यांकन’ किसका आलोचनात्मक निबंध संग्रह है?
- (क) नामवर सिंह
- (ख) रामविलास शर्मा
- (ग) नगेन्द्र
- (घ) मुक्तिबोध
सही उत्तर: (ख) रामविलास शर्मा
व्याख्या: डॉ. रामविलास शर्मा एक प्रमुख मार्क्सवादी आलोचक और निबंधकार थे। ‘परंपरा का मूल्यांकन’ उनके महत्वपूर्ण निबंधों का संग्रह है, जिसमें वे साहित्य की परंपरा का प्रगतिशील दृष्टिकोण से मूल्यांकन करते हैं।
85. ‘कवि और कविता’ किस लेखक का निबंध है?
- (क) रामचन्द्र शुक्ल
- (ख) महावीर प्रसाद द्विवेदी
- (ग) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (घ) नंददुलारे वाजपेयी
सही उत्तर: (ख) महावीर प्रसाद द्विवेदी
व्याख्या: ‘कवि और कविता’ आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का एक महत्वपूर्ण निबंध है। इसमें वे कवि के कर्तव्य और कविता के उद्देश्य पर अपने विचार प्रकट करते हैं और उसे सोद्देश्यपूर्ण होने पर बल देते हैं।
86. ‘बकलम खुद’ किसके निबंधों का संग्रह है?
- (क) अज्ञेय
- (ख) मुक्तिबोध
- (ग) नामवर सिंह
- (घ) भीष्म साहनी
सही उत्तर: (ग) नामवर सिंह
व्याख्या: ‘बकलम खुद’ प्रसिद्ध आलोचक डॉ. नामवर सिंह के व्यक्तिगत और ललित शैली के निबंधों का संग्रह है। यह उनकी आलोचनात्मक कृतियों से अलग, एक निजी और आत्मीय लेखन का उदाहरण है।
87. ‘मेरी तिब्बत यात्रा’ नामक यात्रा-वृत्तांत के लेखक कौन हैं?
- (क) अज्ञेय
- (ख) राहुल सांकृत्यायन
- (ग) निर्मल वर्मा
- (घ) भगवतशरण उपाध्याय
सही उत्तर: (ख) राहुल सांकृत्यायन
व्याख्या: ‘मेरी तिब्बत यात्रा’ और ‘मेरी लद्दाख यात्रा’ महापंडित राहुल सांकृत्यायन के प्रसिद्ध यात्रा-वृत्तांत हैं, जिन्होंने हिन्दी में यात्रा-साहित्य को एक नई ऊंचाई प्रदान की।
88. ‘अरे यायावर रहेगा याद?’ किसकी रचना है?
- (क) राहुल सांकृत्यायन
- (ख) रामवृक्ष बेनीपुरी
- (ग) अज्ञेय
- (घ) यशपाल
सही उत्तर: (ग) अज्ञेय
व्याख्या: ‘अरे यायावर रहेगा याद?’ अज्ञेय का प्रसिद्ध यात्रा-संस्मरण है। इसमें व्यक्ति-स्वातंत्र्य और घुमक्कड़ी के दर्शन को एक नई भाषा और शैली में प्रस्तुत किया गया है।
89. ‘विचार और वितर्क’ किसका निबंध संग्रह है?
- (क) रामचन्द्र शुक्ल
- (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (ग) नगेन्द्र
- (घ) जैनेन्द्र कुमार
सही उत्तर: (ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी
व्याख्या: ‘विचार और वितर्क’ आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के आलोचनात्मक और विचारात्मक निबंधों का संग्रह है। ‘अशोक के फूल’, ‘कल्पलता’ और ‘कुटज’ उनके ललित निबंध संग्रह हैं।
90. ‘मैं इनसे मिला’ किस विधा की रचना है?
- (क) कहानी
- (ख) भेंटवार्ता (साक्षात्कार)
- (ग) उपन्यास
- (घ) रेखाचित्र
सही उत्तर: (ख) भेंटवार्ता (साक्षात्कार)
व्याख्या: ‘मैं इनसे मिला’ पद्मसिंह शर्मा ‘कमलेश’ द्वारा संपादित एक भेंटवार्ता संग्रह है। भेंटवार्ता या साक्षात्कार भी गद्य की एक विधा है जिसमें प्रश्नोत्तर के माध्यम से किसी व्यक्ति के विचारों और व्यक्तित्व को उजागर किया जाता है। इसकी शैली भी निबंधात्मक हो सकती है।
91. ‘लहरों के राजहंस’ के लेखक मोहन राकेश ने निबंध लेखन में क्या योगदान दिया?
- (क) उन्होंने बड़ी संख्या में ललित निबंध लिखे
- (ख) उन्होंने व्यंग्य निबंध लिखे
- (ग) उन्होंने मुख्यतः डायरी, लेख और भूमिकाएं लिखीं जो निबंधात्मक हैं
- (घ) उन्होंने कोई निबंध नहीं लिखा
सही उत्तर: (ग) उन्होंने मुख्यतः डायरी, लेख और भूमिकाएं लिखीं जो निबंधात्मक हैं
व्याख्या: मोहन राकेश मुख्य रूप से नाटककार और कहानीकार थे। उन्होंने पारंपरिक अर्थों में निबंध कम लिखे, लेकिन उनकी डायरी (‘मोहन राकेश की डायरी’) और उनके नाटकों की भूमिकाएं गहरी चिंतनशीलता और उत्कृष्ट गद्य-शैली के कारण निबंधात्मक महत्व रखती हैं।
92. प्रेमचन्द ने साहित्य को किसका आईना माना है?
- (क) लेखक के मन का
- (ख) राजनीति का
- (ग) समाज और युग का
- (घ) कल्पना का
सही उत्तर: (ग) समाज और युग का
व्याख्या: प्रेमचन्द का दृढ़ विश्वास था कि साहित्य अपने समय के समाज का सच्चा प्रतिबिंब होता है। वह मानते थे कि साहित्य में समाज की अच्छाइयों, बुराइयों, आशाओं और निराशाओं का यथार्थ चित्रण होना चाहिए।
93. ‘ठलुआ क्लब’ किसका हास्य-व्यंग्य पूर्ण निबंध संग्रह है?
- (क) हरिशंकर परसाई
- (ख) बाबू गुलाबराय
- (ग) शरद जोशी
- (घ) श्रीलाल शुक्ल
सही उत्तर: (ख) बाबू गुलाबराय
व्याख्या: ‘ठलुआ क्लब’ बाबू गुलाबराय के हास्य-विनोदपूर्ण निबंधों का प्रसिद्ध संग्रह है। ‘मेरी असफलताएँ’ की तरह इसमें भी उनकी शैली की सहजता और रोचकता दिखाई देती है।
94. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने किसे ‘वाणी का डिक्टेटर’ कहा है?
- (क) तुलसीदास
- (ख) सूरदास
- (ग) कबीरदास
- (घ) जायसी
सही उत्तर: (ग) कबीरदास
व्याख्या: अपने प्रसिद्ध निबंध संग्रह ‘कबीर’ में हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कबीर की भाषा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “भाषा पर कबीर का जबरदस्त अधिकार था। वे वाणी के डिक्टेटर थे।” यह उक्ति बहुत प्रसिद्ध हुई।
95. फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ के रिपोर्ताज में क्या प्रमुख होता है?
- (क) केवल तथ्यों का सूखा ब्यौरा
- (ख) घटना का भावनात्मक और मानवीय पक्ष
- (ग) जटिल आंकड़ों का विश्लेषण
- (घ) दार्शनिक सिद्धांतों की व्याख्या
सही उत्तर: (ख) घटना का भावनात्मक और मानवीय पक्ष
व्याख्या: रेणु के रिपोर्ताज केवल घटनाओं की रिपोर्टिंग नहीं हैं। वे घटना से प्रभावित लोगों की पीड़ा, उनकी जिजीविषा और मानवीय संवेदनाओं को अपनी काव्यात्मक और आंचलिक भाषा में प्रस्तुत करते हैं, जो पाठक को सीधे उस घटना से जोड़ देता है।
96. ‘शिकायत मुझे भी है’ किसका व्यंग्य संग्रह है?
- (क) शरद जोशी
- (ख) रवीन्द्रनाथ त्यागी
- (ग) श्रीलाल शुक्ल
- (घ) हरिशंकर परसाई
सही उत्तर: (घ) हरिशंकर परसाई
व्याख्या: ‘शिकायत मुझे भी है’ हरिशंकर परसाई का एक और प्रसिद्ध व्यंग्य निबंध संग्रह है, जिसमें वे आम आदमी की शिकायतों और व्यवस्था की खामियों को व्यंग्य के माध्यम से उठाते हैं।
97. आचार्य शुक्ल के अनुसार, लोक-मंगल की साधना अवस्था का चित्रण किस काव्य में मिलता है?
- (क) सूरसागर में
- (ख) पद्मावत में
- (ग) रामचरितमानस में
- (घ) प्रियप्रवास में
सही उत्तर: (ग) रामचरितमानस में
व्याख्या: अपने निबंधों में शुक्ल जी ने तुलसीदास के ‘रामचरितमानस’ को लोक-मंगल की ‘साधनावस्था’ का काव्य माना है, जिसमें धर्म और मर्यादा की स्थापना के लिए निरंतर प्रयास और संघर्ष दिखाया गया है।
98. ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ किसकी रचना है, जिसमें गद्यात्मक कविताओं और निबंधों का समावेश है?
- (क) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
- (ख) रघुवीर सहाय
- (ग) श्रीकांत वर्मा
- (घ) केदारनाथ सिंह
सही उत्तर: (ख) रघुवीर सहाय
व्याख्या: ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ रघुवीर सहाय का प्रसिद्ध काव्य संग्रह है। उनकी कविताएं अक्सर गद्य के बहुत करीब होती हैं और समकालीन समाज पर एक निबंधात्मक टिप्पणी की तरह लगती हैं।
99. “मनुष्य ही साहित्य का लक्ष्य है।” यह विचार किस निबंधकार का है?
- (क) रामचन्द्र शुक्ल
- (ख) प्रेमचन्द
- (ग) हजारी प्रसाद द्विवेदी
- (घ) जैनेन्द्र कुमार
सही उत्तर: (ग) हजारी प्रसाद द्विवेदी
व्याख्या: हजारी प्रसाद द्विवेदी एक महान मानवतावादी विचारक थे। अपने निबंधों में वे बार-बार इस बात पर बल देते हैं कि सभी शास्त्र, ज्ञान और साहित्य अंततः मनुष्य की भलाई के लिए हैं। “मनुष्य ही साहित्य का लक्ष्य है” उनका एक प्रसिद्ध कथन है।
100. भीष्म साहनी की आत्मकथा का क्या नाम है, जिसमें उनके जीवन और साहित्यिक यात्रा का निबंधात्मक वर्णन है?
- (क) क्या भूलूँ क्या याद करूँ
- (ख) आज के अतीत
- (ग) अपनी खबर
- (घ) मुड़ मुड़ के देखता हूँ
सही उत्तर: (ख) आज के अतीत
व्याख्या: ‘आज के अतीत’ भीष्म साहनी की आत्मकथा है। इसमें उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों, अपने समय के साहित्यिक-सामाजिक परिवेश और अपनी रचना-प्रक्रिया का बहुत ही सहज और आत्मीय शैली में वर्णन किया है, जो इसे पठनीय गद्य का उत्कृष्ट नमूना बनाता है।