1. कबीर की साखियों में ‘अनहद नाद’ का क्या अर्थ है?
(क) अत्यधिक शोर
(ख) बिना आघात के उत्पन्न होने वाला दिव्य संगीत
(ग) युद्ध का नगाड़ा
(घ) सांसारिक संगीत
सही उत्तर: (ख) बिना आघात के उत्पन्न होने वाला दिव्य संगीत
विस्तार: कबीर की रहस्यवादी साधना में ‘अनहद नाद’ का अर्थ है वह अलौकिक संगीत जो योग-साधना की उच्च अवस्था में साधक को सुनाई देता है। यह बिना किसी वाद्य यंत्र के बजता है और ब्रह्मानंद की अनुभूति कराता है।
2. “कंकर पत्थर जोरि के, मस्जिद लई बनाय” – इस पंक्ति में कबीर का कौन-सा भाव प्रकट होता है?
(क) धार्मिक कट्टरता का विरोध
(ख) वास्तुकला की प्रशंसा
(ग) ईश्वर के प्रति समर्पण
(घ) मस्जिद निर्माण का समर्थन
सही उत्तर: (क) धार्मिक कट्टरता का विरोध
विस्तार: इस पंक्ति के माध्यम से कबीर मुस्लिम समाज के बाहरी आडंबरों पर प्रहार करते हैं। वे कहते हैं कि पत्थर जोड़कर मस्जिद बना लेने और उस पर चढ़कर ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने (अज़ान देने) से ईश्वर नहीं मिलता, क्योंकि ईश्वर बहरा नहीं है। यह उनके विद्रोही और समाज-सुधारक रूप को दर्शाता है।
3. कबीर के ‘राम’ और तुलसी के ‘राम’ में मुख्य अंतर क्या है?
(क) कबीर के राम निर्गुण और तुलसी के राम सगुण हैं।
(ख) कबीर के राम अयोध्या के राजा हैं और तुलसी के राम नहीं।
(ग) दोनों के राम में कोई अंतर नहीं है।
(घ) कबीर के राम हिंसक और तुलसी के राम शांत हैं।
सही उत्तर: (क) कबीर के राम निर्गुण और तुलसी के राम सगुण हैं।
विस्तार: यह सबसे मौलिक अंतर है। कबीर के ‘राम’ दशरथ-सुत नहीं, बल्कि निर्गुण, निराकार, सर्वव्यापी ब्रह्म हैं। जबकि तुलसीदास के ‘राम’ विष्णु के अवतार, अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र, एक मानवीय रूप में ईश्वर (सगुण) हैं।
4. कबीर की भक्ति-भावना किस प्रकार की है?
(क) केवल माधुर्य भाव
(ख) केवल सख्य भाव
(ग) दास्य और माधुर्य भाव का मिश्रण
(घ) केवल वात्सल्य भाव
सही उत्तर: (ग) दास्य और माधुर्य भाव का मिश्रण
विस्तार: कबीर स्वयं को ईश्वर का दास (दास्य भाव) भी मानते हैं और कई पदों में स्वयं को विरहिणी आत्मा और परमात्मा को प्रियतम (माधुर्य भाव) के रूप में भी चित्रित करते हैं। इसलिए उनकी भक्ति में दोनों भावों का समन्वय मिलता है।
5. “गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाँय” – इस साखी में कबीर ने किसे श्रेष्ठ बताया है?
(क) गोविंद (ईश्वर) को
(ख) गुरु को
(ग) दोनों को बराबर
(घ) स्वयं को
सही उत्तर: (ख) गुरु को
विस्तार: कबीर कहते हैं, “बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय”। इसका अर्थ है कि मैं उस गुरु पर न्योछावर हूँ जिसने मुझे गोविंद (ईश्वर) तक पहुँचने का मार्ग बताया। इसलिए, ईश्वर तक पहुँचाने वाले गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊँचा है।
6. कबीर ने समाज में व्याप्त किस बुराई का पुरजोर विरोध किया?
(क) जाति-पाँति और धार्मिक आडंबर
(ख) व्यापार और वाणिज्य
(ग) शिक्षा और ज्ञान
(घ) राजतंत्र
सही उत्तर: (क) जाति-पाँति और धार्मिक आडंबर
विस्तार: कबीर एक महान समाज सुधारक थे। उन्होंने हिंदू और मुसलमान दोनों के धार्मिक आडंबरों, मूर्ति-पूजा, जाति-भेदभाव आदि पर तीखे प्रहार किए।
7. कबीर की भाषा को ‘सधुक्कड़ी’ नाम किसने दिया?
(क) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(ख) श्यामसुंदर दास
(ग) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
(घ) रामकुमार वर्मा
सही उत्तर: (ग) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
विस्तार: आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कबीर की भाषा को ‘सधुक्कड़ी’ कहा क्योंकि इसमें कई भाषाओं और बोलियों (जैसे- राजस्थानी, पंजाबी, अवधी, ब्रज) का मिश्रण था, जो साधुओं की भाषा की विशेषता होती है।
8. “पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय” – इस पंक्ति के अनुसार सच्चा पंडित कौन है?
(क) जो बहुत सारी पुस्तकें पढ़ ले
(ख) जो प्रेम का ढाई अक्षर पढ़ ले
(ग) जो शास्त्रार्थ में जीत जाए
(घ) जो वेद-पुराण का ज्ञाता हो
सही उत्तर: (ख) जो प्रेम का ढाई अक्षर पढ़ ले
विस्तार: कबीर किताबी ज्ञान की अपेक्षा प्रेम और अनुभव पर आधारित ज्ञान को महत्व देते हैं। उनके अनुसार, जिसने ईश्वर-प्रेम और मानव-प्रेम का ढाई अक्षर समझ लिया, वही सच्चा ज्ञानी या पंडित है।
9. कबीर के अनुसार, ‘माया’ क्या है?
(क) ईश्वर की भक्ति
(ख) मोक्ष का मार्ग
(ग) सांसारिक मोह-माया जो ईश्वर से दूर करती है
(घ) गुरु का ज्ञान
सही उत्तर: (ग) सांसारिक मोह-माया जो ईश्वर से दूर करती है
विस्तार: कबीर ने ‘माया’ को एक ठगिनी के रूप में चित्रित किया है, जो मनुष्य को सांसारिक आकर्षणों में फँसाकर ईश्वर के मार्ग से भटका देती है।
10. कबीर किस काव्य-धारा के प्रतिनिधि कवि हैं?
(क) ज्ञानाश्रयी निर्गुण शाखा
(ख) प्रेमाश्रयी निर्गुण शाखा
(ग) रामभक्ति शाखा
(घ) कृष्णभक्ति शाखा
सही उत्तर: (क) ज्ञानाश्रयी निर्गुण शाखा
विस्तार: भक्तिकाल की निर्गुण काव्य-धारा को दो भागों में बांटा गया है- ज्ञानाश्रयी (संत काव्य) और प्रेमाश्रयी (सूफी काव्य)। कबीर ज्ञान को महत्व देने वाले संत कवियों में सर्वप्रमुख हैं, अतः वे ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रतिनिधि कवि हैं।
(ख) सूरदास
11. सूरदास की भक्ति मुख्य रूप से किस भाव की है?
(क) दास्य भाव
(ख) माधुर्य भाव
(ग) सख्य और वात्सल्य भाव
(घ) शांत भाव
सही उत्तर: (ग) सख्य और वात्सल्य भाव
विस्तार: यद्यपि सूर की भक्ति में सभी भाव मिलते हैं, किंतु बाल-लीलाओं के वर्णन में वात्सल्य भाव और कृष्ण को सखा मानकर की गई भक्ति (सख्य भाव) सर्वोपरि है। वे वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं।
12. “मैया, मैं नहिं माखन खायो” – इस पद में कृष्ण का कौन-सा बाल-सुलभ भाव व्यक्त हुआ है?
(क) क्रोध
(ख) निर्दोषिता और चातुर्य
(ग) भय
(घ) पश्चाताप
सही उत्तर: (ख) निर्दोषिता और चातुर्य
विस्तार: इस पद में बालकृष्ण अपनी माता यशोदा के सामने बड़ी चतुराई और भोलेपन से स्वयं को निर्दोष साबित करने की कोशिश करते हैं। यह सूरदास के वात्सल्य वर्णन का उत्कृष्ट उदाहरण है।
13. सूरदास के ‘भ्रमरगीत’ में ‘वाग्वैदग्ध्य’ का क्या अर्थ है?
(क) मीठी वाणी
(ख) मौन रहना
(ग) बोलने की चतुराई या हाजिरजवाबी
(घ) कड़वी बातें कहना
सही उत्तर: (ग) बोलने की चतुराई या हाजिरजवाबी
विस्तार: भ्रमरगीत में गोपियाँ उद्धव के निर्गुण ज्ञान का खंडन अपने तर्कपूर्ण, व्यंग्यात्मक और चतुर उत्तरों से करती हैं। उनकी इसी बोलने की चतुराई को ‘वाग्वैदग्ध्य’ कहा जाता है, जिसमें तर्क पर भावना की विजय दिखाई गई है।
14. सूर के पदों में गोपियाँ मुरली को क्या मानती हैं?
(क) अपनी सखी
(ख) अपनी सौत (प्रतिद्वंद्वी)
(ग) एक निर्जीव वस्तु
(घ) कृष्ण का आभूषण
सही उत्तर: (ख) अपनी सौत (प्रतिद्वंद्वी)
विस्तार: गोपियाँ मुरली से ईर्ष्या करती हैं क्योंकि वह हमेशा कृष्ण के होठों से लगी रहती है और कृष्ण उस पर मोहित रहते हैं। वे मुरली को अपनी ‘सौत’ या ‘सौतिन’ कहकर उलाहना देती हैं।
15. सूरदास का ‘भ्रमरगीत’ श्रृंगार रस के किस पक्ष का उत्कृष्ट उदाहरण है?
(क) संयोग श्रृंगार
(ख) विप्रलम्भ (वियोग) श्रृंगार
(ग) भक्ति श्रृंगार
(घ) वात्सल्य श्रृंगार
सही उत्तर: (ख) विप्रलम्भ (वियोग) श्रृंगार
विस्तार: भ्रमरगीत का पूरा प्रसंग कृष्ण के मथुरा चले जाने के बाद गोपियों की विरह-वेदना पर आधारित है। इसमें गोपियों की पीड़ा, उनकी स्मृतियाँ और कृष्ण से मिलने की उत्कंठा का मार्मिक वर्णन है, जो इसे वियोग श्रृंगार का सर्वश्रेष्ठ काव्य बनाता है।
16. “ऊधो, मन न भए दस-बीस” – इस पंक्ति में गोपियों का कौन-सा भाव है?
(क) क्रोध
(ख) अनन्य प्रेम और विवशता
(ग) घृणा
(घ) उपहास
सही उत्तर: (ख) अनन्य प्रेम और विवशता
विस्तार: गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि हमारे पास दस-बीस मन नहीं हैं; एक ही मन था जो कृष्ण के साथ चला गया। अब हम किस मन से तुम्हारे निर्गुण ब्रह्म की उपासना करें? यह कृष्ण के प्रति उनके अनन्य प्रेम और भक्ति की पराकाष्ठा को दर्शाता है।
17. सूरदास को ‘वात्सल्य रस का सम्राट’ किसने कहा है?
(क) कबीरदास
(ख) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
(ग) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(घ) तुलसीदास
सही उत्तर: (ख) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
विस्तार: आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने सूरदास द्वारा किए गए बाल-मनोविज्ञान और बाल-लीलाओं के अद्भुत चित्रण को देखते हुए उन्हें ‘वात्सल्य रस का सम्राट’ कहा है।
18. ‘भ्रमरगीत’ प्रसंग में ‘भ्रमर’ (भौंरा) किसका प्रतीक है?
(क) कृष्ण का
(ख) गोपियों का
(ग) उद्धव का
(घ) राधा का
सही उत्तर: (ग) उद्धव का
विस्तार: जब उद्धव गोपियों को ज्ञान का उपदेश दे रहे होते हैं, तभी वहाँ एक भौंरा आ जाता है। गोपियाँ सीधे उद्धव को कुछ न कहकर उस भौंरे को माध्यम बनाकर अपनी बात कहती हैं। इस प्रकार, भौंरा उद्धव का प्रतीक बन जाता है और गोपियाँ व्यंग्य के माध्यम से अपना आक्रोश व्यक्त करती हैं।
19. सूरदास के साहित्य की मुख्य भाषा क्या है?
(क) अवधी
(ख) खड़ी बोली
(ग) ब्रजभाषा
(घ) मैथिली
सही उत्तर: (ग) ब्रजभाषा
विस्तार: सूरदास ने अपने संपूर्ण साहित्य, विशेषकर ‘सूरसागर’ की रचना, साहित्यिक और माधुर्यपूर्ण ब्रजभाषा में की है।
20. “निरगुन कौन देस को बासी?” – यह प्रश्न गोपियाँ किससे पूछती हैं?
(क) कृष्ण से
(ख) उद्धव से
(ग) अक्रूर से
(घ) बलराम से
सही उत्तर: (ख) उद्धव से
विस्तार: जब उद्धव गोपियों को निर्गुण ब्रह्म का उपदेश देते हैं, तो भोली गोपियाँ उनसे पूछती हैं कि तुम्हारा यह निर्गुण किस देश का रहने वाला है? उसके माता-पिता कौन हैं? यह कहकर वे निर्गुण की निरर्थकता और सगुण की सार्थकता सिद्ध करती हैं।
(ग) तुलसीदास
21. ‘विनय पत्रिका’ की रचना तुलसीदास ने किस उद्देश्य से की थी?
(क) रामकथा का गान करने के लिए
(ख) कलियुग के कष्टों से मुक्ति पाने हेतु श्रीराम के दरबार में अर्जी देने के लिए
(ग) सीता जी की प्रशंसा के लिए
(घ) राजाओं को उपदेश देने के लिए
सही उत्तर: (ख) कलियुग के कष्टों से मुक्ति पाने हेतु श्रीराम के दरबार में अर्जी देने के लिए
विस्तार: ‘विनय पत्रिका’ का शाब्दिक अर्थ है ‘विनय की चिट्ठी’। मान्यता है कि तुलसीदास ने कलियुग के प्रभाव से बचने के लिए अपनी पीड़ा को एक अर्जी के रूप में लिखकर भगवान राम के दरबार में प्रस्तुत करने हेतु इस ग्रंथ की रचना की। यह उनकी दास्य भक्ति का अनुपम उदाहरण है।
22. तुलसीदास के काव्य में ‘लोकमंगल की भावना’ का क्या अर्थ है?
(क) केवल अपना कल्याण
(ख) राजा का कल्याण
(ग) संपूर्ण समाज का हित और आदर्श की स्थापना
(घ) केवल मोक्ष की प्राप्ति
सही उत्तर: (ग) संपूर्ण समाज का हित और आदर्श की स्थापना
विस्तार: तुलसीदास का काव्य केवल व्यक्तिगत भक्ति तक सीमित नहीं है। वे ‘रामराज्य’ के माध्यम से एक आदर्श समाज की कल्पना करते हैं, जिसमें आदर्श राजा, आदर्श पुत्र, आदर्श पत्नी, आदर्श भाई आदि के चरित्रों द्वारा संपूर्ण लोक (समाज) के मंगल की कामना की गई है।
23. पुष्पवाटिका प्रसंग में राम और सीता के प्रथम दर्शन का वर्णन किस काव्य-ग्रंथ में है?
(क) विनय पत्रिका
(ख) कवितावली
(ग) रामचरितमानस
(घ) गीतावली
सही उत्तर: (ग) रामचरितमानस
विस्तार: यह प्रसिद्ध प्रसंग तुलसीदास के महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ के ‘बालकांड’ में आता है। इसमें जनकपुर की पुष्पवाटिका में पूजन के लिए फूल लेने आईं सीता और भाई लक्ष्मण के साथ आए राम का प्रथम दृष्टि-मिलन होता है।
24. पुष्पवाटिका प्रसंग में किस रस की प्रधानता है?
(क) वीर रस
(ख) करुण रस
(ग) संयोग श्रृंगार रस
(घ) शांत रस
सही उत्तर: (ग) संयोग श्रृंगार रस
विस्तार: इस प्रसंग में नायक (राम) और नायिका (सीता) का मिलन होता है। उनके मन में एक-दूसरे के प्रति उत्पन्न अनुराग, सौंदर्य-दर्शन और प्रेमपूर्ण भावों का मर्यादित चित्रण किया गया है, जो इसे संयोग श्रृंगार का एक अत्यंत मधुर और सुंदर उदाहरण बनाता है।
25. ‘विनय पत्रिका’ की भाषा क्या है?
(क) अवधी
(ख) ब्रजभाषा
(ग) खड़ी बोली
(घ) संस्कृत
सही उत्तर: (ख) ब्रजभाषा
विस्तार: यद्यपि तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ की रचना अवधी में की, किंतु ‘विनय पत्रिका’ और ‘कवितावली’ जैसे ग्रंथों के लिए उन्होंने उस समय की काव्य-भाषा ब्रजभाषा का प्रयोग किया।
(घ) बिहारी
26. बिहारी रीतिकाल की किस काव्य-धारा के कवि हैं?
(क) रीतिबद्ध
(ख) रीतिसिद्ध
(ग) रीतिमुक्त
(घ) भक्ति काव्य
सही उत्तर: (ख) रीतिसिद्ध
विस्तार: बिहारी ने रीति-ग्रंथों की रचना तो नहीं की (रीतिबद्ध कवियों की तरह), लेकिन उनके दोहों में रीति (काव्य-शास्त्र के नियम) का पूर्ण पालन मिलता है। वे रीति में इतने पारंगत थे कि उनके काव्य में वह सहज रूप से समाहित हो गई। इसलिए उन्हें ‘रीतिसिद्ध’ कवि कहा जाता है।
27. किस कवि के दोहों के लिए कहा जाता है कि वे ‘गागर में सागर’ भरते हैं?
(क) कबीर
(ख) रहीम
(ग) बिहारी
(घ) तुलसी
सही उत्तर: (ग) बिहारी
विस्तार: ‘गागर में सागर’ भरने का अर्थ है – कम शब्दों में बहुत गहरा और व्यापक अर्थ कह देना। बिहारी के दोहे इस कला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं। वे अपने दो पंक्तियों के छोटे से छंद में अनेक भावों, अलंकारों और अर्थों को समाहित कर देते हैं।
28. “कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात।” – इस दोहे में कवि ने किसका वर्णन किया है?
(क) युद्ध के मैदान का
(ख) राजदरबार का
(ग) भरे भवन में आँखों-ही-आँखों में बात करते नायक-नायिका का
(घ) बच्चों के खेल का
सही उत्तर: (ग) भरे भवन में आँखों-ही-आँखों में बात करते नायक-नायिका का
विस्तार: यह दोहा बिहारी की ‘गागर में सागर’ भरने की क्षमता का अद्भुत उदाहरण है। इसमें कवि ने दिखाया है कि कैसे लोगों से भरे हुए घर में नायक और नायिका केवल नेत्रों के इशारों से ही कह-सुन लेते हैं, मना कर देते हैं, रीझ जाते हैं, खीझ जाते हैं, और अंत में उनके नेत्र मिलते ही दोनों के चेहरे खिल जाते हैं और लज्जा आ जाती है।
29. बिहारी के दोहों की मुख्य भाषा क्या है?
(क) अवधी
(ख) बुंदेली
(ग) परिनिष्ठित ब्रजभाषा
(घ) खड़ी बोली
सही उत्तर: (ग) परिनिष्ठित ब्रजभाषा
विस्तार: बिहारी ने अपने काव्य के लिए शुद्ध, साहित्यिक और परिमार्जित (परिनिष्ठित) ब्रजभाषा का प्रयोग किया, जो उस समय की सर्वश्रेष्ठ काव्य-भाषा मानी जाती थी।
30. “मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरि सोइ” – इस दोहे में बिहारी किससे अपनी सांसारिक बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना कर रहे हैं?
(क) भगवान कृष्ण से
(ख) भगवान शिव से
(ग) चतुर राधिका जी से
(घ) अपनी माता से
सही उत्तर: (ग) चतुर राधिका जी से
विस्तार: यह ‘बिहारी सतसई’ का मंगलाचरण (पहला दोहा) है। इसमें बिहारी अपनी आराध्या ‘चतुर’ (नागरि) राधा से प्रार्थना करते हैं कि जिनकी परछाई मात्र पड़ने से श्याम (कृष्ण) का रंग भी हरा (प्रसन्न) हो जाता है, वे राधा मेरी सांसारिक बाधाओं को दूर करें।
(ङ) भूषण
31. कवि भूषण ने अपनी कविताओं में मुख्य रूप से किन दो राजाओं की वीरता का गान किया है?
(क) अकबर और महाराणा प्रताप
(ख) छत्रपति शिवाजी और छत्रसाल बुंदेला
(ग) पृथ्वीराज चौहान और जयचंद
(घ) राजा मानसिंह और जहाँगीर
सही उत्तर: (ख) छत्रपति शिवाजी और छत्रसाल बुंदेला
विस्तार: भूषण रीतिकाल के एकमात्र ऐसे कवि थे जिन्होंने श्रृंगार की परंपरा से हटकर वीर रस की कविताएँ लिखीं। उन्होंने अपने आश्रयदाता महाराज शिवाजी और बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल की वीरता, शौर्य और उनके युद्धों का ओजस्वी वर्णन किया।
32. भूषण की कविता में किस काव्य-गुण की प्रधानता है?
(क) माधुर्य गुण
(ख) प्रसाद गुण
(ग) ओज गुण
(घ) इनमें से कोई नहीं
सही उत्तर: (ग) ओज गुण
विस्तार: ओज गुण वहाँ होता है जहाँ कविता को पढ़ने या सुनने से मन में उत्साह, वीरता और जोश का संचार हो। भूषण की कविताएँ वीर रस से परिपूर्ण हैं, इसलिए उनमें स्वाभाविक रूप से ओज गुण की प्रधानता है।
33. भूषण को ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि क्यों दी जाती है?
(क) क्योंकि वे राजा के दरबार में रहते थे
(ख) क्योंकि उन्होंने श्रृंगारिक कविताएँ लिखीं
(ग) क्योंकि उन्होंने विदेशी शासन के विरुद्ध राष्ट्रीय चेतना और हिंदू स्वाभिमान को जाग्रत किया
(घ) क्योंकि उन्होंने ब्रजभाषा में लिखा
सही उत्तर: (ग) क्योंकि उन्होंने विदेशी शासन के विरुद्ध राष्ट्रीय चेतना और हिंदू स्वाभिमान को जाग्रत किया
विस्तार: जिस युग में अधिकांश कवि राजाओं के मनोरंजन के लिए श्रृंगारिक रचनाएँ कर रहे थे, उस समय भूषण ने मुगल शासन के विरुद्ध संघर्ष कर रहे शिवाजी और छत्रसाल को नायक बनाकर राष्ट्रीयता, संस्कृति-रक्षा और स्वाभिमान की भावना को अपनी कविताओं से जगाया। इसी कारण उन्हें तत्कालीन राष्ट्रकवि कहा जाता है।
34. “इंद्र जिमि जंभ पर, बाडव सुअंभ पर” – इस पंक्ति में भूषण किसकी वीरता की तुलना पौराणिक नायकों से कर रहे हैं?
(क) औरंगजेब की
(ख) छत्रसाल की
(ग) शिवाजी की
(घ) राणा प्रताप की
सही उत्तर: (ग) शिवाजी की
विस्तार: इस प्रसिद्ध कवित्त में भूषण कहते हैं कि जिस प्रकार इंद्र जंभासुर पर, बड़वानल (समुद्र की आग) पानी पर, राम रावण पर भारी पड़ते हैं, उसी प्रकार शिवाजी मुगल वंश पर भारी पड़ते हैं। यह शिवाजी की वीरता का अतिशयोक्तिपूर्ण और ओजस्वी वर्णन है।
35. भूषण किस काल के कवि हैं?
(क) आदिकाल
(ख) भक्तिकाल
(ग) रीतिकाल
(घ) आधुनिक काल
सही उत्तर: (ग) रीतिकाल
विस्तार: भूषण रीतिकाल के कवि हैं, लेकिन वे अपनी वीर-रस प्रधान रचनाओं के कारण उस युग के अन्य श्रृंगारिक कवियों से बिल्कुल अलग खड़े दिखाई देते हैं।
(च) प्रसाद, निराला, पंत और महादेवी
36. जयशंकर प्रसाद के महाकाव्य ‘कामायनी’ की मुख्य नायिका कौन है?
(क) इड़ा
(ख) श्रद्धा
(ग) कामायनी
(घ) मनु
सही उत्तर: (ख) श्रद्धा
विस्तार: ‘कामायनी’ में मनु (मन), श्रद्धा (हृदय/विश्वास) और इड़ा (बुद्धि) के प्रतीकात्मक पात्र हैं। श्रद्धा ही प्रमुख नायिका है जो मानवता को आनंदवाद की ओर ले जाती है। कामायनी तो काम की पुत्री होने के कारण श्रद्धा का ही दूसरा नाम है।
37. ‘मुक्त छंद’ के प्रवर्तक कवि के रूप में किसे जाना जाता है?
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) सुमित्रानंदन पंत
(ग) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
(घ) महादेवी वर्मा
सही उत्तर: (ग) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
विस्तार: निराला ने अपनी कविता ‘जूही की कली’ के माध्यम से पारंपरिक तुकांत और मात्रिक छंदों के बंधन को तोड़कर ‘मुक्त छंद’ (जिसे ‘रबर छंद’ या ‘केंचुआ छंद’ भी कहा गया) की शुरुआत की। यह हिंदी कविता में एक क्रांतिकारी कदम था।
38. ‘प्रकृति के सुकुमार कवि’ किसे कहा जाता है?
(क) निराला
(ख) प्रसाद
(ग) पंत
(घ) महादेवी वर्मा
सही उत्तर: (ग) पंत
विस्तार: सुमित्रानंदन पंत ने अपनी कविताओं में प्रकृति का अत्यंत कोमल, मधुर और सजीव चित्रण किया है। प्रकृति के प्रति उनके इस गहरे लगाव और सुंदर वर्णन के कारण उन्हें ‘प्रकृति का सुकुमार कवि’ कहा जाता है।
39. ‘आधुनिक युग की मीरा’ के नाम से कौन प्रसिद्ध है?
(क) सुभद्रा कुमारी चौहान
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) सरोजिनी नायडू
(घ) अमृता प्रीतम
सही उत्तर: (ख) महादेवी वर्मा
विस्तार: जिस प्रकार मध्ययुग में मीराबाई ने कृष्ण के प्रति विरह और प्रेम के गीत गाए, उसी प्रकार महादेवी वर्मा ने आधुनिक युग में अज्ञात प्रियतम (परमात्मा) के प्रति विरह, वेदना और रहस्यमयी प्रेम की भावनाओं को अपने गीतों में व्यक्त किया। इसी समानता के कारण उन्हें ‘आधुनिक युग की मीरा’ कहा जाता है।
40. निराला की कविता ‘सरोज स्मृति’ को किस श्रेणी में रखा जाता है?
(क) वीर रस की कविता
(ख) प्रकृति-चित्रण
(ग) शोक-गीत (Elegy)
(घ) हास्य-व्यंग्य
सही उत्तर: (ग) शोक-गीत (Elegy)
विस्तार: ‘सरोज स्मृति’ निराला द्वारा अपनी पुत्री सरोज की अकाल मृत्यु पर लिखा गया एक लंबा शोक-गीत है। यह हिंदी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ शोक-गीत माना जाता है, जिसमें कवि का व्यक्तिगत दुःख समाज के यथार्थ से जुड़ जाता है।
41. कबीर ने ‘साखी’ शब्द का प्रयोग किस अर्थ में किया है?
(क) मित्र
(ख) साक्षी या गवाह
(ग) कहानी
(घ) उपदेश
सही उत्तर: (ख) साक्षी या गवाह
विस्तार: ‘साखी’ शब्द संस्कृत के ‘साक्षी’ का अपभ्रंश है। कबीर ने अपने प्रत्यक्ष अनुभव और ज्ञान को दोहों के रूप में प्रस्तुत किया, इसलिए वे स्वयं उस सत्य के साक्षी थे। उनकी साखियाँ उनके अनुभूत सत्य की गवाही हैं।
42. “पाथर पूजे हरि मिलैं, तो मैं पूजौं पहार” – इस पंक्ति में कबीर ने किस पर व्यंग्य किया है?
(क) मूर्ति पूजा
(ख) प्रकृति पूजा
(ग) गुरु पूजा
(घ) पितर पूजा
सही उत्तर: (क) मूर्ति पूजा
विस्तार: कबीर मूर्ति पूजा के घोर विरोधी थे। वे तर्क देते हैं कि यदि छोटे से पत्थर (मूर्ति) को पूजने से हरि मिल जाते हैं, तो मैं तो पूरे पहाड़ की ही पूजा करूँ। यह मूर्ति पूजा की निरर्थकता पर एक तीखा कटाक्ष है।
43. कबीर के अनुसार, ईश्वर का वास कहाँ है?
(क) मंदिर-मस्जिद में
(ख) तीर्थ स्थानों में
(ग) प्रत्येक प्राणी के हृदय में
(घ) आकाश में
सही उत्तर: (ग) प्रत्येक प्राणी के हृदय में
विस्तार: कबीर का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है और विशेष रूप से हर प्राणी की साँसों में और हृदय में निवास करता है। उसे बाहर खोजने की आवश्यकता नहीं है।
44. कबीर को ‘वाणी का डिक्टेटर’ किसने कहा है?
(क) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
(ख) आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
(ग) रामकुमार वर्मा
(घ) श्यामसुंदर दास
सही उत्तर: (ख) आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
विस्तार: आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कबीर के भाषा पर जबरदस्त अधिकार को देखते हुए उन्हें ‘वाणी का डिक्टेटर’ कहा है। उनका मानना था कि भाषा कबीर के सामने लाचार नजर आती थी; वे जैसा चाहते थे, वैसा ही उससे कहलवा लेते थे।
45. “बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय” – इस साखी का मूल भाव क्या है?
(क) संसार में कोई बुरा नहीं है
(ख) आत्मनिरीक्षण का महत्व
(ग) दूसरों की बुराई करना
(घ) यात्रा का वर्णन
सही उत्तर: (ख) आत्मनिरीक्षण का महत्व
विस्तार: कबीर कहते हैं कि जब मैं दुनिया में बुरा व्यक्ति खोजने निकला तो कोई नहीं मिला, पर जब मैंने अपने अंदर झाँका (“जो दिल खोजा आपना”), तो मुझसे बुरा कोई नहीं मिला। इसका भाव है कि दूसरों में दोष देखने से पहले व्यक्ति को स्वयं का आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।
46. सूरदास का प्रमुख ग्रंथ कौन-सा है, जिसे उनकी कीर्ति का आधार माना जाता है?
(क) सूर-सारावली
(ख) साहित्य-लहरी
(ग) सूरसागर
(घ) भ्रमरगीत
सही उत्तर: (ग) सूरसागर
विस्तार: ‘सूरसागर’ ही सूरदास की अक्षय कीर्ति का आधार स्तंभ है। यह श्रीमद्भागवत के द्वादश स्कंध पर आधारित एक विशाल काव्य-ग्रंथ है जिसमें कृष्ण की बाल-लीला, गोपियों के साथ रास और भ्रमरगीत का विस्तृत वर्णन है। भ्रमरगीत ‘सूरसागर’ का ही एक महत्वपूर्ण अंश है।
47. “अखियाँ हरि-दरसन की भूखी” – इस पद में गोपियों की किस मनोदशा का वर्णन है?
(क) क्रोध
(ख) तीव्र विरह और दर्शन की उत्कंठा
(ग) भूख
(घ) उदासीनता
सही उत्तर: (ख) तीव्र विरह और दर्शन की उत्कंठा
विस्तार: इस पद में गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि हमारी आँखें कृष्ण के दर्शन के लिए भूखी हैं। वे आपके निर्गुण योग के संदेश को नहीं, बल्कि कृष्ण के सगुण रूप को देखना चाहती हैं। यह उनकी विरह-व्यथा और दर्शन की तीव्र लालसा को प्रकट करता है।
48. सूरदास किस संप्रदाय में दीक्षित थे?
(क) चैतन्य संप्रदाय
(ख) निम्बार्क संप्रदाय
(ग) वल्लभ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग)
(घ) राधावल्लभ संप्रदाय
सही उत्तर: (ग) वल्लभ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग)
विस्तार: सूरदास महाप्रभु वल्लभाचार्य के शिष्य थे और उन्होंने ही सूरदास को पुष्टिमार्ग में दीक्षित किया था। वल्लभाचार्य के ‘अष्टछाप’ कवियों में सूरदास सर्वप्रमुख थे।
49. सूर के भ्रमरगीत का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(क) प्रकृति का वर्णन करना
(ख) उद्धव को अपमानित करना
(ग) ज्ञान पर भक्ति और निर्गुण पर सगुण की विजय दिखाना
(घ) कृष्ण की बाल-लीला का वर्णन
सही उत्तर: (ग) ज्ञान पर भक्ति और निर्गुण पर सगुण की विजय दिखाना
विस्तार: भ्रमरगीत का मूल उद्देश्य गोपियों के सरल, भावुक और प्रेमपूर्ण तर्कों के माध्यम से उद्धव के शुष्क ज्ञान-योग को पराजित करना है। इसमें सगुण भक्ति की स्थापना और निर्गुण भक्ति का खंडन किया गया है।
50. “हमारे हरि हारिल की लकरी” – यहाँ ‘हारिल की लकरी’ का क्या आशय है?
(क) एक प्रकार का पक्षी
(ख) एक कमजोर सहारा
(ग) जीवन का एकमात्र और अटूट आधार
(घ) लकड़ी का खिलौना
सही उत्तर: (ग) जीवन का एकमात्र और अटूट आधार
विस्तार: हारिल एक ऐसा पक्षी है जो हमेशा अपने पंजों में एक लकड़ी का टुकड़ा दबाए रहता है, उसे कभी नहीं छोड़ता। गोपियाँ कहती हैं कि हमारे लिए कृष्ण उसी हारिल की लकड़ी के समान हैं, जिन्हें हम मन, वचन और कर्म से दृढ़तापूर्वक पकड़े हुए हैं और कभी नहीं छोड़ सकते।
51. तुलसीदास को ‘समन्वयवादी कवि’ क्यों कहा जाता है?
(क) क्योंकि उन्होंने कई भाषाओं में लिखा
(ख) क्योंकि उन्होंने समाज के विभिन्न मतों, दर्शनों और भक्ति-मार्गों में सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया
(ग) क्योंकि उन्होंने गद्य और पद्य दोनों में रचना की
(घ) क्योंकि वे राजा और प्रजा में समन्वय चाहते थे
सही उत्तर: (ख) क्योंकि उन्होंने समाज के विभिन्न मतों, दर्शनों और भक्ति-मार्गों में सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया
विस्तार: तुलसीदास ने अपने काव्य में निर्गुण-सगुण, ज्ञान-भक्ति, शैव-वैष्णव, भाषा-संस्कृत आदि के द्वंद्वों को समाप्त कर उनमें एक समन्वय स्थापित करने का महान प्रयास किया। इसी कारण आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने उन्हें ‘लोकनायक’ और एक महान ‘समन्वयवादी’ कवि कहा।
52. ‘रामचरितमानस’ की रचना किस भाषा में हुई है?
(क) ब्रजभाषा
(ख) संस्कृत
(ग) अवधी
(घ) खड़ी बोली
सही उत्तर: (ग) अवधी
विस्तार: तुलसीदास ने लोकभाषा अवधी में ‘रामचरितमानस’ की रचना करके रामकथा को जन-जन तक पहुँचाया। यह उनकी लोकमंगल की भावना का परिचायक है।
53. “कब हूँक अंब अवसर पाइ” – इस पद में तुलसीदास किससे विनती कर रहे हैं?
(क) भगवान राम से
(ख) माता सीता से
(ग) हनुमान जी से
(घ) भरत से
सही उत्तर: (ख) माता सीता से
विस्तार: यह पद ‘विनय पत्रिका’ से है। इसमें तुलसीदास माता सीता से अनुरोध कर रहे हैं कि हे माँ! कभी उचित अवसर पाकर मेरी दीन-हीन दशा का वर्णन श्रीराम से कर देना और मेरी सुधि लेने को कहना। यह उनकी दास्य भक्ति और विनम्रता को दर्शाता है।
54. तुलसीदास की भक्ति किस भाव की है?
(क) सख्य भाव
(ख) माधुर्य भाव
(ग) दास्य भाव
(घ) वात्सल्य भाव
सही उत्तर: (ग) दास्य भाव
विस्तार: तुलसीदास ने स्वयं को भगवान राम का दास और सेवक मानकर भक्ति की है। उनकी रचनाओं, विशेषकर ‘विनय पत्रिका’ में, यह दास्य भाव सर्वत्र प्रकट होता है, जहाँ वे अत्यंत विनम्रता से अपने स्वामी श्रीराम की कृपा की याचना करते हैं।
55. ‘रामचरितमानस’ में कुल कितने काण्ड (अध्याय) हैं?
(क) पाँच
(ख) सात
(ग) आठ
(घ) दस
सही उत्तर: (ख) सात
विस्तार: ‘रामचरितमानस’ में सात काण्ड हैं: बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड और उत्तरकाण्ड।
56. बिहारी की एकमात्र रचना का क्या नाम है?
(क) बिहारी रत्नाकर
(ख) बिहारी सतसई
(ग) बिहारी बोध
(घ) बिहारी विलास
सही उत्तर: (ख) बिहारी सतसई
विस्तार: बिहारी ने केवल एक ही ग्रंथ की रचना की, जिसका नाम ‘बिहारी सतसई’ है। इसमें लगभग 713 दोहे संकलित हैं। इसी एक रचना ने उन्हें हिंदी साहित्य में अमर कर दिया।
57. बिहारी के काव्य में किस रस की प्रधानता है?
(क) वीर रस
(ख) शांत रस
(ग) श्रृंगार रस
(घ) करुण रस
सही उत्तर: (ग) श्रृंगार रस
विस्तार: यद्यपि बिहारी ने भक्ति और नीति के भी दोहे लिखे हैं, किंतु उनके काव्य का मुख्य रस श्रृंगार है। उन्होंने श्रृंगार के संयोग और वियोग दोनों पक्षों का अत्यंत कलात्मक और सूक्ष्म वर्णन किया है।
58. “सोहत ओढ़े पीतु पटु, स्याम सलोने गात” – इस दोहे में किस अलंकार का सौंदर्य है?
(क) यमक
(ख) श्लेष
(ग) उत्प्रेक्षा
(घ) अनुप्रास
सही उत्तर: (ग) उत्प्रेक्षा
विस्तार: दोहे की अगली पंक्ति है “मनौ नीलमनि सैल पर, आतपु परयौ प्रभात”। यहाँ ‘मनौ’ (मानो) शब्द का प्रयोग हुआ है, जो उत्प्रेक्षा अलंकार का वाचक है। इसमें श्रीकृष्ण के सांवले शरीर पर पीले वस्त्र की शोभा की कल्पना नीलमणि पर्वत पर प्रातःकालीन सूर्य की धूप पड़ने से की गई है।
59. बिहारी किस राजा के दरबारी कवि थे?
(क) महाराज शिवाजी
(ख) जयपुर के राजा जयसिंह
(ग) राजा छत्रसाल
(घ) अकबर
सही उत्तर: (ख) जयपुर के राजा जयसिंह
विस्तार: बिहारी जयपुर (आमेर) के राजा मिर्जा राजा जयसिंह के दरबारी कवि थे। कहा जाता है कि उन्होंने “नहिं पराग नहिं मधुर मधु…” दोहा सुनाकर राजा को कर्तव्य-बोध कराया था, जिससे प्रसन्न होकर राजा ने उन्हें प्रत्येक दोहे पर एक स्वर्ण-मुद्रा देने का वचन दिया।
60. “जपमाला, छापैं, तिलक, सरै न एकौ कामु।” – इस दोहे के माध्यम से बिहारी क्या कहना चाहते हैं?
(क) बाहरी आडंबरों का महत्व
(ख) बाहरी आडंबरों की निरर्थकता
(ग) ईश्वर की भक्ति करना
(घ) माला जपना आवश्यक है
सही उत्तर: (ख) बाहरी आडंबरों की निरर्थकता
विस्तार: यह बिहारी का नीति-संबंधी दोहा है। वे कहते हैं कि केवल माला जपने, छापे लगाने या तिलक लगाने जैसे बाहरी दिखावों से एक भी काम सिद्ध नहीं होता। सच्चा मन ही ईश्वर को प्रसन्न करता है (“मन काँचै नाचै बृथा, साँचै राँचै रामु”)।
61. भूषण के काव्य की भाषा क्या थी?
(क) शुद्ध अवधी
(ख) ओजपूर्ण ब्रजभाषा
(ग) फारसी मिश्रित खड़ी बोली
(घ) बुंदेली
सही उत्तर: (ख) ओजपूर्ण ब्रजभाषा
विस्तार: भूषण ने रीतिकाल की काव्य-भाषा ब्रजभाषा को ही अपनाया, लेकिन वीर रस के अनुकूल बनाने के लिए उन्होंने इसमें अरबी, फारसी, तुर्की और बुंदेली के शब्दों का भी प्रयोग किया, जिससे उनकी भाषा में एक विशेष प्रकार का ओज और प्रवाह आ गया।
62. भूषण के प्रसिद्ध ग्रंथ का नाम क्या है?
(क) शिवराज भूषण
(ख) भूषण हजारा
(ग) छत्रसाल दशक
(घ) उपरोक्त सभी
सही उत्तर: (घ) उपरोक्त सभी
विस्तार: ‘शिवराज भूषण’ (जिसमें शिवाजी की प्रशंसा और अलंकारों का विवेचन है), ‘शिवा बावनी’ (शिवाजी की वीरता के 52 कवित्त), और ‘छत्रसाल दशक’ (राजा छत्रसाल की प्रशंसा में 10 कवित्त) – ये सभी भूषण की प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।
63. “साजि चतुरंग सैन, अंग में उमंग धरि” – यहाँ ‘चतुरंग सैन’ का क्या अर्थ है?
(क) चार सैनिक
(ख) चार प्रकार के रंग
(ग) हाथी, घोड़े, रथ और पैदल सैनिकों से युक्त सेना
(घ) शतरंज का खेल
सही उत्तर: (ग) हाथी, घोड़े, रथ और पैदल सैनिकों से युक्त सेना
विस्तार: ‘चतुरंग’ या ‘चतुरंगिणी सेना’ प्राचीन भारत में सेना के चार अंगों (हाथी, रथ, घुड़सवार और पैदल सैनिक) के लिए प्रयुक्त होता था। भूषण यहाँ वर्णन कर रहे हैं कि शिवाजी अपनी चतुरंगिणी सेना को सजाकर पूरे उत्साह के साथ युद्ध के लिए प्रस्थान करते हैं।
64. भूषण का वास्तविक नाम क्या माना जाता है?
(क) मतिराम
(ख) जटाशंकर
(ग) घनश्याम
(घ) चिंतामणि
सही उत्तर: (ग) घनश्याम
विस्तार: विद्वानों का मानना है कि भूषण का मूल नाम ‘घनश्याम’ था। ‘भूषण’ उनकी उपाधि थी जो उन्हें चित्रकूट के सोलंकी राजा रुद्रशाह ने प्रदान की थी और इसी नाम से वे प्रसिद्ध हुए।
65. “ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहनवारी” – इस पंक्ति में किस अलंकार का प्रयोग हुआ है?
(क) अनुप्रास
(ख) उपमा
(ग) रूपक
(घ) यमक
सही उत्तर: (घ) यमक
विस्तार: यहाँ ‘ऊँचे घोर मंदर’ शब्द दो बार आया है और दोनों बार अर्थ अलग है। पहले का अर्थ है ‘ऊँचे विशाल महल’ और दूसरे का अर्थ है ‘ऊँची और गहरी गुफाएँ’। भूषण कहते हैं कि शिवाजी के भय से मुगल बेगमें जो ऊँचे महलों में रहती थीं, अब वे ऊँची गुफाओं में रहने को विवश हैं। एक ही शब्द का भिन्न अर्थों में प्रयोग होने के कारण यहाँ यमक अलंकार है।
66. जयशंकर प्रसाद किस काव्य-प्रवृत्ति के प्रवर्तक माने जाते हैं?
(क) प्रगतिवाद
(ख) प्रयोगवाद
(ग) छायावाद
(घ) नई कविता
सही उत्तर: (ग) छायावाद
विस्तार: जयशंकर प्रसाद, निराला, पंत और महादेवी वर्मा को ‘छायावाद के चार स्तंभ’ कहा जाता है। प्रसाद को छायावाद का प्रवर्तक (ब्रह्मा) माना जाता है।
67. प्रसाद की किस कृति को ‘हिन्दी का मेघदूत’ कहा जाता है?
(क) झरना
(ख) लहर
(ग) कामायनी
(घ) आँसू
सही उत्तर: (घ) आँसू
विस्तार: ‘आँसू’ एक विरह-काव्य है, जिसमें कवि की व्यक्तिगत वेदना सार्वभौमिक बन गई है। इसकी मार्मिकता और विरह-वर्णन की उत्कृष्टता के कारण इसकी तुलना कालिदास के ‘मेघदूत’ से की जाती है।
68. ‘कामायनी’ का दर्शन क्या कहलाता है?
(क) अद्वैतवाद
(ख) समरसतावाद या आनंदवाद
(ग) शून्यवाद
(घ) यथार्थवाद
सही उत्तर: (ख) समरसतावाद या आनंदवाद
विस्तार: ‘कामायनी’ का अंतिम संदेश है कि ज्ञान, इच्छा और कर्म (बुद्धि, हृदय और क्रिया) में समन्वय स्थापित करके ही परम आनंद की प्राप्ति हो सकती है। यही समरसतावाद या आनंदवाद है।
69. ‘ले चल मुझे भुलावा देकर, मेरे नाविक! धीरे-धीरे’ – यह प्रसिद्ध पंक्ति किस कवि की है?
(क) निराला
(ख) पंत
(ग) महादेवी वर्मा
(घ) जयशंकर प्रसाद
सही उत्तर: (घ) जयशंकर प्रसाद
विस्तार: यह पंक्ति जयशंकर प्रसाद की ‘लहर’ काव्य संग्रह की ‘मेरे नाविक’ कविता से है। इसमें कवि यथार्थ के कोलाहल से दूर एक शांत, कल्पना-लोक में जाने की इच्छा व्यक्त करता है। इसे ‘पलायनवादी’ भावना की कविता भी कहा जाता है।
70. जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नाटक कौन-सा नहीं है?
(क) स्कंदगुप्त
(ख) चंद्रगुप्त
(ग) ध्रुवस्वामिनी
(घ) अंधा युग
सही उत्तर: (घ) अंधा युग
विस्तार: ‘स्कंदगुप्त’, ‘चंद्रगुप्त’ और ‘ध्रुवस्वामिनी’ प्रसाद के प्रसिद्ध ऐतिहासिक नाटक हैं। ‘अंधा युग’ धर्मवीर भारती द्वारा रचित एक गीति-नाट्य है।
71. प्रसाद की पहली काव्य-कृति कौन-सी मानी जाती है?
(क) उर्वशी (चंपू काव्य)
(ख) कामायनी
(ग) आँसू
(घ) झरना
सही उत्तर: (क) उर्वशी (चंपू काव्य)
विस्तार: ‘उर्वशी’, जो 1909 में प्रकाशित हुई, प्रसाद की आरंभिक रचना मानी जाती है। यह एक चंपू काव्य है, अर्थात इसमें गद्य और पद्य का मिश्रण है।
72. ‘बीती विभावरी जाग री’ गीत में प्रसाद ने किसका आह्वान किया है?
(क) स्वतंत्रता का
(ख) जागरण और चेतना का
(ग) निद्रा का
(घ) युद्ध का
सही उत्तर: (ख) जागरण और चेतना का
विस्तार: इस गीत में प्रसाद प्रकृति के उपादानों (ऊषा, पनघट, तारे) के माध्यम से एक सखी को जगा रहे हैं, जो प्रतीकात्मक रूप से देशवासियों को अज्ञान और आलस्य की रात से जागकर एक नए विहान में प्रवेश करने का आह्वान है।
73. ‘कामायनी’ में ‘इड़ा’ किसका प्रतीक है?
(क) हृदय का
(ख) मन का
(ग) बुद्धि का
(घ) शरीर का
सही उत्तर: (ग) बुद्धि का
विस्तार: ‘कामायनी’ के पात्र प्रतीकात्मक हैं: मनु मन का, श्रद्धा हृदय/विश्वास का, और इड़ा तर्क-प्रधान बुद्धि का प्रतीक है।
74. निराला का पूरा नाम क्या था?
(क) सूर्यदेव त्रिपाठी
(ख) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
(ग) सूर्यप्रकाश त्रिपाठी
(घ) सूर्यमणि त्रिपाठी
सही उत्तर: (ख) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
विस्तार: महाकवि का पूरा नाम सूर्यकांत त्रिपाठी था, और ‘निराला’ उनका उपनाम (तखल्लुस) था, जो उनके विद्रोही और फक्कड़ स्वभाव के कारण प्रसिद्ध हुआ।
75. ‘राम की शक्ति पूजा’ कविता का मुख्य विषय क्या है?
(क) राम की विजय का उल्लास
(ख) रावण की शक्ति का वर्णन
(ग) राम के मन का द्वंद्व और शक्ति की आराधना
(घ) सीता का विरह
सही उत्तर: (ग) राम के मन का द्वंद्व और शक्ति की आराधना
विस्तार: यह कविता राम-रावण युद्ध के एक निर्णायक क्षण का वर्णन करती है, जब राम अपनी पराजय की आशंका से हताश हो जाते हैं। तब वे विजय के लिए देवी शक्ति की उपासना करते हैं। यह साधारण मनुष्य के द्वंद्व और संघर्ष की कहानी भी है।
76. निराला की किस कविता को ‘महाकाव्यात्मक रचना’ माना जाता है?
(क) भिक्षुक
(ख) तोड़ती पत्थर
(ग) तुलसीदास
(घ) जूही की कली
सही उत्तर: (ग) तुलसीदास
विस्तार: ‘तुलसीदास’ एक लंबी कविता है जिसमें निराला ने तुलसीदास के माध्यम से भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण और पतन का चित्रण किया है। इसकी संरचना और विषय की गंभीरता के कारण इसे महाकाव्यात्मक रचना का दर्जा दिया जाता है।
77. “वह तोड़ती पत्थर, देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ पर” – यह पंक्ति किस कविता की है?
(क) सरोज स्मृति
(ख) भिक्षुक
(ग) तोड़ती पत्थर
(घ) राम की शक्ति पूजा
सही उत्तर: (ग) तोड़ती पत्थर
विस्तार: यह निराला की एक प्रसिद्ध यथार्थवादी और प्रगतिवादी कविता है, जिसमें उन्होंने एक मजदूरनी की दयनीय दशा और उसके कठिन परिश्रम का सजीव चित्रण किया है।
78. निराला को ‘महाप्राण’ की उपाधि किसने दी?
(क) गंगाप्रसाद पाण्डेय
(ख) रामविलास शर्मा
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) पंत
सही उत्तर: (क) गंगाप्रसाद पाण्डेय
विस्तार: गंगाप्रसाद पाण्डेय ने निराला के ओजस्वी, विद्रोही और विराट व्यक्तित्व को देखकर उन्हें ‘महाप्राण’ की उपाधि दी थी। रामविलास शर्मा ने ‘निराला की साहित्य साधना’ लिखकर उनके महत्व को स्थापित किया।
79. ‘परिमल’ और ‘अनामिका’ किसके काव्य संग्रह हैं?
(क) पंत
(ख) प्रसाद
(ग) निराला
(घ) महादेवी वर्मा
सही उत्तर: (ग) निराला
विस्तार: ‘परिमल’ और ‘अनामिका’ निराला के प्रसिद्ध काव्य संग्रह हैं। ‘राम की शक्ति पूजा’ और ‘सरोज स्मृति’ जैसी महत्वपूर्ण कविताएँ ‘अनामिका’ के द्वितीय संस्करण में संकलित हैं।
80. निराला के काव्य में प्रगतिवादी चेतना किस कविता में सर्वाधिक मुखर है?
(क) बादल राग
(ख) जूही की कली
(ग) संध्या सुंदरी
(घ) स्नेह-निर्झर बह गया है
सही उत्तर: (क) बादल राग
विस्तार: ‘बादल राग’ कविता में निराला बादल को क्रांति और विप्लव का प्रतीक मानते हैं। वे बादल का आह्वान करते हैं कि वह बरसकर पूंजीपतियों के महलों को ध्वस्त कर दे और शोषित-पीड़ित किसानों के जीवन में हरियाली लाए। यह उनकी प्रगतिवादी चेतना का सशक्त उदाहरण है।
81. “अबे, सुन बे गुलाब…” यह पंक्ति निराला की किस व्यंग्यात्मक कविता की है?
(क) भिक्षुक
(ख) कुकुरमुत्ता
(ग) तोड़ती पत्थर
(घ) बादल राग
सही उत्तर: (ख) कुकुरमुत्ता
विस्तार: ‘कुकुरमुत्ता’ निराला की एक प्रसिद्ध व्यंग्यात्मक कविता है। इसमें कुकुरमुत्ता सर्वहारा (मेहनतकश) वर्ग का और गुलाब पूंजीपति (अभिजात्य) वर्ग का प्रतीक है। कुकुरमुत्ता गुलाब पर तीखा व्यंग्य करता है।
82. निराला किस दर्शन से प्रभावित थे?
(क) बौद्ध दर्शन
(ख) मार्क्सवाद
(ग) अद्वैत वेदांत
(घ) जैन दर्शन
सही उत्तर: (ग) अद्वैत वेदांत
विस्तार: निराला रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के अद्वैत वेदांत दर्शन से गहरे प्रभावित थे। उनकी रहस्यवादी कविताओं और ‘राम की शक्ति पूजा’ जैसी रचनाओं पर इसका स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है।
83. पंत जी का जन्म कहाँ हुआ था?
(क) वाराणसी, उत्तर प्रदेश
(ख) मेदिनीपुर, बंगाल
(ग) कौसानी, उत्तराखंड
(घ) जयपुर, राजस्थान
सही उत्तर: (ग) कौसानी, उत्तराखंड
विस्तार: सुमित्रानंदन पंत का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक गाँव में हुआ था, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। इसी प्राकृतिक परिवेश ने उन्हें प्रकृति-प्रेमी कवि बनाया।
84. पंत की किस कृति को ‘छायावाद का घोषणापत्र’ (मेनिफेस्टो) कहा जाता है?
(क) वीणा
(ख) ग्रंथि
(ग) पल्लव
(घ) गुंजन
सही उत्तर: (ग) पल्लव
विस्तार: ‘पल्लव’ की भूमिका (जिसका शीर्षक ‘प्रवेश’ है) बहुत विस्तृत है। इसमें पंत ने छायावादी कविता के स्वरूप, भाषा, भाव, अलंकार आदि पर विस्तार से विचार किया है, जो इसे छायावाद का घोषणापत्र बना देता है।
85. पंत की कौन-सी रचनाएँ अरविंद दर्शन से प्रभावित हैं?
(क) वीणा, ग्रंथि
(ख) युगांत, युगवाणी, ग्राम्या
(ग) स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, उत्तरा
(घ) लोकायतन
सही उत्तर: (ग) स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, उत्तरा
विस्तार: अपने काव्य-जीवन के अंतिम चरण में पंत महर्षि अरविंद के ‘चेतनावाद’ या ‘अंतश्चेतनावाद’ से प्रभावित हुए। ‘स्वर्णकिरण’, ‘स्वर्णधूलि’ और ‘उत्तरा’ जैसी रचनाएँ उनकी इसी मानवतावादी और आध्यात्मिक चेतना को व्यक्त करती हैं।
86. पंत को किस रचना के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था?
(क) लोकायतन
(ख) पल्लव
(ग) कला और बूढ़ा चाँद
(घ) चिदंबरा
सही उत्तर: (घ) चिदंबरा
विस्तार: सुमित्रानंदन पंत को वर्ष 1968 में ‘चिदंबरा’ काव्य संग्रह के लिए हिंदी साहित्य का सर्वोच्च सम्मान ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ प्रदान किया गया था। यह पुरस्कार पाने वाले वे पहले हिंदी साहित्यकार थे।
87. “छोड़ द्रुमों की मृदु छाया, तोड़ प्रकृति से भी माया” – यह पंक्ति पंत की किस कविता की है?
(क) प्रथम रश्मि
(ख) नौका विहार
(ग) परिवर्तन
(घ) बापू के प्रति
सही उत्तर: (घ) बापू के प्रति
विस्तार: इस कविता में पंत जी गांधीजी (बापू) को संबोधित करते हुए कहते हैं कि आपने प्रकृति के सुंदर बंधनों को भी तोड़कर मानवता की सेवा का कठिन मार्ग अपनाया। यह पंत के छायावादी सौंदर्य-बोध से मानवतावादी चिंतन की ओर संक्रमण को दर्शाती है।
88. पंत की प्रगतिवादी विचारधारा की रचना कौन-सी है?
(क) वीणा
(ख) पल्लव
(ग) ग्राम्या
(घ) स्वर्णकिरण
सही उत्तर: (ग) ग्राम्या
विस्तार: ‘युगांत’ के साथ पंत के छायावादी युग का अंत माना जाता है। इसके बाद ‘युगवाणी’ और ‘ग्राम्या’ जैसी रचनाओं में वे मार्क्सवादी और प्रगतिवादी विचारधारा से प्रभावित होकर गाँव के यथार्थ, किसानों की पीड़ा और सामाजिक विषमता का चित्रण करते हैं।
89. ‘प्रथम रश्मि’ कविता में पंत ने किसे ‘बाल-विहंगिनि’ कहा है?
(क) सूर्य की पहली किरण को
(ख) कोयल को
(ग) सुबह की हवा को
(घ) एक छोटी चिड़िया को
सही उत्तर: (घ) एक छोटी चिड़िया को
विस्तार: कविता में कवि आश्चर्य करता है कि सूर्य की पहली किरण के आने से भी पहले, वह कौन-सी छोटी चिड़िया (बाल-विहंगिनि) है जिसे सबसे पहले सुबह होने का पता चल जाता है और वह गाने लगती है।
90. पंत के महाकाव्य ‘लोकायतन’ का विषय क्या है?
(क) रामकथा
(ख) कृष्णकथा
(ग) भारतीय जीवन और गांधीवादी दर्शन
(घ) प्रकृति का सौंदर्य
सही उत्तर: (ग) भारतीय जीवन और गांधीवादी दर्शन
विस्तार: ‘लोकायतन’ पंत का एक विशाल महाकाव्य है जो स्वतंत्रता के बाद के भारतीय जन-जीवन पर आधारित है। इसमें उन्होंने गांधीवादी विचारधारा के माध्यम से एक नए समाज की स्थापना का स्वप्न देखा है।
91. पंत का मूल नाम क्या था?
(क) सुमित्रानंदन
(ख) गोसाईं दत्त
(ग) रामदत्त
(घ) लक्ष्मण
सही उत्तर: (ख) गोसाईं दत्त
विस्तार: सुमित्रानंदन पंत का बचपन का नाम गोसाईं दत्त था। बाद में उन्होंने अपना नाम बदलकर सुमित्रानंदन रख लिया, जो उन्हें अधिक काव्यात्मक लगा।
92. महादेवी वर्मा के काव्य में किस भावना की प्रधानता है?
(क) उल्लास और आनंद
(ख) विद्रोह और क्रांति
(ग) रहस्यमयी विरह-वेदना
(घ) राष्ट्रीय प्रेम
सही उत्तर: (ग) रहस्यमयी विरह-वेदना
विस्तार: महादेवी वर्मा के संपूर्ण काव्य में एक अज्ञात प्रियतम के प्रति विरह और उससे मिलने की आतुरता की भावना छाई हुई है। उनकी वेदना में भी एक आनंद और रहस्य का पुट है, जो उन्हें अन्य छायावादी कवियों से अलग करता है।
93. महादेवी वर्मा को किस काव्य-संग्रह के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला?
(क) नीहार
(ख) रश्मि
(ग) नीरजा
(घ) यामा
सही उत्तर: (घ) यामा
विस्तार: महादेवी वर्मा को वर्ष 1982 में उनके काव्य-संग्रह ‘यामा’ के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ‘यामा’ में उनके चार प्रमुख काव्य-संग्रहों (नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत) के महत्वपूर्ण गीतों का संकलन है।
94. “मैं नीर भरी दुख की बदली” – यह प्रसिद्ध पंक्ति किसकी है?
(क) सुभद्रा कुमारी चौहान
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) मीराबाई
(घ) सरोजिनी नायडू
सही उत्तर: (ख) महादेवी वर्मा
विस्तार: यह महादेवी वर्मा की सबसे प्रसिद्ध पंक्तियों में से एक है, जो उनके काव्य की मूल भावना को व्यक्त करती है। इसमें वे अपने जीवन की तुलना पानी से भरी दुख की बदली से करती हैं, जिसका अस्तित्व बरस कर मिट जाने में ही सार्थक है।
95. महादेवी वर्मा द्वारा रचित रेखाचित्र कौन-सा है?
(क) पथ के साथी
(ख) मेरा परिवार
(ग) अतीत के चलचित्र
(घ) उपरोक्त सभी
सही उत्तर: (घ) उपरोक्त सभी
विस्तार: महादेवी वर्मा एक श्रेष्ठ कवयित्री होने के साथ-साथ एक उत्कृष्ट गद्य-लेखिका भी थीं। ‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘पथ के साथी’ (संस्मरण) और ‘मेरा परिवार’ (जिसमें पशु-पक्षियों के रेखाचित्र हैं) उनकी प्रसिद्ध गद्य-कृतियाँ हैं।
96. महादेवी वर्मा के काव्य पर किस दर्शन का प्रभाव है?
(क) मार्क्सवाद
(ख) बौद्ध दर्शन का करुणावाद
(ग) जैन दर्शन
(घ) इस्लाम का सूफीवाद
सही उत्तर: (ख) बौद्ध दर्शन का करुणावाद
विस्तार: महादेवी वर्मा के काव्य में व्याप्त वेदना और करुणा पर बौद्ध दर्शन का गहरा प्रभाव है। वे दुःख को व्यक्तिगत न मानकर उसे संसार के कल्याण का साधन मानती हैं, जो बुद्ध की करुणा भावना के निकट है।
97. ‘दीपशिखा’ काव्य-संग्रह की विशेषता क्या है?
(क) इसमें प्रकृति के चित्र हैं
(ख) इसमें विरह के गीत हैं
(ग) इसमें दीपक के प्रतीक के माध्यम से रहस्यवादी भावना व्यक्त की गई है
(घ) इसमें बच्चों के लिए कविताएँ हैं
सही उत्तर: (ग) इसमें दीपक के प्रतीक के माध्यम से रहस्यवादी भावना व्यक्त की गई है
विस्तार: ‘दीपशिखา’ में महादेवी ने दीपक को अपनी आत्मा का प्रतीक बनाया है, जो अज्ञात प्रियतम के पथ को आलोकित करने के लिए स्वयं जलता है। यह त्याग, समर्पण और रहस्यमयी प्रेम की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति है।
98. महादेवी वर्मा ने किस पत्रिका का संपादन किया था?
(क) सरस्वती
(ख) हंस
(ग) चाँद
(घ) माधुरी
सही उत्तर: (ग) चाँद
विस्तार: महादेवी वर्मा ने प्रसिद्ध महिला पत्रिका ‘चाँद’ का संपादन कर नारी-चेतना और स्त्री-विमर्श को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
99. “जो तुम आ जाते एक बार, कितनी करुणा कितने संदेश, पथ में बिछ जाते बन पराग” – यह गीत किसने लिखा है?
(क) प्रसाद
(ख) निराला
(ग) पंत
(घ) महादेवी वर्मा
सही उत्तर: (घ) महादेवी वर्मा
विस्तार: यह महादेवी वर्मा का एक प्रसिद्ध गीत है, जिसमें वे अपने अज्ञात प्रियतम के आगमन की कल्पना करती हैं और कहती हैं कि यदि तुम आ जाते तो मेरी सारी करुणा और सारे संदेश तुम्हारे रास्ते में फूलों के पराग बनकर बिछ जाते।
100. छायावाद के ‘चार स्तंभों’ में कौन शामिल नहीं है?
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
(ग) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
(घ) सुमित्रानंदन पंत
सही उत्तर: (ग) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
विस्तार: छायावाद के चार प्रमुख स्तंभ हैं – प्रसाद, निराला, पंत और महादेवी वर्मा। रामधारी सिंह ‘दिनकर’ मुख्य रूप से राष्ट्रीय-सांस्कृतिक काव्यधारा के कवि हैं, जो छायावाद के बाद के दौर में आते हैं।
हिंदी काव्य – अतिरिक्त MCQ प्रश्नोत्तरी
हिंदी काव्य – अतिरिक्त 100 प्रश्न (101 – 200)
(क) कबीर (जारी)
101. कबीर की रचनाओं का संग्रह ‘बीजक’ के नाम से किसने किया?
(क) स्वयं कबीर ने
(ख) उनके पुत्र कमाल ने
(ग) उनके शिष्य धर्मदास ने
(घ) संत रैदास ने
सही उत्तर: (ग) उनके शिष्य धर्मदास ने
विस्तार: कबीर निरक्षर थे, वे केवल बोलते थे। उनकी वाणियों का संकलन उनके प्रमुख शिष्य धर्मदास ने ‘बीजक’ नाम से किया था। बीजक के तीन भाग हैं – साखी, सबद और रमैनी।
102. “जल में कुंभ, कुंभ में जल है, बाहर भीतर पानी” – इस पंक्ति में कबीर किस दार्शनिक सिद्धांत की बात कर रहे हैं?
(क) द्वैतवाद
(ख) अद्वैतवाद
(ग) शून्यवाद
(घ) अनेकांतवाद
सही उत्तर: (ख) अद्वैतवाद
विस्तार: इस पंक्ति में कबीर आत्मा (कुंभ में जल) और परमात्मा (बाहर का जल) की एकता को दर्शा रहे हैं। जैसे घड़ा (शरीर) टूट जाने पर अंदर और बाहर का पानी एक हो जाता है, वैसे ही शरीर नष्ट होने पर आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाती है। यह अद्वैतवाद (आत्मा-परमात्मा एक हैं) का सिद्धांत है।
103. कबीर ने ‘हंस’ को किसका प्रतीक माना है?
(क) दुष्ट व्यक्ति का
(ख) जीवात्मा या साधक का
(ग) माया का
(घ) सांसारिक व्यक्ति का
सही उत्तर: (ख) जीवात्मा या साधक का
विस्तार: कबीर के काव्य में ‘हंस’ एक विवेकी साधक या मुक्त जीवात्मा का प्रतीक है, जो संसार रूपी तालाब के मोह-माया रूपी जल को त्यागकर मोक्ष रूपी मोती चुगता है।
104. “लाली मेरे लाल की, जित देखूँ तित लाल” – यहाँ ‘लाली’ और ‘लाल’ का क्या अर्थ है?
(क) लाल रंग और पुत्र
(ख) भक्ति का रंग और ईश्वर
(ग) सिंदूर और माणिक
(घ) क्रोध और खतरा
सही उत्तर: (ख) भक्ति का रंग और ईश्वर
विस्तार: यहाँ ‘लाल’ का अर्थ प्रियतम परमात्मा (ईश्वर) है और ‘लाली’ का अर्थ उसके प्रेम या ज्ञान का रंग है। कबीर कहते हैं कि मुझ पर मेरे प्रभु का ऐसा रंग चढ़ा है कि मैं जहाँ भी देखता हूँ, मुझे वही प्रभु दिखाई देता है।
(ख) सूरदास (जारी)
105. “मैया कबहिं बढ़ैगी चोटी?” – इस पद में बाल कृष्ण का कौन-सा मनोविज्ञान उजागर होता है?
(क) ईर्ष्या
(ख) भय
(ग) बाल-सुलभ जिज्ञासा और अधीरता
(घ) क्रोध
सही उत्तर: (ग) बाल-सुलभ जिज्ञासा और अधीरता
विस्तार: इस पद में कृष्ण अपनी माँ से पूछते हैं कि मेरी चोटी कब बढ़ेगी? तुम तो कहती थीं कि दूध पीने से यह बलराम भैया की तरह लंबी हो जाएगी। यह एक बच्चे की स्वाभाविक जिज्ञासा, अधीरता और अपनी तुलना बड़े भाई से करने की मनोवृत्ति को दर्शाता है।
106. सूरदास को ‘अष्टछाप का जहाज़’ किसने कहा था?
(क) वल्लभाचार्य
(ख) गोस्वामी विट्ठलनाथ
(ग) नाभादास
(घ) नंददास
सही उत्तर: (ख) गोस्वामी विट्ठलनाथ
विस्तार: अष्टछाप की स्थापना गोस्वामी विट्ठलनाथ ने की थी। सूरदास की मृत्यु पर विट्ठलनाथ ने ही शोक व्यक्त करते हुए कहा था, “पुष्टिमार्ग को जहाज़ जात है, सो जाको कछु लेनो होय सो लेउ।”
107. भ्रमरगीत में गोपियों के तर्क के सामने उद्धव का ज्ञान-योग कैसा सिद्ध होता है?
(क) श्रेष्ठ और विजयी
(ख) निरर्थक और शुष्क
(ग) दोनों बराबर रहते हैं
(घ) गोपियाँ ज्ञान-योग अपना लेती हैं
सही उत्तर: (ख) निरर्थक और शुष्क
विस्तार: गोपियाँ अपने प्रेम, भक्ति और सरस तर्कों से उद्धव के निर्गुण ज्ञान और योग की साधना को फीका और प्रभावहीन सिद्ध कर देती हैं। उनके लिए प्रेम ही सर्वोपरि है, ज्ञान नहीं।
108. “बिनु गोपाल बैरिन भई कुंजैं” – इस पद में वियोग की किस दशा का वर्णन है?
(क) संयोग में सुख देने वाली वस्तुएँ वियोग में दुःखदायी हो जाती हैं
(ख) जंगल में आग लग गई है
(ग) कृष्ण कुंजों से घृणा करते हैं
(घ) गोपियाँ जंगल काट रही हैं
सही उत्तर: (क) संयोग में सुख देने वाली वस्तुएँ वियोग में दुःखदायी हो जाती हैं
विस्तार: गोपियाँ कहती हैं कि कृष्ण के बिना वही लता-कुंज जो उनके साथ होने पर सुख देते थे, अब दुश्मन (बैरिन) बन गए हैं। ठंडी हवा, चाँदनी, कमल सब आग के समान जलाते हैं। यह वियोग श्रृंगार की एक उत्कृष्ट अवस्था है।
(ग) तुलसीदास (जारी)
109. “ऐसी मूढ़ता या मन की” पद में तुलसीदास ने मन की तुलना किससे नहीं की है?
(क) तोते से जो सेमर के फल की आशा करता है
(ख) उस कुत्ते से जो घर में अपमानित होता है
(ग) उस गधे से जो बोझ ढोता है
(घ) उस हंस से जो मोती चुगता है
सही उत्तर: (घ) उस हंस से जो मोती चुगता है
विस्तार: ‘विनय पत्रिका’ के इस पद में तुलसीदास अपने मन की मूर्खता बताने के लिए नकारात्मक उदाहरण देते हैं, जैसे सेमर के थोथे फल के लिए तोता या अपमान सहकर भी लालच करने वाला कुत्ता। हंस तो विवेकी जीवात्मा का प्रतीक है, मूर्खता का नहीं।
110. रामचरितमानस का हृदय-स्थल किस काण्ड को कहा जाता है?
(क) बालकाण्ड
(ख) अयोध्याकाण्ड
(ग) सुन्दरकाण्ड
(घ) उत्तरकाण्ड
सही उत्तर: (ख) अयोध्याकाण्ड
विस्तार: अयोध्याकाण्ड में पारिवारिक और सामाजिक संबंधों के आदर्श, त्याग और मर्यादा का जो मार्मिक चित्रण है, उसके कारण इसे ‘रामचरितमानस का हृदय-स्थल’ कहा जाता है। भरत-चरित्र की महानता इसी काण्ड में प्रकट होती है।
111. पुष्पवाटिका प्रसंग में सीता की सखियाँ राम के सौंदर्य को किस प्रकार देखती हैं?
(क) भय से
(ख) क्रोध से
(ग) चकित होकर और आनंद के साथ
(घ) उदासीनता से
सही उत्तर: (ग) चकित होकर और आनंद के साथ
विस्तार: पुष्पवाटिका में सीता की सखियाँ राम और लक्ष्मण के अलौकिक सौंदर्य को देखकर चकित हो जाती हैं। वे सीता को इशारों से उन्हें देखने के लिए कहती हैं और उस सौंदर्य का पान कर आनंदित होती हैं।
112. “सियाराममय सब जग जानी। करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी।।” – इस पंक्ति में तुलसीदास का कौन-सा दर्शन प्रकट होता है?
(क) संसार से वैराग्य
(ख) विशिष्टाद्वैतवाद (ईश्वर को सर्वव्यापी मानना)
(ग) केवल राम की पूजा
(घ) प्रकृति प्रेम
सही उत्तर: (ख) विशिष्टाद्वैतवाद (ईश्वर को सर्वव्यापी मानना)
विस्तार: इस पंक्ति का अर्थ है – मैं सारे संसार को सीता-राम से युक्त समझकर दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ। यह दर्शाता है कि तुलसीदास की दृष्टि में सृष्टि के कण-कण में ईश्वर व्याप्त है। यह रामानुजाचार्य के विशिष्टाद्वैत दर्शन के बहुत निकट है।
(घ) बिहारी (जारी)
113. “नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहि काल” – यह दोहा बिहारी ने किसे सचेत करने के लिए लिखा था?
(क) राजा छत्रसाल को
(ख) औरंगजेब को
(ग) अपनी पत्नी को
(घ) राजा जयसिंह को
सही उत्तर: (घ) राजा जयसिंह को
विस्तार: कहा जाता है कि राजा जयसिंह अपनी नव-विवाहित किशोरी पत्नी के प्रेम में इतने डूबे थे कि उन्होंने राज-काज छोड़ दिया था। तब बिहारी ने यह अन्योक्तिपूर्ण दोहा भेजा, जिसमें भौंरे के माध्यम से राजा को समझाया गया था। इसे पढ़कर राजा को अपना कर्तव्य याद आया।
114. बिहारी के दोहों में भक्ति, श्रृंगार और नीति का अद्भुत संगम है। इस त्रिवेणी में मुख्य धारा कौन-सी है?
(क) भक्ति
(ख) नीति
(ग) श्रृंगार
(घ) तीनों बराबर हैं
सही उत्तर: (ग) श्रृंगार
विस्तार: यद्यपि बिहारी ने भक्ति और नीति के भी उत्कृष्ट दोहे लिखे, लेकिन उनके काव्य की प्रसिद्धि का मुख्य आधार श्रृंगार रस ही है। उनकी सतसई में श्रृंगारिक दोहों की संख्या सबसे अधिक है और वे रीतिकाल के प्रतिनिधि श्रृंगारी कवि हैं।
115. “बतरस लालच लाल की, मुरली दई लुकाइ” – इस दोहे में नायिका (राधा) ने कृष्ण की मुरली क्यों छिपाई?
(क) मुरली चुराने के लिए
(ख) मुरली बजाना सीखने के लिए
(ग) कृष्ण से बातें करने का अवसर पाने के लिए
(घ) कृष्ण को परेशान करने के लिए
सही उत्तर: (ग) कृष्ण से बातें करने का अवसर पाने के लिए
विस्तार: ‘बतरस’ का अर्थ है बातों का रस। राधा कृष्ण से बात करने के रस के लालच में उनकी मुरली छिपा देती हैं, ताकि इसी बहाने कृष्ण उनसे बात करें, अनुरोध करें और उन्हें कृष्ण के साथ समय बिताने का मौका मिले।
116. बिहारी सतसई पर सबसे प्रामाणिक टीका किसने लिखी है?
(क) लल्लू लाल
(ख) जगन्नाथ दास ‘रत्नाकर’
(ग) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
(घ) भारतेंदु हरिश्चंद्र
सही उत्तर: (ख) जगन्नाथ दास ‘रत्नाकर’
विस्तार: जगन्नाथ दास ‘रत्नाकर’ द्वारा लिखी गई ‘बिहारी रत्नाकर’ नामक टीका को बिहारी सतसई की सबसे प्रामाणिक और सर्वश्रेष्ठ टीका माना जाता है।
(ङ) भूषण (जारी)
117. “तीन बेर खातीं ते वे तीन बेर खाती हैं” – इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास
(ख) श्लेष
(ग) यमक
(घ) उपमा
सही उत्तर: (ग) यमक
विस्तार: यहाँ ‘तीन बेर’ शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है। पहले ‘तीन बेर’ का अर्थ है ‘तीन बार’ (Three times a day)। दूसरे ‘तीन बेर’ का अर्थ है ‘तीन बेर के फल’ (Three jujube fruits)। शिवाजी के डर से मुगल रानियाँ जो दिन में तीन बार भोजन करती थीं, अब जंगल में केवल तीन बेर के फल खाकर गुज़ारा कर रही हैं।
118. भूषण के काव्य में किस रस का स्थायी भाव ‘उत्साह’ होता है?
(क) श्रृंगार रस
(ख) करुण रस
(ग) वीर रस
(घ) शांत रस
सही उत्तर: (ग) वीर रस
विस्तार: भूषण वीर रस के कवि हैं और वीर रस का स्थायी भाव ‘उत्साह’ होता है। उनकी कविताएं पढ़कर या सुनकर मन में वीरता और जोश का संचार होता है।
119. भूषण ने अपने काव्य में शिवाजी की तुलना किससे नहीं की है?
(क) इंद्र से
(ख) राम से
(ग) सिंह (शेर) से
(घ) रावण से
सही उत्तर: (घ) रावण से
विस्तार: भूषण ने शिवाजी की वीरता दिखाने के लिए उनकी तुलना इंद्र, राम, सिंह, परशुराम, दावानल जैसे शक्तिशाली और सकारात्मक पौराणिक एवं प्राकृतिक उपमानों से की है। रावण एक नकारात्मक पात्र है, इसलिए उससे तुलना नहीं की गई है, बल्कि उसे शत्रु के रूप में दिखाया गया है।
120. ‘छत्रसाल दशक’ में भूषण ने किसकी वीरता का वर्णन किया है?
(क) छत्रपति शिवाजी
(ख) राजा जयसिंह
(ग) बुंदेला राजा छत्रसाल
(घ) महाराणा प्रताप
सही उत्तर: (ग) बुंदेला राजा छत्रसाल
विस्तार: ‘छत्रसाल दशक’ में भूषण ने अपने दूसरे आश्रयदाता, पन्ना (बुंदेलखंड) के वीर राजा छत्रसाल के शौर्य और पराक्रम का वर्णन दस कवित्तों में किया है।
(च) प्रसाद, निराला, पंत और महादेवी (जारी)
121. ‘कामायनी’ में कुल कितने सर्ग (अध्याय) हैं?
(क) 10
(ख) 12
(ग) 15
(घ) 18
सही उत्तर: (ग) 15
विस्तार: जयशंकर प्रसाद के महाकाव्य ‘कामायनी’ में कुल 15 सर्ग हैं। पहला सर्ग ‘चिंता’ है और अंतिम सर्ग ‘आनंद’ है।
122. निराला की कविता ‘भिक्षुक’ किस प्रकार की कविता है?
(क) रहस्यवादी
(ख) प्रगतिवादी और यथार्थवादी
(ग) छायावादी और कल्पनाप्रधान
(घ) व्यंग्यात्मक
सही उत्तर: (ख) प्रगतिवादी और यथार्थवादी
विस्तार: “वह आता- दो टूक कलेजे के करता, पछताता पथ पर आता।” – इन पंक्तियों वाली ‘भिक्षुक’ कविता में निराला ने समाज के सबसे उपेक्षित और दीन-हीन वर्ग के यथार्थ का मार्मिक चित्रण किया है। यह उनकी प्रगतिवादी चेतना को दर्शाती है।
123. सुमित्रानंदन पंत की किस कविता में ताजमहल पर व्यंग्य किया गया है?
(क) नौका विहार
(ख) ताज
(ग) परिवर्तन
(घ) मौन निमंत्रण
सही उत्तर: (ख) ताज
विस्तार: ‘ताज’ कविता में पंत ताजमहल की सुंदरता की प्रशंसा करने के बजाय, उसे शोषण का प्रतीक मानते हैं। वे कहते हैं “हाय! मृत्यु का ऐसा अमर, अपार्थिव पूजन!” और उन हजारों मजदूरों के शोषण को याद करते हैं जिनके श्रम से यह बना है। यह उनकी प्रगतिवादी दृष्टि का परिचायक है।
124. महादेवी वर्मा के गद्य-संग्रह ‘श्रृंखला की कड़ियाँ’ का मुख्य विषय क्या है?
(क) पशु-पक्षियों का जीवन
(ख) कवियों के संस्मरण
(ग) भारतीय समाज में स्त्री-विमर्श और उनकी समस्याएँ
(घ) यात्रा वृत्तांत
सही उत्तर: (ग) भारतीय समाज में स्त्री-विमर्श और उनकी समस्याएँ
विस्तार: ‘श्रृंखला की कड़ियाँ’ महादेवी वर्मा के विचारात्मक निबंधों का संग्रह है, जिसमें उन्होंने भारतीय नारी की पराधीनता, उसके अधिकार और सामाजिक स्थिति पर बेबाकी से लिखा है। यह हिंदी में स्त्री-विमर्श की एक महत्वपूर्ण पुस्तक है।
125. “अरुण यह मधुमय देश हमारा” – यह प्रसिद्ध गीत प्रसाद के किस नाटक का है?
(क) स्कंदगुप्त
(ख) ध्रुवस्वामिनी
(ग) चंद्रगुप्त
(घ) अजातशत्रु
सही उत्तर: (ग) चंद्रगुप्त
विस्तार: यह प्रसिद्ध गीत ‘चंद्रगुप्त’ नाटक में विदेशी पात्र कॉर्नेलिया (सेल्यूकस की पुत्री) द्वारा गाया गया है, जिसमें वह भारत की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक समृद्धि की प्रशंसा करती है।
126. “मन काँचै नाचै बृथा, साँचै राँचै रामु” – यह पंक्ति किस कवि की है?
(क) कबीर
(ख) सूरदास
(ग) तुलसीदास
(घ) बिहारी
सही उत्तर: (घ) बिहारी
विस्तार: यह बिहारी के नीतिपरक दोहे की पंक्ति है, जिसका अर्थ है कि कच्चा या अपरिपक्व मन व्यर्थ ही नाचता (भटकता) है, जबकि सच्चे मन में ही राम (ईश्वर) रमते हैं। यह बाहरी आडंबरों पर आंतरिक सच्चाई की विजय को दर्शाती है।
127. “किलकत कान्ह घुटुरुवनि आवत” – इस पद में किस रस की अद्भुत व्यंजना हुई है?
(क) श्रृंगार रस
(ख) वीर रस
(ग) वात्सल्य रस
(घ) शांत रस
सही उत्तर: (ग) वात्सल्य रस
विस्तार: इस पद में सूरदास ने बालकृष्ण के घुटनों के बल चलने और किलकारी मारने का अत्यंत सजीव और मनमोहक चित्र खींचा है, जिसे पढ़कर पाठक के मन में वात्सल्य (संतान के प्रति प्रेम) का भाव उत्पन्न होता है।
128. निराला की किस रचना पर रवींद्रनाथ टैगोर की ‘गीतांजलि’ का प्रभाव माना जाता है?
(क) अनामिका
(ख) परिमल
(ग) गीतिका
(घ) कुकुरमुत्ता
सही उत्तर: (ग) गीतिका
विस्तार: निराला के काव्य-संग्रह ‘गीतिका’ के गीतों में जो संगीतात्मकता, दार्शनिकता और रहस्य का भाव है, उस पर टैगोर की ‘गीतांजलि’ का प्रभाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।
129. “एक भरोसो, एक बल, एक आस बिस्वास। एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास।।” – इस दोहे में तुलसी ने स्वयं की तुलना किससे की है?
(क) मोर से
(ख) चातक पक्षी से
(ग) हंस से
(घ) कोयल से
सही उत्तर: (ख) चातक पक्षी से
विस्तार: चातक पक्षी केवल स्वाति नक्षत्र की बूँद का ही जल पीता है, उसी प्रकार तुलसीदास कहते हैं कि मेरा एकमात्र भरोसा, बल, आशा और विश्वास मेरे प्रभु श्रीराम ही हैं, जो मेरे लिए स्वाति नक्षत्र के बादल (घनश्याम) के समान हैं। यह उनकी अनन्य भक्ति का परिचायक है।
130. “ऊँचे कुल का जनमिया, जे करनी ऊँच न होइ” – इस साखी में कबीर ने किस बात पर बल दिया है?
(क) ऊँचे कुल में जन्म लेने पर
(ख) धनवान होने पर
(ग) कर्मों की श्रेष्ठता पर
(घ) शारीरिक बल पर
सही उत्तर: (ग) कर्मों की श्रेष्ठता पर
विस्तार: कबीर कहते हैं कि केवल ऊँचे कुल में जन्म लेने से कोई बड़ा नहीं हो जाता, यदि उसके कर्म ऊँचे या श्रेष्ठ न हों। वे सोने के कलश का उदाहरण देते हैं कि यदि वह शराब से भरा हो तो साधु लोग उसकी निंदा ही करेंगे। अतः जन्म से अधिक कर्म महत्वपूर्ण है।
131. “कनक-कनक तैं सौगुनी, मादकता अधिकाय” – यह प्रसिद्ध दोहा किस कवि का है?
(क) कबीर
(ख) रहीम
(ग) बिहारी
(घ) भूषण
सही उत्तर: (ग) बिहारी
विस्तार: यह बिहारी का प्रसिद्ध नीतिपरक दोहा है। इसमें यमक अलंकार है। पहले ‘कनक’ का अर्थ सोना (धन) है और दूसरे का धतूरा (नशीला पदार्थ)। बिहारी कहते हैं कि सोने में धतूरे से सौ गुना अधिक नशा होता है, क्योंकि धतूरे को तो खाने से नशा होता है, पर सोने को तो पा लेने मात्र से ही मनुष्य पागल (अभिमानी) हो जाता है।
132. सुमित्रानंदन पंत का बचपन का नाम क्या था?
(क) रामबोला
(ख) गोसाईं दत्त
(ग) घनश्याम
(घ) सूर्यकांत
सही उत्तर: (ख) गोसाईं दत्त
विस्तार: सुमित्रानंदन पंत का मूल नाम ‘गोसाईं दत्त’ था। रामबोला तुलसीदास का, घनश्याम भूषण का और सूर्यकांत निराला का नाम था।
133. भूषण की कविता का मुख्य स्वर क्या है?
(क) भक्ति और विनय
(ख) श्रृंगार और सौंदर्य
(ग) प्रशस्ति और वीर भावना
(घ) वैराग्य और शांत रस
सही उत्तर: (ग) प्रशस्ति और वीर भावना
विस्तार: भूषण की कविता का मुख्य स्वर अपने आश्रयदाताओं (शिवाजी और छत्रसाल) की प्रशंसा (प्रशस्ति) करना और उनकी वीरता का ओजस्वी वर्णन करना है। यह वीर रस प्रधान काव्य है।
134. “मधुकर! स्याम हमारे चोर” – इस पंक्ति में गोपियाँ किसे चोर कह रही हैं और क्यों?
(क) उद्धव को, क्योंकि वे ज्ञान चुराते हैं
(ख) कृष्ण को, क्योंकि उन्होंने गोपियों का मन हर लिया है
(ग) भौंरे को, क्योंकि वह फूलों का रस चुराता है
(घ) बलराम को, क्योंकि वे माखन चुराते हैं
सही उत्तर: (ख) कृष्ण को, क्योंकि उन्होंने गोपियों का मन हर लिया है
विस्तार: इस पद में गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि श्याम (कृष्ण) हमारे चोर हैं। उन्होंने अपनी चितवन से हमारा मन चुरा लिया है। यह प्रेम की एक सुंदर अभिव्यक्ति है जहाँ प्रिय को ‘चितचोर’ कहा जाता है।
135. “अब लौं नसानी, अब न नसैहौं” – विनय पत्रिका के इस पद में तुलसीदास क्या संकल्प ले रहे हैं?
(क) अब और नहीं सोएँगे
(ख) अब तक जीवन नष्ट किया, पर अब राम-कृपा से इसे नष्ट नहीं होने देंगे
(ग) अब और धन नष्ट नहीं करेंगे
(घ) अब यात्रा नहीं करेंगे
सही उत्तर: (ख) अब तक जीवन नष्ट किया, पर अब राम-कृपा से इसे नष्ट नहीं होने देंगे
विस्तार: इस पद में तुलसीदास आत्म-ग्लानि के साथ संकल्प लेते हैं कि अब तक तो मैंने अपना जीवन (माया-मोह में) नष्ट कर दिया, पर अब जब राम की कृपा रूपी सुबह हो गई है, तो मैं इस जीवन को व्यर्थ नहीं जाने दूँगा और भक्ति मार्ग पर दृढ़ रहूँगा।
136. छायावाद को ‘स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह’ किसने कहा?
(क) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
(ख) डॉ. नगेंद्र
(ग) रामविलास शर्मा
(घ) हजारी प्रसाद द्विवेदी
सही उत्तर: (ख) डॉ. नगेंद्र
विस्तार: डॉ. नगेंद्र ने छायावाद की परिभाषा देते हुए उसे ‘स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह’ कहा। इसका अर्थ है कि छायावादी कवियों ने द्विवेदी युग की स्थूल नैतिकता और इतिवृत्तात्मकता के विरुद्ध सूक्ष्म भावनाओं, कल्पना और व्यक्तिगत अनुभूतियों को महत्व दिया।
137. कबीर के राम ‘दशरथ-सुत’ नहीं हैं, यह कथन क्या दर्शाता है?
(क) कबीर का राम से बैर था
(ख) कबीर के राम निर्गुण, निराकार और अजन्मा ब्रह्म हैं
(ग) कबीर को रामकथा का ज्ञान नहीं था
(घ) कबीर कृष्ण भक्त थे
सही उत्तर: (ख) कबीर के राम निर्गुण, निराकार और अजन्मा ब्रह्म हैं
विस्तार: कबीर कहते हैं “दशरथ सुत तिहुँ लोक बखाना, राम नाम का मरम है आना”। इसका अर्थ है कि दशरथ के पुत्र राम को तो तीनों लोक जानते हैं, लेकिन मेरे राम नाम का मर्म (रहस्य) कुछ और है। उनके राम घट-घट वासी, जन्म-मरण से परे, परम तत्व हैं।
138. सूरदास ने ‘मुरली’ को गोपियों की ‘सौत’ क्यों कहा है?
(क) क्योंकि मुरली बहुत सुरीली है
(ख) क्योंकि कृष्ण हर समय उसे अपने होठों से लगाए रहते हैं और गोपियों की उपेक्षा करते हैं
(ग) क्योंकि मुरली का रंग काला है
(घ) क्योंकि मुरली गोपियों को चिढ़ाती है
सही उत्तर: (ख) क्योंकि कृष्ण हर समय उसे अपने होठों से लगाए रहते हैं और गोपियों की उपेक्षा करते हैं
विस्तार: गोपियों को मुरली से ईर्ष्या है क्योंकि कृष्ण उसे अपने अधरों पर रखकर, प्रेम से बजाकर, उस पर पूरी तरह मोहित रहते हैं। उन्हें लगता है कि मुरली ने कृष्ण को उनसे छीन लिया है, इसीलिए वे उसे अपनी ‘सौत’ या ‘सौतिन’ कहती हैं।
139. बिहारी के दोहे “दीरघ साँस न लेहु दुख, सुख साँईंहि न भूलि” में क्या नीति-संदेश है?
(क) गहरी साँस लेना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है
(ख) दुःख और सुख दोनों में ईश्वर को याद रखना चाहिए
(ग) सुख में ही ईश्वर को याद करना चाहिए
(घ) दुःख में किसी को याद नहीं करना चाहिए
सही उत्तर: (ख) दुःख और सुख दोनों में ईश्वर को याद रखना चाहिए
विस्तार: बिहारी कहते हैं कि दुःख में लंबी-लंबी आहें भरकर ईश्वर को मत कोसो, और सुख में ईश्वर को भूलो मत। अर्थात, हर परिस्थिति में समभाव रखते हुए ईश्वर का स्मरण करना चाहिए (“दई-दई क्यों करत है, दई-दई सु कबूलि”)।
140. ‘राम की शक्ति पूजा’ का प्रेरणा-स्रोत किस रामायण को माना जाता है?
(क) वाल्मीकि रामायण
(ख) तुलसीदास कृत रामचरितमानस
(ग) कृत्तिवास रामायण (बांग्ला)
(घ) कंब रामायण (तमिल)
सही उत्तर: (ग) कृत्तिवास रामायण (बांग्ला)
विस्तार: निराला की ‘राम की शक्ति पूजा’ का कथानक सीधे वाल्मीकि या तुलसी की रामायण से नहीं लिया गया है। इसका मुख्य आधार बांग्ला की ‘कृत्तिवास रामायण’ है, जिसमें राम द्वारा देवी की पूजा का वर्णन मिलता है। निराला बंगाल में पले-बढ़े थे, अतः वे इससे परिचित थे।
141. “निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल” – यह प्रसिद्ध पंक्ति किसकी है?
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) भारतेंदु हरिश्चंद्र
(ग) मैथिलीशरण गुप्त
(घ) सुमित्रानंदन पंत
सही उत्तर: (ख) भारतेंदु हरिश्चंद्र
विस्तार: यद्यपि यह प्रश्न सीधे तौर पर दिए गए पाठ्यक्रम से नहीं है, लेकिन आधुनिक काव्य के प्रस्थान बिंदु को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। यह पंक्ति आधुनिक हिंदी के जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र की है, जिसमें वे अपनी भाषा (हिंदी) की उन्नति को ही सभी प्रकार की उन्नति का आधार बताते हैं।
142. महादेवी वर्मा के प्रिय प्रतीक ‘दीपक’ और ‘बादल’ क्रमशः किसके सूचक हैं?
(क) ज्ञान और अज्ञान
(ख) आत्मा और परमात्मा
(ग) वेदना और करुणा
(घ) आस्था और समर्पण
सही उत्तर: (ग) वेदना और करुणा
विस्तार: महादेवी की कविता में ‘दीपक’ आस्था और वेदना का प्रतीक है जो स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देता है। ‘बादल’ करुणा का प्रतीक है जो स्वयं सागर से जल लेकर संसार के लिए बरस जाता है। वे स्वयं को ‘नीर भरी दुख की बदली’ कहती हैं।
143. “बैठे रहिये, नहिं नहिं कीजै, देखत हौ अनखाँही” – पुष्पवाटिका प्रसंग में यह बात कौन, किससे कह रहा है?
(क) राम, लक्ष्मण से
(ख) सीता, अपनी सखियों से
(ग) एक सखी, दूसरी सखी से (राम को देखकर)
(घ) लक्ष्मण, राम से
सही उत्तर: (ग) एक सखी, दूसरी सखी से (राम को देखकर)
विस्तार: यह तुलसीदास के पुष्पवाटिका प्रसंग का मधुर वर्णन है। जब एक सखी राम के सौंदर्य में खो जाती है, तो दूसरी उसे कहती है कि तुम तो बैठी ही रह गईं, नहीं-नहीं कर रही हो और उन्हें अनमने भाव से देख रही हो। यह सखियों के बीच के परिहास और राम के सौंदर्य के प्रभाव को दर्शाता है।
144. “कहत, नटत, रीझत, खिझत…” दोहे में नायक-नायिका किस स्थान पर बातें कर रहे हैं?
(क) एकांत बगीचे में
(ख) नदी के किनारे
(ग) गुरुजनों और परिवार के लोगों से भरे हुए भवन में
(घ) पत्र के माध्यम से
सही उत्तर: (ग) गुरुजनों और परिवार के लोगों से भरे हुए भवन में
विस्तार: इस दोहे की अंतिम पंक्ति है- “भरे भौन में करत हैं, नैननु ही सब बात।” इसका अर्थ है कि वे लोगों से भरे हुए घर में हैं, जहाँ मुँह से बात करना संभव नहीं है, इसलिए वे आँखों के इशारों से ही सारी बातें कर रहे हैं।
145. “ता ऊपर तूरा बज्जियै, क्या बहरा हुआ खुदाइ” – इस पंक्ति में कबीर का कैसा स्वर है?
(क) भक्तिपूर्ण और समर्पण का
(ख) व्यंग्यात्मक और विद्रोही
(ग) संगीतमय और मधुर
(घ) भयभीत और कातर
सही उत्तर: (ख) व्यंग्यात्मक और विद्रोही
विस्तार: यह पंक्ति “कंकर पत्थर जोरि के…” का अगला हिस्सा है। इसमें कबीर मुल्ला के मस्जिद पर चढ़कर ज़ोर से अज़ान देने (बांग देने) पर व्यंग्य करते हुए पूछते हैं कि क्या तुम्हारा खुदा बहरा हो गया है जो तुम्हें इतना चिल्लाना पड़ रहा है? यह उनके बाहरी आडंबरों पर तीखे प्रहार को दर्शाता है।
146. सूरदास के भ्रमरगीत में गोपियों ने उद्धव के योग-संदेश की तुलना किससे की है?
(क) अमृत के घूँट से
(ख) मीठे फल से
(ग) कड़वी ककड़ी से
(घ) शीतल जल से
सही उत्तर: (ग) कड़वी ककड़ी से
विस्तार: गोपियाँ उद्धव से कहती हैं- “सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी।” अर्थात तुम्हारा यह योग का संदेश सुनते ही ऐसा लगता है जैसे मुँह में कड़वी ककड़ी चली गई हो। यह योग-साधना के प्रति उनकी अरुचि और प्रेम-मार्ग के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है।
147. भूषण ने अपने एक पद में औरंगजेब की नीति के लिए किस शब्द का प्रयोग किया है?
(क) राकस-रज
(ख) राम-राज
(ग) कुमति-केहरि
(घ) मही-मंडल
सही उत्तर: (क) राकस-रज
विस्तार: भूषण एक पद में शिवाजी को “कुमति-केहरि” (बुरी मति वालों के लिए सिंह के समान) कहते हैं और औरंगजेब की नीतियों के लिए “राकस-रज” (राक्षसी शासन) शब्द का प्रयोग करते हैं। यह उनके राष्ट्रप्रेम और सांस्कृतिक चेतना को दिखाता है।
148. “अति सूधो सनेह को मारग है, जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं” – यह प्रसिद्ध पंक्ति किस कवि की है?
(क) बिहारी
(ख) भूषण
(ग) घनानंद
(घ) तुलसीदास
सही उत्तर: (ग) घनानंद
विस्तार: यद्यपि घनानंद पाठ्यक्रम में सीधे नहीं हैं, लेकिन रीतिकाल के संदर्भ में यह महत्वपूर्ण पंक्ति है। यह रीतिमुक्त कवि घनानंद की है, जो कहते हैं कि प्रेम का मार्ग अत्यंत सीधा है, यहाँ चतुराई या टेढ़ेपन के लिए कोई स्थान नहीं है। यह बिहारी की वक्रतापूर्ण शैली के विपरीत है।
149. “कामायनी” को “मानवता का रसात्मक इतिहास” किसने कहा है?
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) नंददुलारे वाजपेयी
(ग) मुक्तिबोध
(घ) शांतिप्रिय द्विवेदी
सही उत्तर: (ख) नंददुलारे वाजपेयी
विस्तार: प्रसिद्ध छायावादी आलोचक नंददुलारे वाजपेयी ने ‘कामायनी’ के महत्व को रेखांकित करते हुए उसे ‘मानवता का रसात्मक इतिहास’ कहा, क्योंकि यह मानव सभ्यता के विकास की कहानी को भावपूर्ण और काव्यात्मक ढंग से प्रस्तुत करती है।
150. पंत की कविता ‘नौका विहार’ में कवि चांदनी रात में कहाँ नौका विहार कर रहे हैं?
(क) यमुना नदी में
(ख) गंगा नदी में
(ग) सरयू नदी में
(घ) किसी झील में
सही उत्तर: (ख) गंगा नदी में
विस्तार: ‘नौका विहार’ कविता में पंत जी चांदनी रात में गंगा नदी में नाव की सैर का वर्णन करते हैं। वे गंगा की धारा और रेत के सौंदर्य का चित्रण करते हुए जीवन और जगत के दार्शनिक रहस्यों पर चिंतन करते हैं।
151. कबीर ने ‘साधु’ का क्या लक्षण बताया है?
(क) जो गेरुआ वस्त्र पहने
(ख) जो जाति-पाँति न पूछे, केवल ज्ञान की बात करे
(ग) जो जंगल में तपस्या करे
(घ) जो बहुत सारी पुस्तकें पढ़े
सही उत्तर: (ख) जो जाति-पाँति न पूछे, केवल ज्ञान की बात करे
विस्तार: कबीर कहते हैं, “जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान। मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।” अर्थात सच्चे साधु की पहचान उसके ज्ञान से होती है, उसकी जाति से नहीं।
152. सूरदास के अनुसार, कृष्ण के बिना ब्रज की क्या दशा हो गई है?
(क) ब्रज और भी सुंदर हो गया है
(ख) ब्रज में सब लोग सुखी हैं
(ग) ब्रज में सब कुछ सूना और दुःखदायी हो गया है
(घ) ब्रज में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है
सही उत्तर: (ग) ब्रज में सब कुछ सूना और दुःखदायी हो गया है
विस्तार: सूरदास वियोग श्रृंगार का वर्णन करते हुए कहते हैं कि कृष्ण के मथुरा चले जाने से पूरा ब्रज सूना हो गया है। जो यमुना, कुंज और गायें पहले सुख देती थीं, वे अब दुःख का कारण बन गई हैं। (“मधुबन तुम कत रहत हरे? बिरह बियोग स्याम सुंदर के ठाढ़े क्यों न जरे?”)
153. तुलसीदास की कौन-सी रचना मुक्तक काव्य (कवित्त-सवैया) शैली में है?
(क) रामचरितमानस
(ख) विनय पत्रिका
(ग) कवितावली
(घ) जानकी मंगल
सही उत्तर: (ग) कवितावली
विस्तार: ‘कवितावली’ की रचना तुलसीदास ने मुक्तक काव्य शैली में की है, जिसमें कवित्त और सवैया छंदों का प्रयोग हुआ है। इसकी भाषा ब्रजभाषा है। ‘रामचरितमानस’ एक प्रबंध काव्य है।
154. बिहारी के दोहे में “अधर धरत हरि के परत” क्या होता है?
(क) ओठ, आँख और पीताम्बर की झलक से बाँसुरी हरे रंग की हो जाती है
(ख) बाँसुरी गिर जाती है
(ग) बाँसुरी बजने लगती है
(घ) कृष्ण प्रसन्न हो जाते हैं
सही उत्तर: (क) ओठ, आँख और पीताम्बर की झलक से बाँसुरी हरे रंग की हो जाती है
विस्तार: यह बिहारी के रंग-ज्ञान और सूक्ष्म निरीक्षण का उदाहरण है। वे कहते हैं कि कृष्ण के लाल होंठ (अधर), काली पुतली (दृग) और पीले वस्त्र (पट) की परछाई जब बाँसुरी पर पड़ती है, तो तीनों रंग मिलकर उसे इंद्रधनुषी हरे रंग की आभा प्रदान करते हैं।
155. भूषण के भाई, मतिराम, किस रस के प्रसिद्ध कवि थे?
(क) वीर रस
(ख) श्रृंगार रस
(ग) शांत रस
(घ) रौद्र रस
सही उत्तर: (ख) श्रृंगार रस
विस्तार: यह एक रोचक तथ्य है कि जहाँ भूषण वीर रस के कवि थे, वहीं उनके भाई मतिराम और चिंतामणि रीतिकाल के प्रसिद्ध श्रृंगारी कवि थे। मतिराम की रचना ‘रसराज’ श्रृंगार रस का प्रसिद्ध ग्रंथ है।
156. जयशंकर प्रसाद का अंतिम काव्य-संग्रह कौन-सा था?
(क) आँसू
(ख) लहर
(ग) कामायनी
(घ) झरना
सही उत्तर: (ग) कामायनी
विस्तार: ‘कामायनी’ (1936) जयशंकर प्रसाद का अंतिम और सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य है। इसके बाद उनका देहांत हो गया।
157. निराला के जीवन के अवसाद और अकेलेपन की मार्मिक अभिव्यक्ति किस कविता में हुई है?
(क) बादल राग
(ख) स्नेह-निर्झर बह गया है
(ग) तोड़ती पत्थर
(घ) जूही की कली
सही उत्तर: (ख) स्नेह-निर्झर बह गया है
विस्तार: “स्नेह-निर्झर बह गया है, रेत ज्यों तन रह गया है” – यह कविता निराला के अंतिम दिनों की है, जिसमें वे अपने जीवन के खालीपन, अकेलेपन और निराशा को अत्यंत मार्मिक शब्दों में व्यक्त करते हैं।
158. सुमित्रानंदन पंत ने किस पत्रिका का संपादन किया था?
(क) मतवाला
(ख) रूपाभ
(ग) चाँद
(घ) हंस
सही उत्तर: (ख) रूपाभ
विस्तार: सुमित्रानंदन पंत ने प्रगतिशील विचारधारा की पत्रिका ‘रूपाभ’ का संपादन किया था, जो उनके काव्य के दूसरे चरण (प्रगतिवादी) को दर्शाता है।
159. “विरह का जलजात जीवन, विरह का जलजात!” – यह पंक्ति किसने लिखी है?
(क) निराला
(ख) प्रसाद
(ग) पंत
(घ) महादेवी वर्मा
सही उत्तर: (घ) महादेवी वर्मा
विस्तार: महादेवी वर्मा अपने जीवन को विरह में उत्पन्न कमल (जलजात) के समान मानती हैं। वे कहती हैं कि उनका जीवन विरह में ही जन्मा और पला है। यह उनके काव्य की मूल वेदनानुभूति को व्यक्त करता है।
160. “मो सम कौन कुटिल खल कामी” – विनय पत्रिका के इस पद में तुलसीदास का कौन-सा भाव है?
(क) अहंकार का भाव
(ख) आत्म-ग्लानि और दैन्य का भाव
(ग) क्रोध का भाव
(घ) खुशी का भाव
सही उत्तर: (ख) आत्म-ग्लानि और दैन्य का भाव
विस्तार: यह तुलसीदास की दास्य भक्ति की पराकाष्ठा है, जहाँ वे स्वयं को सबसे बड़ा कुटिल, दुष्ट और कामी पापी बताते हुए श्रीराम के समक्ष अपनी दीनता प्रकट करते हैं, ताकि प्रभु उन पर कृपा करें।
161. “कागद की लेखी” के स्थान पर कबीर किसे महत्व देते हैं?
(क) आखिन की देखी (प्रत्यक्ष अनुभव)
(ख) गुरु की कही
(ग) वेद-पुराण
(घ) संतों की वाणी
सही उत्तर: (क) आखिन की देखी (प्रत्यक्ष अनुभव)
विस्तार: कबीर कहते हैं, “तू कहता कागद की लेखी, मैं कहता आँखन की देखी।” वे किताबी या शास्त्रीय ज्ञान की अपेक्षा स्वयं के प्रत्यक्ष अनुभव से प्राप्त ज्ञान को अधिक प्रामाणिक और महत्वपूर्ण मानते थे।
162. “यह मुरली मुरलीधर की, अधरान धरी अधरा न धरौंगी” – इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार प्रमुख है?
(क) उपमा
(ख) रूपक
(ग) यमक
(घ) अनुप्रास
सही उत्तर: (ग) यमक
विस्तार: यहाँ ‘अधरान’ (होठों पर) और ‘अधरा न’ (होठों पर नहीं) शब्दों का प्रयोग हुआ है, जो सुनने में समान लगते हैं पर अर्थ भिन्न हैं। गोपी कहती है कि कृष्ण की इस मुरली को, जो उनके होठों पर रखी रहती है, मैं अपने होठों पर नहीं रखूँगी। यह मुरली के प्रति सौतिया डाह का उदाहरण है।
163. तुलसीदास के अनुसार, कलियुग से त्रस्त होकर उन्होंने किस ग्रंथ की रचना की?
(क) रामचरितमानस
(ख) कवितावली
(ग) हनुमान बाहुक
(घ) विनय पत्रिका
सही उत्तर: (घ) विनय पत्रिका
विस्तार: जैसा कि पहले भी उल्लेख किया गया है, ‘विनय पत्रिका’ की रचना का मुख्य उद्देश्य कलियुग के ताप से मुक्ति पाने के लिए राम के दरबार में एक अर्जी या प्रार्थना-पत्र भेजना था।
164. “वेई सुरसुतिया, वेई पनघट, वै बन-बगिया बेली” – यह पंक्ति किस कवि के काव्य-माधुर्य को दर्शाती है?
(क) बिहारी
(ख) तुलसीदास
(ग) सूरदास
(घ) भूषण
सही उत्तर: (ख) तुलसीदास
विस्तार: यह पंक्ति तुलसीदास के ‘गीतावली’ से है, जिसमें वे राम के वन-गमन के बाद अयोध्या की सूनी गलियों का वर्णन ब्रजभाषा में कर रहे हैं। यह उनके काव्य के माधुर्य और चित्रोपमता का सुंदर उदाहरण है।
165. रीतिकाल का नामकरण किस आधार पर किया गया?
(क) राजाओं की रीति के कारण
(ख) प्रेम करने की रीति के कारण
(ग) काव्य-शास्त्र के नियमों (रीति) पर लिखने की परंपरा के कारण
(घ) युद्ध की रीति के कारण
सही उत्तर: (ग) काव्य-शास्त्र के नियमों (रीति) पर लिखने की परंपरा के कारण
विस्तार: इस काल के अधिकांश कवियों ने संस्कृत काव्य-शास्त्र की परंपरा का अनुसरण करते हुए अलंकार, रस, नायिका-भेद आदि के लक्षण और उदाहरण प्रस्तुत करने वाले ग्रंथ लिखे। इसी ‘रीति-निरूपण’ की प्रवृत्ति के कारण इस काल को रीतिकाल कहा गया।
166. “तुम मांसहीन, तुम रक्तहीन, हे अस्थि-शेष! तुम अस्थिहीन” – पंत जी ने यह पंक्तियाँ किसके लिए लिखी हैं?
(क) एक कंकाल के लिए
(ख) एक बूढ़े व्यक्ति के लिए
(ग) महात्मा गाँधी के लिए
(घ) एक भिक्षुक के लिए
सही उत्तर: (ग) महात्मा गाँधी के लिए
विस्तार: ये पंक्तियाँ पंत की कविता ‘बापू के प्रति’ से हैं। वे गाँधीजी के दुबले-पतले शरीर को देखकर कहते हैं कि आप शारीरिक रूप से भले ही मांसहीन और अस्थि-शेष हों, लेकिन आपने अपनी आत्मिक शक्ति से नए युग का निर्माण किया है।
167. “दुख ही जीवन की कथा रही, क्या कहूँ आज जो नहीं कही” – यह पंक्ति निराला की किस रचना से है?
(क) राम की शक्ति पूजा
(ख) तोड़ती पत्थर
(ग) सरोज स्मृति
(घ) भिक्षुक
सही उत्तर: (ग) सरोज स्मृति
विस्तार: यह निराला के शोक-गीत ‘सरोज स्मृति’ की अत्यंत मार्मिक पंक्ति है। अपनी पुत्री सरोज की मृत्यु पर विलाप करते हुए वे अपने संपूर्ण जीवन के संघर्षों और दुःखों को याद करते हुए यह कहते हैं।
168. “चिर सजग आँखें उनींदी, आज कैसा व्यस्त बाना” – यह पंक्ति महादेवी वर्मा के किस भाव को प्रकट करती है?
(क) आलस्य का भाव
(ख) प्रियतम के आगमन की प्रतीक्षा में व्याकुलता का भाव
(ग) क्रोध का भाव
(घ) नींद आने का भाव
सही उत्तर: (ख) प्रियतम के आगमन की प्रतीक्षा में व्याकुलता का भाव
विस्तार: इस गीत में महादेवी वर्मा स्वयं को एक प्रतीक्षारत नायिका के रूप में प्रस्तुत करती हैं। वे कहती हैं कि मेरी आँखें हमेशा से जाग रही हैं, पर आज वे उनींदी क्यों हैं? मेरा वेश आज इतना अस्त-व्यस्त क्यों है? यह प्रियतम के आने की आहट से उत्पन्न व्याकुलता और तैयारी का भाव है।
169. “निंदक नियरे राखिये, आँगन कुटी छवाय” – कबीर निंदक को पास रखने की सलाह क्यों देते हैं?
(क) ताकि उससे बदला लिया जा सके
(ख) ताकि वह बिना साबुन-पानी के हमारे स्वभाव को निर्मल कर दे
(ग) ताकि उसकी निंदा का आनंद लिया जा सके
(घ) ताकि उसे मित्र बनाया जा सके
सही उत्तर: (ख) ताकि वह बिना साबुन-पानी के हमारे स्वभाव को निर्मल कर दे
विस्तार: कबीर का मानना है कि निंदक (आलोचक) हमारी कमियों को उजागर करता है, जिससे हमें आत्म-सुधार का अवसर मिलता है। इसलिए वह हमारे स्वभाव को “बिन साबुन पानी बिना, निरमल करै सुभाय” स्वच्छ कर देता है।
170. “जसोदा हरि पालने झुलावै” – इस पद में सूरदास ने किस दृश्य का चित्रण किया है?
(क) कृष्ण के माखन चोरी का
(ख) माता यशोदा द्वारा कृष्ण को सुलाने का
(ग) कृष्ण के रासलीला का
(घ) कृष्ण के गाय चराने का
सही उत्तर: (ख) माता यशोदा द्वारा कृष्ण को सुलाने का
विस्तार: यह सूरदास के वात्सल्य वर्णन का एक और उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें माता यशोदा बालकृष्ण को पालने में झुला रही हैं, उन्हें लोरी गाकर सुलाने का प्रयास कर रही हैं।
171. भूषण के काव्य में शिवाजी को ‘अरि-कुल-कुंभ-विभंजन’ कहा गया है। इसका क्या अर्थ है?
(क) मित्रों के समूह को तोड़ने वाला
(ख) शत्रुओं के समूह रूपी हाथियों का संहार करने वाला
(ग) घड़ों को तोड़ने वाला
(घ) राजवंश को तोड़ने वाला
सही उत्तर: (ख) शत्रुओं के समूह रूपी हाथियों का संहार करने वाला
विस्तार: यहाँ ‘अरि-कुल’ का अर्थ है शत्रु-समूह, और ‘कुंभ’ का अर्थ हाथी है। भूषण शिवाजी की तुलना सिंह से करते हुए कहते हैं कि वे शत्रुओं के समूह रूपी हाथियों का संहार करने वाले हैं।
172. ‘कामायनी’ का अंतिम सर्ग ‘आनंद’ किस दर्शन पर आधारित है?
(क) बौद्ध दर्शन
(ख) शैव दर्शन का प्रत्यभिज्ञा सिद्धांत
(ग) मार्क्सवाद
(घ) जैन दर्शन
सही उत्तर: (ख) शैव दर्शन का प्रत्यभिज्ञा सिद्धांत
विस्तार: प्रसाद जी कश्मीरी शैव दर्शन से प्रभावित थे। ‘कामायनी’ का आनंदवाद इसी दर्शन पर आधारित है, जो ज्ञान, इच्छा और क्रिया के सामंजस्य से शिवत्व (आनंद) की प्राप्ति की बात करता है।
173. कबीर ने ‘पंडित’ किसे माना है?
(क) जो वेद पढ़ता है
(ख) जो प्रेम का ढाई अक्षर पढ़ लेता है
(ग) जो शास्त्रार्थ करता है
(घ) जो कर्मकांड कराता है
सही उत्तर: (ख) जो प्रेम का ढाई अक्षर पढ़ लेता है
विस्तार: “पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय। ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।” कबीर के अनुसार, सच्चा पंडित वह है जो ईश्वर और मानवता के प्रति प्रेम के भाव को समझ लेता है, न कि केवल पुस्तकें पढ़कर।
174. तुलसीदास के काव्य की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?
(क) समन्वय की भावना
(ख) श्रृंगारिकता
(ग) वीर रस
(घ) भाषा की क्लिष्टता
सही उत्तर: (क) समन्वय की भावना
विस्तार: तुलसीदास ने अपने युग के विभिन्न मतों, संप्रदायों और विचारधाराओं (जैसे- सगुण-निर्गुण, ज्ञान-भक्ति, शैव-वैष्णव) के बीच समन्वय स्थापित करने का प्रयास किया, जो उनके काव्य को महान बनाता है।
175. बिहारी ने अपने एक दोहे में नायिका की साँसों के साथ किसका ऊपर-नीचे होना बताया है?
(क) दीपक की लौ का
(ख) नायक के हृदय की धड़कन का
(ग) झूले का
(घ) पानी की लहर का
सही उत्तर: (ख) नायक के हृदय की धड़कन का
विस्तार: “इत आवति चलि जाति उत, चली छसातक हाथ। चढ़ी हिंडोरे-सै रहै, लगी उसासनु साथ॥” इस दोहे में विरहिणी नायिका की साँसों के साथ-साथ नायक का हृदय भी झूले की तरह ऊपर-नीचे होता रहता है। यह वियोग की तीव्रता का अद्भुत चित्रण है।
176. ‘वादल राग’ कविता में निराला ने किसे ‘विप्लव के वीर’ कहा है?
(क) सैनिकों को
(ख) किसानों को
(ग) बादलों को
(घ) कवियों को
सही उत्तर: (ग) बादलों को
विस्तार: निराला बादलों को क्रांति का अग्रदूत मानते हैं। वे उन्हें ‘विप्लव के वीर’ कहकर संबोधित करते हैं और उनका आह्वान करते हैं कि वे बरसकर पुरानी, शोषक व्यवस्था को नष्ट करें और नई सृष्टि का निर्माण करें।
177. “पथिक, बना लो आज इसी को तुम अपना मधु-आसन।” – यह पंक्ति महादेवी के किस भाव की द्योतक है?
(क) निराशा
(ख) वेदना को अपनाने का भाव
(ग) पलायन
(घ) क्रोध
सही उत्तर: (ख) वेदना को अपनाने का भाव
विस्तार: महादेवी वर्मा वेदना से भागती नहीं, बल्कि उसे ही अपना आश्रय बना लेती हैं। वे अपने प्रियतम रूपी पथिक से कहती हैं कि तुम मेरी इसी वेदना को अपना विश्राम-स्थल बना लो।
178. सूरदास की रचना ‘साहित्य-लहरी’ का मुख्य विषय क्या है?
(क) कृष्ण की बाल-लीला
(ख) नायिका-भेद और अलंकार
(ग) राम कथा
(घ) विनय के पद
सही उत्तर: (ख) नायिका-भेद और अलंकार
विस्तार: ‘साहित्य-लहरी’ सूरदास की रीति-निरूपण की प्रवृत्ति वाली रचना है, जिसमें मुख्य रूप से नायिका-भेद और अलंकारों का विवेचन किया गया है। इसके पदों को ‘दृष्टिकूट’ पद कहा जाता है, जिनका अर्थ समझना कठिन होता है।
179. “हौं सब भाँति दीन, मलीन, हीन। तुम सम कोउ न, दीन-दयालु, सही।” – विनय पत्रिका का यह पद तुलसी की किस भावना को व्यक्त करता है?
(क) आत्म-विश्वास
(ख) ईश्वर पर पूर्ण निर्भरता और अपनी दीनता का स्वीकार
(ग) ईश्वर से शिकायत
(घ) संसार से विरक्ति
सही उत्तर: (ख) ईश्वर पर पूर्ण निर्भरता और अपनी दीनता का स्वीकार
विस्तार: इस पद में तुलसीदास स्वयं को हर प्रकार से दीन-हीन और पापी मानते हैं और श्रीराम को दीनों पर दया करने वाला अद्वितीय स्वामी मानते हैं। यह उनकी दास्य भक्ति और शरणागति का उत्कृष्ट उदाहरण है।
180. ‘गागर में सागर’ भरने की कला का क्या अर्थ है?
(क) छोटी सी बात को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर कहना
(ख) कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक और गहरा अर्थ भर देना
(ग) बहुत लंबी कविता लिखना
(घ) मुहावरों का अधिक प्रयोग करना
सही उत्तर: (ख) कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक और गहरा अर्थ भर देना
विस्तार: यह एक प्रसिद्ध उक्ति है जो बिहारी के दोहों के लिए प्रयुक्त होती है। उनके दोहे आकार में छोटे होते हैं, लेकिन उनमें भाव, अलंकार और अर्थ की गहनता बहुत अधिक होती है, जैसे किसी छोटी-सी गागर (मटकी) में पूरा सागर भर दिया गया हो।
181. ‘जूही की कली’ कविता को किस पत्रिका ने छापने से मना कर दिया था?
(क) चाँद
(ख) सरस्वती
(ग) मतवाला
(घ) हंस
सही उत्तर: (ख) सरस्वती
विस्तार: निराला ने अपनी मुक्त छंद की पहली कविता ‘जूही की कली’ को ‘सरस्वती’ पत्रिका के संपादक आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के पास प्रकाशन के लिए भेजा था, लेकिन उन्होंने इसे ‘अश्लील’ और छंद-विहीन कहकर छापने से इनकार कर दिया था।
182. कबीर की ‘उलटबाँसियों’ का क्या अर्थ है?
(क) सीधी-सादी बातें कहना
(ख) उल्टी या विरोधाभासी लगने वाली बातें, जिनके पीछे गहरा आध्यात्मिक अर्थ छिपा हो
(ग) गालियाँ देना
(घ) पहेलियाँ बुझाना
सही उत्तर: (ख) उल्टी या विरोधाभासी लगने वाली बातें, जिनके पीछे गहरा आध्यात्मिक अर्थ छिपा हो
विस्तार: उलटबाँसियाँ कबीर की रहस्यवादी साधना की अभिव्यक्ति हैं। जैसे – “कमलै बिचि पया पियै, बग नहिं बौरा रे।” (कमल के बीच में बगुला दूध पी रहा है)। ये बातें ऊपर से उल्टी लगती हैं, पर इनका संबंध योग-साधना और कुंडलिनी जागरण से होता है।
183. भ्रमरगीत परंपरा का मूल स्रोत कौन-सा ग्रंथ है?
(क) महाभारत
(ख) रामायण
(ग) ऋग्वेद
(घ) श्रीमद्भागवत पुराण
सही उत्तर: (घ) श्रीमद्भागवत पुराण
विस्तार: सूरदास के सूरसागर सहित हिंदी में भ्रमरगीत लिखने की परंपरा का मूल स्रोत श्रीमद्भागवत पुराण का दशम स्कंध है, जहाँ उद्धव-गोपी संवाद का प्रसंग आता है।
184. बिहारी के अनुसार, सच्चा सुख कहाँ है?
(क) धन-दौलत में
(ख) राज-पाठ में
(ग) गाँव के शांत जीवन में
(घ) भोग-विलास में
सही उत्तर: (ग) गाँव के शांत जीवन में
विस्तार: अपने दोहे “इहि आस अटक्यो रहत, अलि गुलाब के मूल। ह्वै हैं फेरि बसंत रितु, इन डारन वे फूल॥” में बिहारी यह नीति भी देते हैं कि सच्चा सुख-संतोष गाँव की शांति में है, न कि शहरों की आपाधापी में। (हालांकि इस दोहे की व्याख्या नायिका के संदर्भ में भी है)
185. ‘ले म्यान ते करवाल’ – भूषण के इस पद में ‘करवाल’ का क्या अर्थ है?
(क) ढाल
(ख) भाला
(ग) तलवार
(घ) धनुष
सही उत्तर: (ग) तलवार
विस्तार: ‘करवाल’ तलवार का पर्यायवाची है। भूषण ‘छत्रसाल दशक’ में कहते हैं “निकसत म्यान तें मयूखें, प्रलै भानु कैसी,” अर्थात छत्रसाल की तलवार जब म्यान से निकलती है तो प्रलय के सूर्य की किरणों के समान चमकती है।
186. प्रसाद की कविता ‘हिमालय के आँगन में’ में किसे ‘प्रथम प्रभात’ कहा गया है?
(क) सूर्योदय को
(ख) ज्ञान के प्रथम उदय को (भारत में)
(ग) प्रेम के उदय को
(घ) स्वतंत्रता के उदय को
सही उत्तर: (ख) ज्ञान के प्रथम उदय को (भारत में)
विस्तार: “उषा ने हँस अभिनंदन किया और पहनाया हीरक-हार” – इस गीत में प्रसाद कहते हैं कि ज्ञान और सभ्यता का प्रथम प्रभात भारतवर्ष में ही हुआ। यह भारत के गौरवशाली अतीत का गान है।
187. पंत को ‘शब्द-शिल्पी’ क्यों कहा जाता है?
(क) क्योंकि वे मूर्तियाँ बनाते थे
(ख) क्योंकि वे शब्दों का अत्यंत कलात्मक और सचेत प्रयोग करते थे
(ग) क्योंकि वे कठिन शब्दों का प्रयोग करते थे
(घ) क्योंकि वे चित्रकार थे
सही उत्तर: (ख) क्योंकि वे शब्दों का अत्यंत कलात्मक और सचेत प्रयोग करते थे
विस्तार: सुमित्रानंदन पंत भाषा के प्रति बहुत सजग थे। वे भाव के अनुरूप कोमल-कठोर, मधुर-ओजस्वी शब्दों का चयन और प्रयोग करने में सिद्धहस्त थे, इसी कारण उन्हें ‘शब्द-शिल्पी’ कवि भी कहा जाता है।
188. ‘यामा’ में महादेवी वर्मा की कौन-सी काव्य कृति संकलित नहीं है?
(क) नीहार
(ख) रश्मि
(ग) नीरजा
(घ) दीपशिखा
सही उत्तर: (घ) दीपशिखा
विस्तार: ‘यामा’ में महादेवी वर्मा के प्रथम चार काव्य-संग्रह – नीहार, रश्मि, नीरजा और सांध्यगीत – के गीत संकलित हैं। ‘दीपशिखा’ एक स्वतंत्र काव्य-संग्रह है जो बाद में प्रकाशित हुआ।
189. ‘रामचरितमानस’ किस छंद में लिखा गया प्रमुख महाकाव्य है?
(क) कवित्त-सवैया
(ख) दोहा-सोरठा
(ग) छप्पय
(घ) दोहा-चौपाई
सही उत्तर: (घ) दोहा-चौपाई
विस्तार: रामचरितमानस की रचना मुख्यतः दोहा-चौपाई शैली में की गई है, जो एक प्रबंध काव्य के लिए अत्यंत उपयुक्त और लोकप्रिय शैली है। कुछ चौपाइयों के बाद एक दोहा आता है।
190. रीतिकाल को ‘अलंकृत काल’ नाम किसने दिया?
(क) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
(ख) मिश्र बंधुओं ने
(ग) विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने
(घ) डॉ. रामकुमार वर्मा ने
सही उत्तर: (ख) मिश्र बंधुओं ने
विस्तार: इस काल में अलंकारों के प्रयोग की प्रचुरता को देखते हुए मिश्र बंधुओं (गणेश बिहारी, श्याम बिहारी और शुकदेव बिहारी मिश्र) ने इसे ‘अलंकृत काल’ नाम दिया था। रामचंद्र शुक्ल ने ‘रीतिकाल’ और विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने ‘श्रृंगार काल’ कहा।
191. “जाके प्रिय न राम बैदेही, तजिये ताहि कोटि बैरी सम, जद्यपि परम सनेही” – यह सलाह तुलसीदास ने किसे दी थी?
(क) राजा मानसिंह को
(ख) मीराबाई को
(ग) रहीम को
(घ) अपने भाई को
सही उत्तर: (ख) मीराबाई को
विस्तार: एक किंवदंती के अनुसार, जब मीराबाई को उनके ससुराल वाले कृष्ण-भक्ति के लिए प्रताड़ित कर रहे थे, तो उन्होंने तुलसीदास से पत्र लिखकर सलाह माँगी। जवाब में तुलसीदास ने यह पंक्ति लिखी, जिसका अर्थ है कि जिसे राम-सीता प्रिय न हों, वह चाहे कितना भी प्रिय क्यों न हो, उसे करोड़ों शत्रुओं के समान त्याग देना चाहिए।
192. “पायो जी मैंने राम रतन धन पायो” – यह प्रसिद्ध पद किसका है?
(क) सूरदास
(ख) मीराबाई
(ग) तुलसीदास
(घ) कबीर
सही उत्तर: (ख) मीराबाई
विस्तार: यह भक्ति-आंदोलन का एक अत्यंत प्रसिद्ध पद है, जो मीराबाई द्वारा रचित है। इसमें वे कहती हैं कि मेरे सद्गुरु ने मुझे राम-नाम रूपी अनमोल रत्न धन दिया है, जिसे पाकर मैं धन्य हो गई हूँ।
193. कबीर के समाज-दर्शन का मूल आधार क्या था?
(क) वर्णाश्रम व्यवस्था का समर्थन
(ख) राजतंत्र का समर्थन
(ग) मानवतावाद और सामाजिक समानता
(घ) धार्मिक कर्मकांडों का समर्थन
सही उत्तर: (ग) मानवतावाद और सामाजिक समानता
विस्तार: कबीर ने जाति-पाँति, ऊँच-नीच, हिंदू-मुस्लिम के भेद-भाव का खंडन किया और एक ऐसे समाज की कल्पना की जहाँ सभी मनुष्य बराबर हों और प्रेम से रहें। यही उनके समाज-दर्शन का मूल है।
194. बिहारी सतसई की प्रसिद्धि का मुख्य कारण क्या है?
(क) उसकी विशालता
(ख) सरल भाषा
(ग) कल्पना की समाहार शक्ति और वाग्वैदग्ध्य
(घ) केवल भक्ति-भावना
सही उत्तर: (ग) कल्पना की समाहार शक्ति और वाग्वैदग्ध्य
विस्तार: बिहारी की प्रसिद्धि का कारण है उनकी अद्भुत कल्पना शक्ति जिसके द्वारा वे बड़े-बड़े प्रसंगों को एक दोहे में समेट (समाहार) लेते हैं, और उनकी वाग्वैदग्ध्य (बात कहने की चतुराई), जो उनके दोहों को अनूठा बना देती है।
195. प्रसाद के नाटकों की भाषा की क्या विशेषता है?
(क) सरल और बोलचाल की भाषा
(ख) संस्कृतनिष्ठ, तत्सम-प्रधान और काव्यात्मक
(ग) उर्दू-फारसी मिश्रित भाषा
(घ) ग्रामीण भाषा
सही उत्तर: (ख) संस्कृतनिष्ठ, तत्सम-प्रधान और काव्यात्मक
विस्तार: जयशंकर प्रसाद के नाटकों के पात्र ऐतिहासिक होते हैं, इसलिए वे संवादों में शुद्ध, परिष्कृत और संस्कृतनिष्ठ भाषा का प्रयोग करते हैं जो उनके नाटकों को एक विशेष गरिमा और काव्यात्मकता प्रदान करती है।
196. “मधुर मधुर मेरे दीपक जल” – इस गीत में महादेवी वर्मा दीपक से क्या चाहती हैं?
(क) कि वह जल्दी से बुझ जाए
(ख) कि वह हर पल, हर क्षण प्रियतम का पथ आलोकित करता रहे
(ग) कि वह अधिक प्रकाश दे
(घ) कि वह केवल रात में जले
सही उत्तर: (ख) कि वह हर पल, हर क्षण प्रियतम का पथ आलोकित करता रहे
विस्तार: इस गीत में महादेवी अपनी आत्मा रूपी दीपक को संबोधित करते हुए कहती हैं कि तुम मधुरता से, बिना थके, प्रतिक्षण जलते रहो और मेरे प्रियतम के आने का मार्ग प्रकाशित करते रहो। यह उनके समर्पण और आस्था का गीत है।
197. ‘विप्रलंभ श्रृंगार’ का क्या अर्थ है?
(क) नायक-नायिका का मिलन
(ख) नायक-नायिका का वियोग या विरह
(ग) युद्ध का वर्णन
(घ) भक्ति का वर्णन
सही उत्तर: (ख) नायक-नायिका का वियोग या विरह
विस्तार: श्रृंगार रस के दो भेद होते हैं – संयोग श्रृंगार (मिलन) और वियोग श्रृंगार। वियोग श्रृंगार को ही ‘विप्रलंभ श्रृंगार’ भी कहा जाता है, जिसमें प्रेमी-प्रेमिका के बिछड़ने की पीड़ा का वर्णन होता है। सूरदास का भ्रमरगीत इसका श्रेष्ठ उदाहरण है।
198. “देखि रूप लोचन ललचाने, हरषे जनु निज निधि पहिचाने।” – पुष्पवाटिका प्रसंग की यह पंक्ति किसके लिए कही गई है?
(क) सीता के लिए, राम को देखकर
(ख) राम के लिए, सीता को देखकर
(ग) लक्ष्मण के लिए, सीता को देखकर
(घ) सखियों के लिए, राम को देखकर
सही उत्तर: (ख) राम के लिए, सीता को देखकर
विस्तार: इस पंक्ति में तुलसीदास वर्णन करते हैं कि जब राम ने सीता को देखा तो उनके नेत्र ललचा उठे और वे ऐसे प्रसन्न हुए मानो उन्होंने अपना खजाना (निज निधि) पहचान लिया हो। यह राम के मन में उत्पन्न अनुराग का मर्यादित चित्रण है।
199. छायावाद के ‘विष्णु’ किसे कहा जाता है?
(क) जयशंकर प्रसाद (ब्रह्मा)
(ख) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ (महेश/शिव)
(ग) सुमित्रानंदन पंत
(घ) महादेवी वर्मा (शक्ति/दुर्गा)
सही उत्तर: (ग) सुमित्रानंदन पंत
विस्तार: आलोचकों ने छायावाद के चार स्तंभों की तुलना त्रिदेवों से की है। प्रसाद को प्रवर्तक होने के कारण ‘ब्रह्मा’, निराला को उनके विद्रोही और प्रलयंकारी व्यक्तित्व के कारण ‘महेश’ या ‘शिव’, और पंत को प्रकृति के पालन और सौंदर्य चित्रण के कारण ‘विष्णु’ कहा जाता है।
200. ‘लोकमंगल’ की भावना किस कवि के काव्य का केंद्रीय तत्व है?
(क) सूरदास
(ख) बिहारी
(ग) भूषण
(घ) तुलसीदास
सही उत्तर: (घ) तुलसीदास
विस्तार: ‘लोकमंगल’ अर्थात संपूर्ण समाज का कल्याण, तुलसीदास के काव्य का मूल उद्देश्य है। वे ‘रामराज्य’ के माध्यम से एक ऐसे आदर्श समाज की स्थापना करना चाहते हैं जो सभी के लिए कल्याणकारी हो। यह भावना उन्हें भक्तिकाल का सर्वश्रेष्ठ ‘लोकनायक’ कवि बनाती है।